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    मोनाड यूनिवर्सिटी फर्जी डिग्री घोटाले में शासन ने बनाई जांच समिति, डीएम दर्ज करेंगे बयान

    Updated: Thu, 27 Nov 2025 07:36 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश सरकार ने मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। इस समिति में शिक्षा विभाग के विशेषज्ञ भी शामिल हैं। जिलाधिकारी सहित विश्वविद्यालय के अधिकारियों और छात्रों के बयान दर्ज किए जाएंगे। सरकार ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

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    मोनाड यूनिवर्सिटी का परिसर। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हापुड़। मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री-मार्कशीट बनाने, बेचने और जारी करने के मामले में शासन ने जांच समिति का गठन किया है। उत्तर प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा अनुभाग-1 के संयुक्त सचिव ने इस फर्जीवाड़े की जांच के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। इस मामले में डीएम शुक्रवार को दस बजे सो विश्वविद्यालय के कुलपति के कक्ष में जनसामान्य के बयान दर्ज करेंगे। इस मामले में किसी व्यक्ति को जो भी जानकारी है या जो इनकी ठकी के शिकार हुए हैं, वह डीएम के समक्ष अपने बयान दर्ज करा सकते हैं। उक्त बयानों के आधार पर डीएम अपनी जांच रिपोर्ट तैयार करके शासन को भेजेंगे।

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    नौ राज्यों तक पहुंचे फर्जी अंंकपत्र

    मोनाड यूनिवर्सिटी से डिग्री और मार्कशीट नौ राज्यों के युवाओं को बेचे जाने के साक्ष्य एसटीएफ काे मिले थे। यूनिवर्सिटी ने यह धंधा कोविड के दौर में ही आरंभ कर दिया था। एसटीएफ की जांच में में सबसे ज्यादा डिग्री बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र के युवाओं को बेचे जाने के साक्ष्य मिले थे। इन राज्यों में एक लाख से ज्यादा डिग्रियां बेची गई हैं।

    युवाओं को बेची जा रहे थे मार्कशीट 

    डिग्रियों का रेट लोगों की जरूरत के हिसाब से तय किया जाता था। बिहार में सबसे ज्यादा डिग्री एमए और बीएड की बेची गई हैं। कुछ डिग्री 10 लाख रुपये तक में बेचे जाने के साक्ष्य भी मिले हैं। इस मामले में आरोपितों की संख्या सौ से ज्यादा होने के संकेत मिले थे। मोनाड से नकली डिग्री और मार्कशीट बनाकर युवाओं को बेची जा रही थीं।

    एसटीएफ के अधिकारियों के अनुसार, अभी तक की जांच में सामने आया है कि मोनाड से नौ राज्यों के युवाओं को फर्जी डिग्री बेची गईं थीं। सबसे ज्यादा डिग्री बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र में बेची गईं। वहां पर एक लाख से ज्यादा डिग्री बेचने का प्रारंभिक आंकलन है। बिहार में सबसे ज्यादा डिग्री एमए-बीएड की बेची गईं।

    आरोपितों का आंकड़ा सौ से ऊपर!

    एसटीएफ के रडार पर मोनाड के वर्तमान मालिकों के साथ ही इनसे पहले के मालिक और कर्मचारी भी हैं। ऐसे में जांच अब पीछे की ओर की जा रही है। एसटीएफ के सूत्रों के अनुसार अब जांच को 2015 से आरंभ किया जाएगा। वहीं, मोनाड के कर्मचारियों और मालिकों के साथ ही डिग्रियों की बिक्री के लिए दलाली करने वालों और फर्जी डिग्री लेने वालों को भी आरोपित बनाया जाएगा। ऐसे में आरोपितों का आंकड़ा सौ से ऊपर पहुंच सकता है।

    डीएम हैं जांच टीम के अधिकारी

    शासन के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से एक जांच समिति का गठन किया गया है। इस समिति का अध्यक्ष डीएम को बनाया गया है। डीएम इस मामले में आमजन से जानकारी भी प्राप्त करेंगे। मोनाड विश्व विद्यालय द्वारा जिन छात्रों को फर्जी डिग्री दी गईं हैं या जिनको असली बताकर फर्जी डिग्री दे दी गई है, वह सभी डीएम के समक्ष अपने बयान दर्ज करा सकते हैं।

    इसके साथ ही जिन लोगों को इनके फर्जीवाड़े के संबंध में जानकारी है, वह भी डीएम को गोपनीय रूप से अपने बयान दे सकते हैं। इस मामले में डीएम अभिषेक पांडेय शुक्रवार को दस बजे से दोपहर तक विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यालय में उपस्थित रहकर जनसुनवाई करेंगे।

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