'एसआईआर के एग्जाम' में हापुड़ अव्वल! 99.92% आवेदन हो चुके हैं जमा; फॉर्म भरने का काम अंतिम चरण में
हापुड़ ने 'एसआईआर के एग्जाम' के लिए आवेदन करने में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है। 99.92% आवेदन जमा हो चुके हैं, और फॉर्म भरने की प्रक्रिया अंतिम चरण में ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हापुड़। जिले में एसआईआर का कार्य मानक के करीब तक पुरा कर लिया गया है। बीएलओ और माॅनिटरिंग में लगाए गए अधिकारियों ने घर-घर जाकर मतदाताओं से एसआईआर के फार्म भरवाकर जमा कराए हैं। अभी तक एसआईआर के लिए 11 दिसंबर तक का समय दिया गया था। ऐसे में डीएम की ओर से सभी को 10 दिसंबर तक कार्य पूरा करने के कड़े निर्देश दिए गए थे।
प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, बुधवार शाम तक जिले में 99.92 प्रतिशत आवेदन भरकर जमा कर लिए गए थे। हालांकि इन फार्म को डिजिटल करने में जिला अभी पिछड़ा हुआ है। जिले में 77.14 प्रतिशत फार्म की ऑनलाइन किए गए हैं। इनमें भी करीब 20 प्रतिशत आवेदन को एडिट किया जाना है।
दरअसल, जिले का मेपिंग नहीं खुलने के कारण प्रारंभ में सभी बीएलओ ने एक ही ग्रुप में सभी आवेदन लागइन कर दिए थे। उसके बाद चुनाव आयोग से एडिट का ऑप्शन मिलने के बाद उनको संशोधित कराया जा रहा है। एसआईआर के आवेदन भरवाने और जमा कराने के लिए प्रशासन ने आमजन को जमकर जागरूक किया था। इसके लिए ग्राम पंचायतों से लेकर वार्ड तक में पब्लिक मीटिंग की गईं। वहीं सामाजिक संगठनों को साथ लेकर आमजन को जागरूक किया गया।
बीएलओ को दिनरात इस कार्य में लगाया गया। वहीं विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंग करके जरूी सहयोग लिया गया। एक ओर जहां प्रशासन की ओर से मुनादी-एनाउंसमेंट कराया गया। वहीं विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों द्वारा जागरूकता यात्रा व जागरूकता रथ से लोगों को समझाने का प्रयास किया गया।
कुछ लोगों द्वारा एसआईआर को लेकर सामान्य लोगों में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया गया। इसके लिए प्रशासन की ओर से लोगों को समझाया गया कि एसआईआर क्यों आवश्यक है। इसके साथ ही मतदाता सूचियों में अपने नाम तलाशने को लेकर परेशान लोगों को समझाने के लिए ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों प्रकार से सुविधाएं प्रदान की गईं।
पहले सप्ताह में हुई परेशानी
हापुड़ जिले की मेपिंग प्रारंभ में नहीं खुल पाई थी। ऐसे में बीएलओ से सभी आवेदन को एक ही श्रेणी में डिलिटल कर दिया। जांच के दौरान पकड़ में आने पर डीएम ने इस पर नाराजगी जताई। उन्होंने सभी एसडीएम को इसके लिए ड्यूटी पर लगाया और उनकी व्यक्तिगत जवाबदेही तय की गई। इसके साथ ही चुनाव आयोग से डिजिटल करने में आडिट का आप्शन मांगा गया। ऐसे में पहले सप्ताह में जिले में एसआईआर का कार्य पिछड़ गया। जिले का नंबर 40 से भी ऊपर पहुंच गया। उसके बाद अधिकारियों ने दिनरात एक करके एसआईआर में रुचि ली और लोगों के आवेदन कराने आरंभ किए। उसके बाद अब जिले में 99.92 प्रतिशत आवेदन जगा हो गए हैं। हालांकि अभी फार्म डिजिटल होने का कार्य पिछड़ा हुआ है। 99.92 प्रतिशत के सापेक्ष अभी तक 77.14 प्रतिशत आवेदन ही डिजिटल हो पाए हैं। हालांकि इसके लिए दिनरात बीएलओ लगे हुए हैं और जल्द ही डिजिटलाइजेशन का कार्य सौ प्रतिशत कराने की तैयारी है।
फार्म वापस लेने में ज्यादा परेशानी
प्रारंभ में एसआईआर के कार्य के लिए तीन चरण निर्धारित किए गए थे। पहले चरण में फार्म का घर-घर जाकर वितरण करना था। दूसरी बार में भरे हुए फार्म को वापस लेना था। वहीं मतदाता के नहीं मिलने पर तीसरी बार में फिर से उनके पास जाना था। हालांकि यह निर्णय व्यवहारिक साबित नहीं हो सका। मतदाताओं ने फार्म तो ले लिए, लेकिन उनको वापस जमा करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। एक-एक परिवार में आठ से दस बार तक जाना पड़ा। उसके बाद ही फार्म जाम कराए जा सके। हालांकि कई लोगों ने फार्म जमा कराए ही नहीं हैं। उन्होंने समझाने के बावजूद फार्म पर हस्ताक्षर करने से ही इंकार कर दिया। यही कारण है कि 22.80 प्रतिशत मतदाताओं के आवेदन जमा ही नहीं हुए हैं। वह आवेदन लेने के बाद या तो मिले नहीं हैं या फिर फार्म वापस करने से इंकार कर दिया या बिना हस्ताक्षर किए ही फार्म वापस कर दिया गया।
"एसआईआर में हमारे जिले का कार्य संतोषजनक है। हम सौ प्रतिशत कार्य पूर्ण करने के करीब हैं। अंतिम तिथि आगे भले ही न बढ़ाई जाए, हमने अपना कार्य अभी पूरा कर लिया है। अब हमारी टीम नोटिस जारी करके मतदाताओं को दोबारा से आवेदन का अवसर प्रदान करेंगी।"
-संदीप कुमार, एडीएम।
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