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    हापुड़ के भमैड़ा प्राथमिक विद्यालय की छत हुई जर्जर, मरम्मत के लिए दिए गए रुपये का नहीं कोई हिसाब

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 01:43 PM (IST)

    हापुड़ के भमैड़ा प्राथमिक विद्यालय में छत गिरने के मामले में एसडीएम की अध्यक्षता वाली जांच टीम ने एबीएसए और प्रधानाध्यापक को दोषी ठहराया। विद्यालय की मरम्मत के लिए आवंटित 75 हजार रुपये की धनराशि का कोई हिसाब नहीं मिला और कच्चे बिल प्रस्तुत किए गए। लापरवाही के चलते यह घटना हुई जिसमें दो छात्र घायल हो गए। बेसिक शिक्षा विभाग अब दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

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    विद्यालय की मरम्मत को आई धनराशि के खर्च का रिकाॅर्ड ही नहीं। प्रतीकात्मक तस्वीर

    जागरण संवाददाता, हापुड़। बाबूगढ़ क्षेत्र के भमैड़ा के प्राथमिक स्कूल में जर्जर छत का प्लास्टर गिरने के मामले में तीन सदस्यीय जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। स्कूल का प्लास्टर गिरने से दो बच्चे घायल हो गए थे। इस मामले में जांच टीम ने एबीएसए और प्रधानाध्यापक को दोषी माना है। इनके द्वारा विद्यालय की मरम्मत को आई 75 हजार रुपये की धनराशि खर्च कर दी गई, लेकिन उसका कोई रिकार्ड नहीं है। इस धनराशि के खर्च के कच्चे बिल लगा दिए गए। इस मामले में बीएसए द्वारा एबीएसए और प्रधानाध्याक पर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।

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    दो महीने पहले ही सर्वे में कहा था, सब ठीक

    पिछले दिनों राजस्थान में स्कूल कही छत गिरने से आठ बच्चों की मौत हो गई थी। उसके बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई। जिले में बच्चों को जर्जर भवनों में ही शिक्षा दी जाती रही। ऐसे में शनिवार को भमैड़ा के प्राथमिक स्कूल की छत का प्लास्टर टूटकर कक्षा पांच के छात्रों पर गिर गया। ऐसे में दो छात्र घायल हो गए। यह हालत तब थी, जबकि दो महीने पहले ही सर्वे में इस विद्यालय को दुरुस्त दिखाया गया था।

    इस घटना को गंभीरता से लेते हुए डीएम अभिषेक पांडेय ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन किया था। जांच टीम का प्रभारी एसडीएम सदर ईला प्रकाश को बनाया गया था। वहीं स्कूल की छत के ठीक होने तक सोमवार को छात्रों को गांव के एक अन्य सरकारी भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था।

    संबंधित एबीएसए को दोषी माना

    इस मामले में मंगलवार को जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है। जिलाधिकारी कार्यालय से जांच रिपोर्ट को बीएसए को भेज दिया गया है। विभागीय सूत्रों के अनुसार जांच टीम ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक और संबंधित एबीएसए को दोषी माना है। दरअसल, शासन से प्रत्येक विद्यालय को हर साल 75 हजार रुपये की कंपोजिट धनराशि मिलती है। इस धनराशि से विद्यालय भवन की मरम्मत करानी होती है।

    हाथ से तैयार किए कच्चे बिल लगा दिए

    प्रधानाध्यापक द्वारा उक्त धनराशि को खर्च करके हाथ से तैयार किए गए कच्चे बिल लगा दिए गए। वहीं एबीएसए द्वारा उक्त विद्यालय का सर्वे किया गया था और बिल भी उनके द्वारा स्वीकृत किए गए थे। अब इस मामले में बीएसए रितु तोमर को कार्रवाई करनी है। माना रहा है कि प्रधानाध्यापक सुशील कुमार और एबीएसए अर्चनासिंह पर इस मामले में गाज गिर सकती है।

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    कदम-कदम पर बरती गई लापरवाही

    प्रधानाध्यापक सुशील कुमार ने बताया कि विद्यालय में गेट आदि का कार्य कराया गया था। इनका कार्य करने वाली मिस्त्रियों के पास पक्के बिल नहीं होते हैं। जो बिल मिले, उनको लगा दिया गया। स्कूल के बनने के बाद से आज तक छत की मरम्मत नहीं कराई गई है। छत जर्जर है। इसको पेंट आदि करके ठीक जैसा दिखाया जा रहा था।

    इसी भवन की कक्षा चार के कक्ष की छत का प्लास्टर भी करीब 20 दिन पहले टूटकर गिरा था। उस समय दोपहर का लंच होने से बच्चे चोटिल होने से बच गए थे। इस घटना की जानकारी तत्काल हेडमास्टर व बीएसए-एबीएसए वाले ग्रुप पर डाली गई, लेकिन किसी अधिकारी ने गंभीरता से नहीं लिया। मेरा कार्य अधिकारियों को सूचना देना और पढ़ाना है। यदि सूचना नहीं दी होती तो मेरी गलती होती। अब विभाग के उच्चाधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए।

    दोनों पर कार्रवाई की तैयारी

    बेसिक शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार एबीएसए और प्रधानाध्यापक दोनों पर कार्रवाई की जाएगी। प्रधानाध्यापक पर बीएसए द्वारा बुधवार को कार्रवाई की जाएगी। वहीं एबीएसए पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा। एबीएसए रचना सिंह ने बताया कि अभी जांच रिपोर्ट जारी होने की जानकारी नहीं है।

    धनराशि खर्च करने का अधिकार हेड मास्टर का होता है। मैंने भवन का परीक्षण किया था, लेकिन मैं तकनीक रूप से पारंगत नहीं हूं। मेरी जांच में बाथरूम टूटा मिला था, उसकी मरम्मत के आदेश दिए थे। भवन पर रंग-रोगन ठीक नजर आ रहा था। इससे ज्यादा जानकारी मुझको नहीं है। इससे पहले प्लास्टर कक्ष में गिरने की जानकारी मुझको नहीं है।

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