रात में भी ऑक्सीजन देता है बरगद का वृक्ष
10 जून को वट सावित्री व्रत रख पति की दीर्घायु की कामना करेंगी सुहागिनें।

संसू, हाथरस : आदिकाल से हमारे जीवन में पेड़, पौधों, पुष्पों के अलावा जड़ों का आध्यात्मिक, औषधीय के अलावा वैज्ञानिक महत्व रहा है। ऐसा ही एक खास पेड़ है बरगद का। वटवृक्ष को ज्योतिष और तांत्रिक ग्रंथों के साथ आयुर्वेद में भी प्रमुख स्थान प्राप्त है। तुलसी, पीपल की भांति वटवृक्ष धार्मिक आस्था का प्रतीक है। इस वृक्ष के प्रति आस्था इतनी अधिक है कि इस वृक्ष के नाम पर ही सुहागिनों का पर्व वट सावित्री व्रत नाम रखा गया है। 10 जून को वट सावित्री व्रत है। इस दिन सुहागिनें व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं और वट वृक्ष के समान पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। वट वृक्ष राष्ट्रीय वृक्ष होने के साथ औषधीय गुण वाला भी है। इस पेड़ के पंचगव्य यानी फूल, फल, पत्ते, छाल और जड़ के जरिए अनेक रोगों का निदान किया जाता है। बरगद के फायदे
वन क्षेत्राधिकारी शोभाराम ओझा का कहना है कि बरगद अन्य वृक्षों की अपेक्षा ऑक्सीजन अधिक देता है। बरगद रात में भी ऑक्सीजन देता है। यह एक ऐसा वृक्ष है जिस पर पशु-पक्षी सबसे अधिक संख्या में शरण लेते हैं। जीव-जंतुओं के लिए भी आश्रय स्थल का काम करता है।
-वृक्ष का दूध, छाल, जड़, बीज एवं फल सभी प्रयोग में आते हैं। जिनका औषधीय प्रयोग होने के कारण लोगों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। इससे विभिन्न प्रकार के रोगों का उपचार किया जाता है। इसके पत्तों का प्रयोग पत्तल व थाली बनाने में भी होता है।
-माना जाता है कि बरगद के पेड़ की पत्तियां एक घंटे में पांच मिलीलीटर ऑक्सीजन देती हैं। यह वृक्ष दिन में 20 घंटे से ज्यादा समय तक ऑक्सीजन देता है। इसके पत्तों से निकलने वाले दूध को चोट, मोच और सूजन पर दिन में दो से तीन बार मालिश करने से काफी आराम मिलता है।
-यदि कोई खुली चोट है तो बरगद के पेड़ के दूध में हल्दी मिलाकर चोट वाली जगह बांध लें तो घाव जल्दी भर जाता है।
कहां और कैसे उगाएं
विशेषज्ञ बताते हैं कि बरगद या पीपल का पौधा लगाने के लिए एक सप्ताह पहले दो गुणा दो फुट का गड्ढा खोद लिया जाता है।
गड्ढे से निकली मिट्टी को गोबर में मिलाकर भूमि की सतह से कुछ ऊपर रखना चाहिए। उसके बाद उसमें पानी लगाते रहें। मिट्टी और गोबर जमीन के बराबर आ जाएं तब पौधा लगा लें।
-यह पेड़ काफी विशालकाय होता है। इसलिए इसे घर या इमारत से 15 मीटर दूर खुले मैदान या पार्क में लगाना चाहिए।
हम संकल्प लेते हैं कि
बरगद के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से मनोकामना पूरी होती है। मैं मंदिर प्रांगण में एक बरगद का पौधा लगाऊंगी। मैंने यह संकल्प लिया है। जो भविष्य में लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।
-आरती वर्मा। सावित्री-सत्यवान की कथा का स्मरण करने के विधान के कारण ही यह व्रत वट सावित्री के नाम से प्रसिद्ध है। वट वृक्ष की पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य देने के साथ ही हर तरह के कलह और संताप मिटाने वाली होती है। मैं वट सावित्री के दिन एक बरगद का पौधा लगाऊंगी।
-यशोदा वाष्र्णेय वट सावित्री का व्रत सभी महिलाएं पूरे मन व श्रद्धा के साथ रखती हैं। मैं भी कई वर्षों से यह व्रत रख रही हूं। इस बार मेरे पिता कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए थे, जिससे उनका असमय निधन हो गया। उनकी स्मृति में वट सावित्री के दिन बरगद का पौधा लगाने का संकल्प लिया है।
-रश्मि पाठक
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