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किसी स्वर्ग से कम नहीं है अपनों के सताए हुए लोगों के लिए गुरु वृद्धा आश्रम

नगर की आबादी से करीब पांच किलो मीटर गांव लठीरा में स्थित इस आश्रम का नाम गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम है। दो मंजिला इस सुंदर भवन में 16 हाल बने हैं। आठ वृद्ध महिलाओं तो इतने ही वृद्ध पुरुषों के लिए हैं। यहां डेढ़ सौ से अधिक वृद्ध महिला-पुरुष हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 04:17 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 04:17 PM (IST)
किसी स्वर्ग से कम नहीं है अपनों के सताए हुए लोगों के लिए गुरु वृद्धा आश्रम
गुरु विश्राम वृद्धा आश्रम में खाना खाते हुए लोग। फोटो- जागरण।

गढ़मुक्तेश्वर, प्रिंस शर्मा। गंगा किनारे गांव लठीरा में स्थित गुरु विश्राम वृद्धा आश्रम अपनों के सितम से सताए गए वृद्धाओं के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। सुबह बिस्तर में दूध के नाश्ते से लेकर दोपहर में हरी सब्जी और रात को दाल चावल सहित मिष्ठान यहां खाने में दिया जाता है। अपने के दिए गए दर्द से तंग आकर उक्त आश्रम में करीब डेढ़ सौ से अधिक वृद्धा अपने जीवन ज्ञापन कर रहे है।

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सुंदर भवन, उसके अंदर डेढ़ सौ से अधिक वृद्ध महिला-पुरुष, उनके रहने से खाने-पीने और दवा तक का बेहतर इंतजाम है। इस आश्रम में जहां रहने वाले वृद्धों का कोई अपना नहीं है, लेकिन गैरों के हाथों से जीवन के आखिरी पड़ाव पर सहानुभूति और देखभाल का जो मरहम लग रह रहा है, वो उन्हें अपनों के फर्ज जैसा ही लग रहा है।

नगर की आबादी से करीब पांच किलो मीटर गांव लठीरा में स्थित इस आश्रम का नाम गुरु विश्राम वृद्ध आश्रम है। दो मंजिला इस सुंदर भवन में 16 हाल बने हैं। आठ वृद्ध महिलाओं तो इतने ही वृद्ध पुरुषों के लिए हैं। यहां डेढ़ सौ से अधिक वृद्ध महिला-पुरुष हैं। यह सभी वो हैं, जिनका अच्छा समय गुजर गया और जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंचे तो उन्हें उनके अपनों ने छोड़ दिया। यहां रहने के साथ-साथ सभी तरह की सुविधाएं मिल रही हैं। खाने को तीनों टाइम चाय-नाश्ता, भोजन उनकी आवश्यकता के हिसाब से दिया जाता है। चलने-फिरने में असमर्थ वृद्धों के लिए ट्राइसाइकिल का इंतजाम है।

वृद्ध की मौत ने जगा दी सेवा की भावना

वृद्ध आश्रम पिछले करीब आठ साल से संचालित हैं। यह भवन रातों-रात भव्य बनकर खड़ा नहीं हो गया। शुरुआत में यह दो पलंग वाली झोपड़ी में चालू किया गया था, लेकिन बाद में इसे विस्तृत रूप दिया जाता रहा। वर्तमान में डेढ़ सौ से अधिक वृद्ध महिला-पुरुषों की सेवा के काम आ रहे हैं। इस सराहनीय सेवा का कार्य डॉ. जीपी भगत कर रहे हैं। वह दिल्ली के गौतमपुरी अली गांव के निवासी हैं। वहां भी उन्होंने एक आश्रम चला रखा है। करीब साठ वर्षीय डॉ. भगत अपनी युवा अवस्था में रोजगार की तलाश में थे, लेकिन कोई काम नहीं सूझ रहा था। एक रोज सड़क किनारे पड़े-पड़े एक वृद्ध की मौत हो गई। उस मौत ने उनको झकझोर कर दिया। उनके मन में संकल्प आया कि इस वृद्ध की देखभाल की जाती तो यह इस तरह नहीं होता। तभी से उनके मन में वृद्धों की सेवा की भावना जागी और उसने यहां तक पहुंचा दिया। पहले दिल्ली आश्रम बनाया, उसके बाद यहां चालू किया।

देखभाल को बीस से अधिक का स्टाफ

आश्रम की देखभाल कर रहे मैनेजर फारुख चौधरी बताते है कि आश्रम पर रहने वाले वृद्धों की सेवा को यहां बीस से अधिक लोगों का स्टाफ हर समय रहता है, जो उनके खाने-पीने से लेकर हर तरह की सुविधा का पूरा ध्यान रखता है। करीब चालीस बीघा वाले आश्रम परिसर में ही गो-शाला भी खोल रखी है, जिसमें 12 गाय हैं। उनके दूध से ही आश्रम की आवश्यकता पूरी की जाती है। बाकी जिम्मेदारी एसबीआइ फाउंडेशन ने ले रखी है। इसमें बतौर मैनेजर देखभाल करने वाले नावेद खान का कहना है कि अब यहां वृद्धों को बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए आधुनिक मेडिकल इकाई भी चालू होने वाली है। इसका केंद्रीय रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को उदघाटन करना था, जो उनका कार्यक्रम रद होने के कारण स्थगित हो गया था।

खुश हैं एक साथ इतनों वृद्धों की सेवा के अवसर से

वृद्ध आश्रम की देखभाल करने वाले नावेद खान का कहना है कि वह खुश नसीब है, जिसे अपने अम्मा व अब्बू के साथ दूसरों की भी खिदमत का भी अवसर मिला है। वह पिछले तीन साल से सभी की देखभाल कर रहा है। यहां रहकर सभी से लगाव हो गया है। यहां रहने वाले वृद्ध भी उसे अपना समझते हैं। उसका कहना है कि यहां रहने वाले अधिकांश वो लोग हैं, जो गंभीर बीमारी के शिकार होने पर उनके घर वाले भी उनसे किनारा कर लेते हैं, लेकिन उनकी सेवा करना उसे अच्छा लगता है।


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