किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, फसलों में लगेगा सीमित पानी; ड्रिप सिंचाई के लिए सरकार दे रही इतने पैसे
सिंचाई के लिए ड्रिप विधि अपनाकर पानी बचाएं और आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संसाधनों को सुरक्षित रखें। इस विधि से सिंचाई करने पर फसलों को जरूरत के अनुसार पानी मिलता है और उत्पादन भी बढ़ता है। सरकार द्वारा किसानों को ड्रिप सिंचाई अपनाने पर सब्सिडी भी दी जा रही है। अधिक जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि कार्यालय से संपर्क करें।

ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर। जिले के गिरते भूजल स्तर को सुधारने के लिए कागजों पर कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से कुछ योजनाएं धरातल पर चंद लोगों तक पहुंची भी हैं। लेकिन छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों को सरकारी योजनाओं की जानकारी न होने के कारण इसका पूरी तरह से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।
वहीं, स्वीमिंग पूल, वाहन धुलाई गड्ढे आदि में प्रतिदिन लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। इस बारे में भी सिस्टम में बैठे लोगों को गंभीर होना होगा।
जिले के तीन ब्लॉक गढ़मुक्तेश्वर, सिंभावली और हापुड़ पिछले कई वर्षों से डार्क जोन घोषित हैं। गंगा और नहरों की मौजूदगी के बावजूद यहां का भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण भूजल का अनावश्यक दोहन और जागरूकता की कमी है।
पिछले कुछ वर्षों में सबसे ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसल धान की साल में दो बार बुवाई होने लगी है, जबकि पानी बचाने की मुहिम कागजों तक ही सीमित रह गई है। नतीजतन जिले का भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। अगर भूजल स्तर ऐसे ही गिरता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हम पानी के लिए आपस में ही लड़ते नजर आएंगे। इसकी झलक महानगरों में दिखने लगी है, जहां लोग पानी लेने के लिए टैंकरों के इंतजार में सड़कों पर कतारों में खड़े देखे जा सकते हैं।
विभाग को कसनी होगी कमर
सरकार ने किसानों के लिए पानी बचाने की योजनाएं भी शुरू की हैं। इसमें फसलों की सिंचाई के लिए ड्रिप व स्प्रिंकलर अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। इस विधि के तहत एक हेक्टेयर भूमि पर ड्रिप विधि लगाने में करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है।
इसमें छोटे किसानों को 90 प्रतिशत, जबकि बड़े किसानों को 80 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। इस विधि से सिंचाई करने पर जहां फसलों को जरूरत के अनुसार पानी मिलता है, वहीं उत्पादन भी बढ़ता है। लेकिन इसका दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह है कि अधिकांश किसानों को इस योजना की जानकारी ही नहीं है। इसके चलते किसान अभी भी पुराने तरीके से ही सिंचाई कर रहे हैं, जिससे बड़ी मात्रा में पानी बर्बाद हो रहा है।
लाखों लीटर पानी हो रहा प्रतिदिन व्यर्थ
किसानों को जागरूक करने के साथ ही सिस्टम में बैठे लोगों को भी पानी बचाने के प्रति जागरूक होना होगा। इसके लिए दफ्तरों, स्विमिंग पूल और वाहनों की धुलाई के लिए बिना अनुमति लगाए गए सबमर्सिबल में लापरवाही के कारण व्यर्थ बह रहे पानी को बचाने के लिए जिले भर में अभियान चलाना होगा। लापरवाही और स्वार्थ के कारण धरती की कोख से हर रोज लाखों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। सिस्टम को भी इस पर गंभीर होना होगा।
इस तरह करें आवेदन
इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को जमीन से जुड़े दस्तावेज, बैंक पासबुक की कॉपी, आधार, फोटो, मोबाइल नंबर की जरूरत होगी। इसके लिए किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत किसी भी जन सेवा केंद्र से आवेदन करना होगा। इसके अलावा वे जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय में भी अपने दस्तावेज जमा करा सकते हैं।
बोले अधिकारी
विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के लिए समय समय पर अभियान चलाया जाता है। गढ़ के मोहम्मदपुर शाकरपुर गांव में कुछ किसानों के यहां योजना का लाभ दिया गया है, जिसका बेहतर परिणाम सामने आया है। वहां सिंचाई में पानी कम लगा है, जबकि उत्पादन में करीब दस प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- डाक्टर हरित कुमार, जिला उद्यान अधिकारी
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