... तो अब 20 साल बाद धरातल पर उतरेगा धौलाना का रिलायंस पावर प्रोजेक्ट, किसानों के साथ होगा कानूनी समाधान
हापुड़ के धौलाना में 20 साल से अटकी रिलायंस पावर परियोजना को अब आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण सिंह ने हापुड़ में अधिका ...और पढ़ें
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बीस साल से अटकी रिलायंस पावर परियोजना के अब परवाज चढ़ने की उम्मीद जगी।
ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। बीस साल से अटकी रिलायंस पावर परियोजना के अब परवाज चढ़ने की उम्मीद जगी है। शासन ने किसानों को साथ लेकर और कानूनी प्रक्रिया का समाधान कराकर इस योजना को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस पर तेजी से कार्य किया जाएगा।
शुक्रवार को शासन के अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण सिंह एकाएक हापुड़ पहुंचे और संबंधित चार अधिकारियों के पांच घंटे तक गोपनीय बैठक की। इस दौरान गाजियाबाद से भू-राजस्व संबंधी फाइल मंगवाई गईं। वह कुछ महत्वपूर्ण फाइलों की छायाप्रति अपने साथ लखनऊ ले गए हैं।
यह थी योजना
रिलायंस पावर परियोजना के लिए सात गांवों (देहरा, धौलाना, ककराना, बझैड़ा खुर्द, जादौपुर, बहरमदपुर, नंदलालपुर) के 1640 किसानों की 25 सौ एकड़ भूमि को अधिग्रहीत किया गया था। 22 फरवरी 2004 को देश के प्रमुख उद्योगपति अनिल अंबानी की कंपनी ने धौलाना के गांव देहरा में 10 हजार मेगावाट की गैस आधारित विद्युत परियोजना का उद्घाटन किया था। इसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने किया था।
उत्साह के साथ शुरू की गई इस परियोजना में आरंभ में थोड़ी सी ढील बरती गई। जिसके चलते किसानों को भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन करना पड़ा। किसानों की मानें तो शिलान्यास के समय मुख्यमंत्री ने 310 रुपये प्रति वर्गगज का मुआवजा देने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में महज 150 रुपये प्रति वर्गगज की दर से मुआवजा देकर सरकार ने पल्ला झाड़ना चाहा। इस पर किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया।
आंदोलन में पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह भी जुड़ गए। इस दौरान आंदोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था, जिससे यह मामला बड़ा हो गया था। इसके बाद किसानों और पुलिस के बीच दर्जनों बार झड़प हुईं। पुलिस ने हर बार संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज किए। इस मामले में कुछ किसानों ने भूमि अधिग्रहण पर कोर्ट की शरण ली। इसी जद्दोजहद में परियोजना लटकती चली गई।
यह है स्थिति
शासन-प्रशासन की तैयारी है कि इस योजना को अब परवान चढ़ाया जाए। दरअसल कुछ किसानों ने 2015 में शासन से शिकायत की थी। किसानों की मांग थी कि जब रिलायंस पावर प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो रहा है, तो उनकी जमीन वापस कर दी जाएं। उनको दिया गया मुआवजा वापस ले लिया जाए। इस मामले में एडीएम एलए गाजियाबाद के यहां पर मुकदमा भी डाला गया था। जिनको एडीएम द्वारा रद्द कर दिया गया था। उसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए थे। वहां पर यह मामला अभी भी विचाराधीन है। अब शासन इस योजना को न्यायसंगत व सर्वसम्मत तरीके से पूर्ण कराने को प्रयासरत है।
मंगवाया गया रिकॉर्ड
शुक्रवार सुबह एकाएक अपर मुख्य सचिव नरेंद्र भूषण सिंह हापुड़ पहुंच गए। उन्होंने एसडीएम धौलाना मनोज कुमार, एडीएम हापुड़ संदीप कुमार, एचपीडीए के वीसी डा. नितिन गौड और डीएम अभिषेक पांडेय के साथ गोपनीय बैठक की। इस दौरान गाजियाबाद से भू-राजस्व के अभिलेख व किसानों की शिकायतों की पत्रावली मंगवाई गई। इनमें से कई पत्रावलियों की छायाप्रति कराई गई।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इस लंबित योजना को आगे बढ़ाया जाएगा। इससे क्षेत्र का विकास होगा और किसानों व कंपनी को अपना-अपना हक मिल सकेगा। इससे क्षेत्र में बड़े स्तर पर राेजगार का सृजन होगा। किसी भी योजना को बहुत लंबे समय तक नहीं लटकाया जा सकता। हालांकि आन रिकार्ड काेई बोलने को तैयार नहीं है। दरअसल इस मामले में पहले बड़ा विवाद हो चुका है। अब प्रशासन चाहता है कि शांतिपूर्ण व सर्वमान्य तरीके से इसका समाधान कराया जाए।

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