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    Hapur News : झोलाछाप डॉक्टर और नाई बना मौत के दूत! इस गांव में भगवान भरोसे हजारों लोगों की जिंदगी

    By Dharampal Arya Edited By: Rajesh Kumar
    Updated: Tue, 18 Feb 2025 09:50 PM (IST)

    विशेषज्ञों का मानना ​​है कि हेपेटाइटिस-सी (hepatitis C) दूषित पानी से नहीं फैलता है। इसके फैलने का सबसे अहम कारण संक्रमित व्यक्ति के रक्त या त्वचा की झिल्ली के संपर्क में किसी अन्य व्यक्ति का आना है। वहीं लंबे समय तक शराब का अधिक सेवन करने और असुरक्षित यौन संबंध से भी एचसीवी से संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है।

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    सिरौधन गांव में सैकड़ों लोगों के एचसीवी की चपेट में आने से गंभीर संकेत मिल रहे हैं।

    जागरण संवाददाता, हापुड़। सिरौधन गांव में सैकड़ों लोगों के एचसीवी (HCV ) की चपेट में आने से गंभीर संकेत मिल रहे हैं। ग्रामीणों को आशंका है कि पेयजल की खराब गुणवत्ता के कारण वहां काला पीलिया फैल रहा है।

    जबकि विशेषज्ञों का मानना ​​है कि हेपेटाइटिस-सी (hepatitis C) दूषित पानी से नहीं फैलता है। इसके फैलने का सबसे अहम कारण संक्रमित व्यक्ति के रक्त या त्वचा की झिल्ली के संपर्क में किसी अन्य व्यक्ति का आना है।

    वहीं, लंबे समय तक शराब का अधिक सेवन करने और असुरक्षित यौन संबंध से भी एचसीवी से संक्रमित होने की आशंका बनी रहती है।

    दर्जनों महिलाओं के काले पीलिया से पीड़ित होने का मुख्य कारण शराब होने की संभावना कम है। ऐसे में इस संक्रमण को फैलाने का जिम्मा झोलाछाप डॉक्टरों और नाइयों पर है।

    अब स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी है। ऐसे में संक्रमण फैलने की वजह सामने आ सकेगी। अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस जानलेवा संक्रमण का कारण तलाशना है।

    खानपान नहीं, जीवनशैली से जुड़ा है काला पीलिया

    काला पीलिया या एचसीवी (Hepatitis C Virus) का खानपान से कोई संबंध नहीं है। अभी तक यही माना जाता रहा है कि पीलिया या लिवर का संक्रमण खानपान की गड़बड़ी के कारण फैलता है। इसका मुख्य कारण दूषित पानी को माना जाता है।

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    यही वजह है कि सिरौधन गांव के लोग भी गांव के नलों से निकल रहे दूषित पानी को काले पीलिया का कारण मान रहे थे। हाल ही में हुई जांच में गांव का पानी दूषित पाया गया। गांव के पानी का टीडीएस एक हजार से अधिक है।

    ऐसे में हेपेटाइटिस-ए (hepatitis A) के मरीजों की संख्या भी काफी अधिक है। इसी बीच गांव में हेपेटाइटिस-सी फैलने लगा। ग्रामीणों ने इसे भी दूषित पानी से फैलने वाली बीमारी माना।

    वहीं, आरओ-सबमर्सिबल लगाने और नल का पानी उबालकर पीने के बावजूद एचसीवी से राहत नहीं मिली।

    HCV का दूषित जल से कोई संबंध नहीं

    वरिष्ठ फिजीशियन एवं सेवानिवृत्त सीएमएस डा. प्रदीप मित्तल ने बताया कि हेपेटाइटिस-सी (Hepatitis C Virus) या काला पीलिया मुंह से नहीं फैलता है।

    एचसीवी खाने-पीने से नहीं फैलता है। इसका मुख्य कारण रक्त संपर्क और असुरक्षित यौन संबंध है। असुरक्षित सीरिंज का प्रयोग, असुरक्षित ब्लेड से शेविंग, असुरक्षित रक्त चढ़ाने और संक्रमित ब्लेड से नाखून काटने से यह रोग फैलता है।

    इससे बचाव का एकमात्र उपाय जागरूकता है। समय पर जांच और इलाज से यह ठीक हो जाता है। देरी होने पर यह लीवर कैंसर और लीवर सिरोसिस का कारण बन सकता है। जिससे मरीजों की मौत हो जाती है। इस रोग का इलाज महंगा है।

    तीन माह की दवा करीब डेढ़ लाख रुपये की है, हालांकि अब यह सरकारी अस्पतालों में निशुल्क उपलब्ध है। हापुड़ में भी करीब छह माह से इसका वितरण हो रहा है। मरीजों का पंजीकरण करने के बाद जितने मरीज हैं, लखनऊ से उतनी ही डोज मिलती हैं।

    गांव में सर्वेक्षण कराया गया

    दैनिक जागरण द्वारा ग्रामीणों की समस्या उठाए जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया। मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की पांच टीमों ने गांव में सर्वे शुरू कर दिया।

    सीएचसी अधीक्षक डॉ. महेशचंद के मुताबिक टीम घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रही है। ऐसे लोगों की सूची तैयार की जा रही है, जिनमें एचसीवी के लक्षण हैं।

    पहले दिन मंगलवार को तीन सौ लोगों की सूची तैयार की गई है। बुधवार को भी टीम गांव में सर्वे करेगी। संदिग्ध मरीजों की सूची तैयार होने के बाद गुरुवार को गांव में जांच के लिए स्वास्थ्य शिविर लगाया जाएगा। शिविर में ही एचसीवी संक्रमित लोगों की पहचान की जाएगी।

    अब वायरस लोड जांच की सुविधा भी उपलब्ध

    स्वास्थ्य शिविर में एचसीवी से संक्रमित पाए जाने वालों को वायरस लोड जांच के लिए जिला अस्पताल लाया जाएगा। अभी जिला अस्पताल में वायरस लोड जांच और एचसीवी दवा की व्यवस्था है। जिले में छह माह से यह सुविधा उपलब्ध है।वायरस लोड के आधार पर बीमारी की गंभीरता का निर्धारण कर उपचार शुरू किया जाएगा। गुरुवार को स्वास्थ्य जांच शिविर में मैं भी मौजूद रहूंगा।

    - डॉ. सुनील त्यागी- सीएमओ

    हेपेटाइटिस सी के लक्षण

    जब तक इसके लक्षण दिखते हैं, तब तक लिवर को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। ये लक्षण शुरुआत में ही महसूस होते हैं।

    • सोने में कठिनाई या अत्यधिक नींद आना
    • बुखार, थकान और मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द
    • पेट दर्द और भूख न लगना
    • त्वचा पर चकत्ते और खुजली
    • मुंह सूखना और बार-बार छाले पड़ना
    • आंखों और त्वचा का पीला पड़ना

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