'मैं तो जिंदा हूं, छुट्टी लेकर घर आया था...', कर्ज और बीमा के बीच 'पुतले की मौत' का हैरान करने वाला खुलासा
हापुड़ के ब्रजघाट में एक श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए लाई गई लाश में शव की जगह डमी निकलने से सनसनी फैल गई। पुलिस ने कमल कुमार सोमानी और उसके दोस्त आशीष खुराना को गिरफ्तार किया। कमल ने 50 लाख की बीमा राशि हड़पने के लिए अंशुल कुमार के नाम से फर्जी पॉलिसी बनवाई और डमी से अंतिम संस्कार करने की साजिश रची। पुलिस ने अंशुल से वीडियो कॉल पर बात की तो पता चला कि वह पूरी तरह स्वस्थ है।

केशव त्यागी, हापुड़। गंगा तट पर बसी तीर्थनगरी ब्रजघाट के मुख्य श्मशान घाट पर बृहस्पतिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे उस समय अफरा-तफरी मच गई। जब अंतिम संस्कार के लिए लाई गई लाश के कपड़े हटाए गए तो उसमें इंसान का शव नहीं, बल्कि प्लास्टिक और कपड़े से बना एक डमी निकला।
स्थानीय पंडों और वहां मौजूद लोगों ने शव लेकर पहुंचने दो लोगों की कार की जांच की तो उसकी डिग्गी में दो और डमी बरामद हुई। मौके पर पहुंचकर पुलिस ने दिल्ली के पालम क्षेत्र के कैलाश कालोनी के कमल कुमार सोमानी व उसके दोस्त उत्तम नगर के जैन काॅलोनी के आशीष खुराना को दबोच लिया।
पूछताछ में कमल ने बताया कि दिल्ली को करोल बाग में उसकी कपड़े की दुकान है। उसपर 50-55 लाख रुपये का कर्जा हो गया था। दुकान लगातार घाटे में चल रही थी। ब्याज बढ़ता जा रहा था। जिसके चलते वह डिप्रेशन में था। कर्ज चुकाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। उसकी दुकान पर ओडिशा का अंशुल कुमार पिछले कई सालों से सेल्समैन का काम करता था।
अंशुल के भाई नीरज भी कुछ समय दुकान पर काम किया था। करीब एक साल पहले उसने अंशुल से कुछ जरूरी काम के बहाने उसका आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो और हस्ताक्षर ले लिए। इन दस्तावेजों के आधार पर उसने टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी में अंशुल कुमार के नाम से 50 लाख रुपये की जीवन बीमा पाॅलिसी ले ली। सभी प्रीमियम (किस्त) वह स्वयं ही भरता रहा ताकि पालिसी एक्टिव रहे।
21 व 22 नवंबर उसने अपने साथियों को बताया कि अंशुल की तबीयत खराब है। जिसके चलते उसे दिल्ली के पालम स्थित अंसारी हाॅस्पिटल में भर्ती दिखाया गया। 26 नवंबर की रात उसने यह अफवाह फैलाई कि अंसारी हाॅस्पिटल ने अंशुल को मृत घोषित कर दिया है। अस्पताल स्टाफ ने सीलबंद ताबूत देकर कमल और आशीष को सौंप दिया।
जबकि, दोनों ने मिलकर मानव आकार की डमी खरीदी। जिसे शव की तरह सफेद कपड़े में सील किया। बृहस्पतिवार दोपहर दोनों कार में डमी को लेकर ब्रजघाट अंतिम संस्कार के लिए निकले। योजना थी कि यहां दाह-संस्कार के बाद मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर 50 लाख का क्लेम कर लिया जाए।
श्मशान घाट पर जब पंडितों ने अंतिम स्नान और कपड़े बदलने की रस्म शुरू की तो डमी का राज खुल गया। डमी मानव आकार का था, उसमें प्लास्टिक की हड्डियां, कपड़े और वजन के लिए रेत भरी गई थी। चेहरे को कपड़े से ढका गया था। कार की डिग्गी से दो और डमी मिले हैं। जो किसी दूसरी जगह इस्तेमाल के लिए लिए गए थे।
पुलिस ने अंशुल से वीडियो काॅल पर की बात
पुलिस को शक हुआ तो कमल के फोन से अंशुल को वीडियो काॅल किया गया। स्क्रीन पर अंशुल पूरी तरह स्वस्थ दिखा। उसने बताया कि वह 15 दिन पहले छुट्टी लेकर प्रयागराज अपने गांव आ गया था। उसे कुछ पता ही नहीं कि उसके नाम का क्या-क्या किया जा रहा है।

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