UP News: मंत्री-सांसद के बीच घमासान ने बढ़ाईं राजनीतिक सरगर्मियां, जिलाध्यक्ष बोले, पार्टी की पारिवारिक बात है
हरदोई में आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल और सांसद जय प्रकाश रावत के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। बयानबाजी से शुरू हुई यह खींचतान अब गुटबाजी तक पहुँच गई है जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है। सांसद जय प्रकाश रावत ने नगरपालिका हरदोई पर आरोप लगाए हैं जिससे यह विवाद शांत होता नहीं दिख रहा है।

जागरण संवाददाता, हरदोई। आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल और सांसद जय प्रकाश रावत के बीच खिंची कमान से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है। बयानबाजी से शुरू हुई खींचतान गुटबाजी तक पहुंच गई, जिससे कहीं न कहीं पार्टी का ही नुकसान होना है।
आलाकमान के हस्तक्षेप से सांसद ने शनिवार को कोई बड़ा राजनीतिक बयान तो नहीं दिया था, लेकिन जिस तरह से उन्होंने नगर पालिका हरदोई पर आरोप लगाए गए हैं। उससे इस खींचतान को शांत न होने की बात मानी जा रही है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर सांसद, मंत्री के करीबी को निशाना बनाएंगे तो मंत्री भी चुप बैठने वाले नहीं हैं। अब आगे क्या होता है यह तो समय ही बताएगा, लेकिन भाजपा जिलाध्यक्ष का कहना है कि आपसी बात है, बैठकर निपटा ली जाएगी।
भाजपा सांसद जय प्रकाश रावत का राजनीतिक सफर देखें तो अधिकांश कार्यकाल पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल के आसपास ही रहा। दोनों नेता अधिकांश समय एक ही दल में रहे।
पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल ने अपनी लोकतांत्रिक पार्टी बनाई तो जय प्रकाश रावत उससे सांसद भी चुने गए। भाजपा में भी दोनों नेता आगे पीछे ही आए। 2024 के लोक सभा चुनाव में पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल ने खास भूमिका निभाई और जय प्रकाश रावत फिर से सांसद चुने गए, लेकिन इसी चुनाव के बीच कुछ अंदरूनी मनमुटाव बढ़ा, जोकि धीरे धीरे मंचों तक पहुंच गया।
शुरुआत बयानबाजी से हुई। बयानों में नाम तो किसी का नहीं लिया जाता था पर समझ सब जाते थे। पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल ने गांधी मैदान में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में कार्यकर्ता सम्मेलन और उसमें मंच पर मिश्रिख सांसद अशोक रावत को बुलाकर अपनी ताकत का अहसास कराया।
धीरे धीरे दोनों नेताओं के बीच दूरियां बढ़ती गईं, जोकि बाद में आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल और सांसद जय प्रकाश रावत के कार्यक्रमों में भी दिखने लगीं। एक दूसरे के राजनीतिक विरोधी कार्यक्रमों के आयोजक बनने लगे और बिना नाम लिए निशाना भी साधा जाने लगा।
खींचतान तो बढ़ी, लेकिन दोनों नेता खुलकर सामने नहीं आए। पर 15 अप्रैल को दिशा की बैठक में सांसद जय प्रकाश रावत ने मंत्री नितिन अग्रवाल के नजदीकी नगर पालिका अध्यक्ष को ही नहीं, आबकारी अधिकारी तक को निशाने पर ले लिया। उसके बाद से राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ गई।
रही बची कसर पिहानी चुंगी से खेतुई तक सड़क के चौड़ीकरण के श्रेय ने पूरी कर दी और दोनों नेताओं के समर्थक इंटरनेट मीडिया पर आमने सामने आ गए और उसी के बाद सांसद ने पत्रकार वार्ता का ऐलान कर दिया था, जिस पर सभी की निगाहें लग गईं।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, पार्टी के आलाकमान तक बात पहुंच गई और पार्टी ने हस्तक्षेप कर दिया, लेकिन सांसद ने पत्रकार वार्ता को सीमित कर चाय पर चर्चा रख दी पर उसमें भी नगर पालिका अध्यक्ष हरदोई निशाने पर रहे और उन्होंने नगर पालिका की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराने का ऐलान कर दिया, जिसके बाद से फिर लग गया कि घमासान अभी शांत नहीं होगा।
लोगों का कहना है कि सांसद अगर मंत्री से नाराजगी के चलते नगर पालिका की जांच कराएंगे तो मंत्री भी शांत नहीं रहेंगे। फिलहाल इस घमासान पर लोगों की निगाहें हैं पर भाजपा इसे आपसी बात बता रही है।
जिलाध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन का कहना है कि कोई गुटबाजी या खींचतान नहीं है। पार्टी का आपसी पारिवारिक मामला है। बैठकर मनमुटाव दूर कर लिया जाएगा।
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