UP के इस शहर की हालत तो देखिए... कदम-कदम पर हादसों का खतरा, अफसरों की नहीं टूट रही नींद
हापुड़ की सड़कों पर गड्ढों के कारण लगातार हादसे हो रहे हैं। मरम्मत के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है, क्योंकि पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा केवल खानापूर्ति की जा रही है। इंजीनियरों की लापरवाही और ठेकेदारों की मिलीभगत से घटिया निर्माण हो रहा है, जिससे सड़कें जानलेवा बनी हुई हैं। बुलंदशहर-मेरठ बाईपास इसका एक उदाहरण है, जहां बार-बार मरम्मत के बाद भी हादसे हो रहे हैं।
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ठाकुर डीपी आर्य, हापुड़। हापुड़ में सड़कों में बनें गड्ढों से हादसे होते हैं। लगातार हादसे होने और लोगों के आवाज उठाने-शिकायत करने पर वरिष्ठ अधिकारी संज्ञान लेते हैं। इसके साथ ही संबंधित विभाग को गड्ढों को ठीक कराने का जिम्मा दिया जाता है।
विभाग द्वारा गड्ढों को ठीक भी करा दिया जाता है। उसके बावजूद हादसे होने कम नहीं होते हैं। ऐसे में जिम्मेदार अधिकारी ओवर स्पीड और चालक की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हैं। यह पूरा समय नहीं है। दरअसल गड्ढों को ठीक कराने के नाम पर केवल खानापूर्ति होने से ऐसा होता है। ऐसे में वहां पर सड़क का लेवल ठीक नहीं हो पाता है। जिससे वाहन चालकों का परेशान होना और हादसे होना जारी रहता है।
वास्तविकता यह है कि पीडब्ल्यूडी और अन्य कई निर्माण विभाग नियमों का मखौल बना रहे हैं। सड़कों का निर्माण और मरम्मत का कार्य एक्सपर्ट इंजीनियर की देखरेख में होना चाहिए। वह निर्माण सामग्री की गुणवत्ता के साथ ही अन्य बिंदुओं पर भी ध्यान रखते हैं। इंजीनियर को सड़कों का लेवल, जल निकासी, ढलान आदि का ध्यान रखना होता है। यही कार्य गड्ढों को ठीक कराने में भी किया जाना चाहिए।
यह नियम भी है और संबंधित इंजीनियर का नैतिक कर्तव्य भी। उसके बावजूद नियमों का पालन कहीं पर भी नहीं होता है। संबंधित इंजीनियर सड़क निर्माण और मरम्मत के समय मौके पर रहने की बजाय ऑफिस या घर पर आराम फरमाते हैं।
वहीं, निर्माण का जिम्मा ठेकेदार पर छोड़ दिया जाता है। ठेकेदार इस कार्य को मेट और कामगार पर छोड़ दिया है। जिस कार्य के लिए सरकार जिम्मेदार इंजीनियर पर लाखों रुपया महीना खर्च करती है, उस कार्य को दैनिक वेतनभोगी कामगार पर छोड़ दिया जाता है। ठेकेदारों को इसका दोहरा लाभ मिलता है। वह घटिया सामान लगाकर मोटी कमाई करते हैं और फिर कमिशन देकर भुगतान करा लेते हैं। पिछले दिनों ही ठेकेदार से कमिशन का रुपया लेता हुआ पीडब्ल्यूडी का इंजीनियर बिजिलेंस ने गिरफ्तार किया है।
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ठेकेदार और इंजीनियर की मिलीभगत का खेल बुलंदशहर-मेरठ बाईपास के निर्माण में भी हुआ है। इस मार्ग का अभी तक उदघाटन नहीं हुआ है। वहीं 50 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मार्ग की तीन बार मरम्मत कराई जा चुकी है। उसके बावजूद यह हादसों वाला हाईवे बनकर रह गया है। इस मार्ग से होकर चलना संभव ही नहीं है।
हमने ठेकेदार काे लगातार मार्ग की मरम्मत करा दी है। अब यह मार्ग ठीक है। कहीं से और शिकायत मिलती हैं तो ठीक करा दिया जाएगा। इेका कंपनी के पास भी इंजीनियर होते हैं। वह भी निर्माण पर नजर रखते हैं। हमारी ओर से भी मनमानी नहीं चलने दी जाती है। - मुकुल नागपाल - एई-पीडब्ल्यूडी
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