DM के साथ पूरी टीम नंगे पैर... कीचड़ में उतरकर लिया तैयारियों का जायजा, फेमस मेले के शुरू होने में सिर्फ चंद दिन
गढ़मुक्तेश्वर में कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले की तैयारी शुरू हो गई है। 5 नवंबर को होने वाले इस मेले में जलभराव और कीचड़ बड़ी चुनौती है। हर साल इस अवसर पर गंगा तट पर 25 से 30 लाख श्रद्धालु आते हैं। इस वर्ष गंगा में बाढ़ के कारण मेले का स्वरूप बदलने की आशंका है। जिलाधिकारी ने मेला स्थल का निरीक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया।

जागरण संवाददाता, गढ़मुक्तेश्वर। जिला प्रशासन ने 5 नवंबर को लगने वाले कार्तिक पूर्णिमा स्नान मेले की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मेला शुरू होने में 20 दिन से भी कम समय बचा है। हालांकि, इस साल जलभराव, कीचड़ और दलदल श्रद्धालुओं और व्यवस्थाओं से जुड़े लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर गढ़मुक्तेश्वर में गंगा तट पर विशाल मेला लगता है। लगभग 25 से 30 लाख श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में महाभारत युद्ध के बाद पांडव अपने परिजनों के वियोग में बहुत दुखी हुए थे।
कुरुक्षेत्र से हस्तिनापुर लौटते समय, भगवान कृष्ण के आदेश पर, वे गढ़मुक्तेश्वर के इसी गंगा खादर क्षेत्र में आठ दिनों तक रुके थे और अपने प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए धार्मिक अनुष्ठान किए थे। तब से यह मेला प्रतिवर्ष आयोजित होता आ रहा है।
इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को पड़ रही है। ऐसे में दुकानदार दो हफ्ते पहले से ही मेले में आने लगेंगे, जबकि झूले और अन्य सामान नवरात्रि और दशहरा के बाद आने शुरू होंगे।
जिला पंचायत के पास अब मेले की सड़कों की व्यवस्था के लिए अधिकतम एक से दो हफ्ते का ही समय है, जबकि मेला स्थल के आसपास के खेत और रास्ते अभी भी जलमग्न हैं। नतीजतन, इस साल जलभराव मेले की समग्र व्यवस्थाओं को पूरा करने में बाधा बन सकता है।
इस साल, लगभग डेढ़ महीने तक गंगा में बाढ़, कटाव और जलभराव के साथ, मेले के स्वरूप को बदलना तय है। इस साल, मेले की चौड़ाई की तुलना में लंबाई अधिक होने की उम्मीद है। नतीजतन, मेले का एक बड़ा हिस्सा मेरठ और अमरोहा क्षेत्रों में आयोजित होने की संभावना है।
राजनेता और अधिकारी जलभराव और कीचड़ से होकर गुजरे
इस साल, गंगा लगभग 12 साल बाद 199.33 के खतरे के निशान को पार करते हुए 199.57 पर पहुँची। इस बीच, कई वर्षों में पहली बार, गंगा का जलस्तर लगभग डेढ़ महीने तक पीले अलर्ट स्तर से ऊपर रहा। बाढ़ के बाद आमतौर पर जलभराव दो-तीन दिन तक रहता है, लेकिन इस साल जलभराव लगभग डेढ़ महीने तक रहा।
नतीजतन, जंगल जलमग्न और कीचड़ से भरे हुए हैं और कई जगहों पर दलदल बन गया है। शनिवार को जिलाधिकारी अभिषेक पांडे ने गंगा मेला स्थल का निरीक्षण किया। मेला स्थल से लगभग 600 मीटर पहले जलभराव और कीचड़ के कारण वाहनों का आगे बढ़ना मुश्किल हो गया था।
इसके बाद जिलाधिकारी ने अपनी चप्पलें उतारीं और पैदल चल पड़े। उनके साथ विधायक हरेंद्र सिंह तेवतिया, जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा नागर हूण, सीडीओ हिमांशु गौतम, सीएमओ सुनील त्यागी, सीईओ स्तुति सिंह, तहसीलदार राहुल कुमार और अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी थे।
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