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    हरदोई में पुल‍िस ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का क‍िया भंडाफोड़, तीन गिरफ्तार

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 05:37 PM (IST)

    हरदोई पुलिस ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। जालसाज ग्राम पंचायत के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) को हैक करके फर्जी प्रमाण पत्र बनाते थे। पुलिस ने गिरोह के सरगना समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से लैपटॉप मोबाइल और फर्जी प्रमाण पत्र बरामद किए हैं। गिरोह 700 से अधिक फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर चुका है।

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    पुलिस हिरासत में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले आरोपित व जानकारी देते एसपी नीरज कुमार जादौन।- जागरण

    जागरण संवाददाता, हरदोई। ग्राम पंचायत के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) को हैक कर विभिन्न प्रांतों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। जालसाज आईडी हैक कर उसे जन सेवा केंद्र संचालकों को बेच देते थे और संचालक 200-300 रुपये लेकर फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करते। पुलिस ने लखनऊ निवासी गिरोह के सरगना के साथ उसके बिहार के साथी व कुशीनगर के जनसेवा केंद्र संचालक को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से लैपटॉप, मोबाइल, फर्जी प्रमाण पत्र और पोर्टल की यूजर आइडी व पासवर्ड की छाया प्रतियां बरामद की हैं। गिरोह में कुछ अन्य भी शामिल हैं। पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

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    टड़ियावां विकास खंड की ग्राम पंचायत रावल व अलीशाबाद की सीआरएस आइडी हैक कर 700 से अधिक प्रदेश के अन्य जिलों के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, कश्मीर तक के फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए थे। ग्राम विकास अधिकारी राजीव श्रीवास्तव ने चार जून को टड़ियावां थाने पर इसकी एफआइआर दर्ज कराई थी।

    पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन द्वारा क्षेत्राधिकारी हरियावां अजीत सिंह चौहान की देखरेख में लगाई गई पुलिस टीम को सफलता मिल गई। पुलिस ने अभिषेक गुप्ता पुत्र राजेंद्र गुप्ता निवासी नौबस्ता, सहादतगंज, लखनऊ के साथ बिहार के सहरसा के मुहल्ला डीबी रोड वार्ड नंबर 14 निवासी रूपेश पुत्र किशनदास के साथ कुशीनगर के सेवहरी थाना क्षेत्र के धुरिया इमीलिया निवासी जनसेवा केंद्र संचालक धर्मेंद्र मद्देशिया पुत्र जगदीश को गिरफ्तार लैपटॉप, मोबाइल व कागजों के साथ गिरफ्तार किया।

    पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने बताया कि जनसेवा केंद्र संचालक धर्मेंद्र से पुलिस पूरे गिरोह तक पहुंची। धर्मेद्र ने बताया कि एक वाट्सएप ग्रुप पर अभिषेक का मैसेज मिला, जिसमें उसने जन्म प्रमाण पत्र की आइडी के लिए संपर्क करने की बात कही। धर्मेंद्र ने उससे संपर्क किया तो रूपेश ने उससे बात की और 10000 हजार रुपये लेकर उसे आइडी दे दी, उसी आइडी से उसने 200-300 रुपये लेकर फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए।

    पुलिस अधीक्षक ने बताया कि अभिषेक और रूपेश जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने वाले (सीआरएस) पोर्टल पर सर्च करते रहते थे, पोर्टल का पासवर्ड बदलने का प्रयास करते तो उसके साथ जीमेल आइडी सामने आ जाती। उन्हें कोई ऐसी जीमेल आइडी मिल जाती, जोकि सक्रिय नहीं होती, उसी आइडी को सक्रिय कर अपना पासवर्ड बना लेते। सीआरएस पोर्टल को खोलने पर उसकी ओटीपी कर्मचारी के मोबाइल नंबर और मेल आइडी पर आ जाती और उसी से पोर्टल खुल जाता और फिर प्रमाण पत्र जारी होने लगते।

    पोर्टल की इस आइडी को ही वह जन सेवा केंद्र संचालकों को बेच देते। जन सेवा केंद्र संचालक ही प्रमाण पत्र बनाते, जिसमें जन्म स्थान तो जहां की आइडी होती वहां का आता, बाकी पता जो मन में आता भर देते। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शुरुआती जांच में साफ हो गया कि अभिषेक ही सरगना है, लेकिन अभिषेक ने बताया कि वह राज नाम के व्यक्ति से तीन लाख रुपये में उन्होंने पोर्टल खरीदा था, इसकी भी जांच हो रही है कुछ अन्य लोग भी इसमें शामिल बताए जा रहे हैं, उनकी भी तलाश की जा रही है।

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