Move to Jagran APP

यूपी की इस सीट पर एक बार भी सत्ता का सुख नहीं भोग पाई बसपा, अब इस नए चेहरे पर ट‍िकी मायावती की नजर

हरदोई संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट है। यहां पर पासी बिरादरी के वोटर्स चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा सीट पर पिछड़ी जातियों की भी पकड़ है। यहां की पिछड़ी जातियों में कुर्मी गड़रिया यादव व कहार बिरादरी भी अच्छी संख्या में हैं। इन जातियों पर जिस पार्टी या प्रत्याशी की पकड़ रही उसी ने जीत हासिल की।

By ashish trivedi Edited By: Vinay Saxena Published: Mon, 22 Apr 2024 01:40 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2024 01:40 PM (IST)
इस बार हरदोई लोकसभा सीट पर बसपा सुप्रीमो की सीधी नजर।

आशीष त्रिवेदी, हरदोई। हरदोई लोकसभा सीट पर इस बार बसपा सुप्रीमो की सीधी नजर है। वर्ष 1991 से लेकर अब तक स्थानीय नेताओं पर दांव लगाने के बाद नए चेहरे को हाथी की सवारी करने को भेजा गया है। बसपा की नई बिसात से पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं में उत्साह तो है, लेकिन 33 साल से भाजपा व सपा में उलझी हरदोई सीट में हाथी की डगर क्या आसान होगी, इस प्रश्न काे लेकर दावे तो बहुत हैं पर सटीक जवाब फिलहाल अभी किसी के पास नहीं है।

loksabha election banner

हरदोई संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व सीट है। यहां पर पासी बिरादरी के वोटर्स चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके अलावा सीट पर पिछड़ी जातियों की भी पकड़ है। यहां की पिछड़ी जातियों में कुर्मी, गड़रिया, यादव व कहार बिरादरी भी अच्छी संख्या में हैं। इन जातियों पर जिस पार्टी या प्रत्याशी की पकड़ रही, उसी ने जीत हासिल की।

1991 से बसपा तलाश रही जमीन

वर्ष 1991 में बसपा मतदाताओं के बीच अपनी जमीन तलाश रही थी। इस चुनाव में भी उसका वोट शेयर मात्र 3.78 प्रतिशत रहा। इस चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश 133025 वोट पाकर सांसद बने। बसपा के हीरालाल को इस चुनाव में 3.78 फीसद 40003 ही वोट मिल सके और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। 1996 के चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश को 142278 वोट मिले और जीत दर्ज कराई।

बसपा के श्याम प्रकाश ने इस पासी समाज को काफी हद तक अपने पक्ष में करते हुए बसपा का वोट प्रतिशत बढ़ाया। 11.25 फीसदी वोट पाकर बसपा को दूसरे नंबर पर लाकर खड़ा कर दिया। उन्हें 118960 वोट मिले, लेकिन जीत का सेहरा इस चुनाव में भी बसपा न बांध सकी। 1998 में सपा की ऊषा वर्मा को 206634 वोटों के साथ जीत मिली, जबकि भाजपा के जयप्रकाश 191208 वोट पाकर दूसरे नंबर पर व बसपा के श्याम प्रकाश 143834 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।

इस चुनाव में बसपा की हार का कारण सपा प्रत्याशी ही रहीं। सपा प्रत्याशी इस क्षेत्र के पासी समाज के नेता रहे परमाई लाल की बहू हैं। परमाई लाल भी दो बार यहां से सांसद रहे। इनका प्रभाव अभी तक कहीं न कहीं क्षेत्र में बना रहा और इसका असर सपा प्रत्याशी को मिले वोटों में भी देखने को मिला। वर्ष 1999 में पुन: हुए चुनाव में भाजपा के जय प्रकाश को 206256 वोट पाकर जीत हासिल हुई। जबकि सपा से ऊषा वर्मा को 200852 वोट ही मिल सके। बसपा से गिरेंद्र पाल सिंह को 122728 वोट प्राप्त हुए। वर्ष 2004 के चुनाव में एक बार फिर सपा की ऊषा वर्मा को 203445 वोट के साथ जीत मिली।

बसपा इस चुनाव में स्थानीय नेता शिव प्रसाद वर्मा को लेकर आई, लेकिन वह भी दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें 164242 वोट मिले, लेकिन वह उपविजेता ही रहे। भाजपा की अनीता वर्मा तीसरे स्थान पर रहीं। वर्ष 2009 में सपा की ऊषा वर्मा 294030 वोट पाकर जीतीं, जबकि बसपा से राम कुमार कुरील 201095 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। वर्ष 2014 में देशभर में मोदी लहर का प्रभाव जिले में भी पड़ा।

भाजपा से अंशुल वर्मा को 360501 वोट मिले और जीते। जबकि बसपा से शिव प्रसाद वर्मा दूसरे नंबर पर रहे, उन्हें 279158 वोट मिले। सपा से ऊषा वर्मा, कांग्रेस से सर्वेश कुमार सहित निर्दलीय प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। 2019 में भी भाजपा लहर कहीं न कहीं कायम रही। प्रत्याशी बदलने के बाद जिले में मतदाताओं का रुख भाजपा की ओर रहा। से जय प्रकाश को 568143 वोट मिले और जीते। जबकि गठबंधन प्रत्याशी सपा से ऊषा वर्मा को 435669 एवं कांग्रेस से वीरेंद्र कुमार को 19972 वोटोें से ही संतोष करना पड़ा।

गठबंधन से भी बसपा को नहीं म‍िला बहुत अधि‍क लाभ 

गठबंधन से भी बसपा को बहुत अधिक लाभ नहीं मिला। इस बार बसपा को नए प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर से काफी उम्मीदें हैं। जिला प्रभारी रणधीर बहादुर का कहना है कि बसपा बेहतर चुनाव लड़ेगी। बसपा के वोट बैंक को प्रत्याशी साधने का काम करेंगे। बाकी हरदोई सीट की जनता तय करेगी। जबकि भाजपा जिलाध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन व सपा जिलाध्यक्ष शराफत अली का कहना है कि उनकी तैयारी पूरी है। जनता एक बार फिर उनको जीत का सेहरा पहनाएगी।

'वे एहसान नहीं कर रहे', जब भाजपा-कांग्रेस पर जमकर बरसीं मायावती; कहा- राशन से नहीं रोजगार से दूर होगी गरीबी

यह भी पढ़ें: Lok Sabha Election 2024: मायावती ने इस बार अपनाई नई रणनीति, सेक्टर वॉर की प्लानिंग; अब ये होंगे पार्टी का चेहरा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.