Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    UP की इस यूनिवर्सिटी को लगा तगड़ा झटका, हर साल 500 छात्र करते थे PhD; हाई लेवल तक पहुंचा मामला

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 04:24 PM (IST)

    हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी (Monad University) को यूजीसी के नियमों का पालन न करने पर पीएचडी कार्यक्रमों से पांच साल के लिए रोक दिया गया है जिससे सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। विश्वविद्यालय का कहना है कि वर्तमान छात्रों को कोई समस्या नहीं होगी पर नए प्रवेश बंद हैं। यूजीसी के इस फैसले से छात्रों और अभिभावकों में चिंता है।

    Hero Image
    मोनाड से हर साल पांच सौ छात्र लेते हैं पीएचडी की डिग्री।

    जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में मोनाड यूनिवर्सिटी (Monad University) के डिबार होने से पीएचडी की तैयारी कर रहे सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। अब उनको किसी अन्य यूनिवर्सिटी में प्रवेश लेना होगा। अब मोनाड यूनिवर्सिटी पांच साल तक पीएचडी में प्रवेश नहीं ले सकेगी। यूजीसी के मानकों का पालन नहीं करने के चलते यह कार्रवाई की गई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इससे शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों और उनके अभिभावकों में हड़कंप मचा है। हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को कोई परेशानी नहीं है।

    मोनाड यूनिवर्सिटी का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब हालिया मामला यूजीसी की मान्यता को लेकर है। अभी तक यूनिवर्सिटी के वीसी प्रोफेसर डॉक्टर एम जावेद कहते रहे हैं कि उनको यूजीसी से स्वीकृति की कोई आवश्यकता ही नहीं है। यूजीसी अनुदान आयोग है। जब हमको अनुदान ही चाहिए नहीं तो उससे स्वीकृति क्यों लें?

    यूनिवर्सिटी को विधानसभा से स्वीकृति मिलने के बाद राज्यपाल से प्रमाण पत्र जारी किया गया है। हालांकि, हम यूजीसी द्वारा मांगी गई जानकारी देते रहे हैं, लेकिन उससे मान्यता की जरूरत नहीं है।

    अब यूजीसी के सचिव आचार्य मनीष आर जोशी की ओर से एक पब्लिक नोटिस जारी किया गया है। उसमें मोनाड यूनिवर्सिटी काे पीएचडी के लिए डिबार घोषित कर दिया गया है। पब्लिक नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि पांच साल तक मोनाड पीएचडी में प्रवेश नहीं दे सकेगी।

    यदि इस दौरान कोई छात्र मोनाड से पीएचडी करता है ताे उसकी मान्यता किसी स्तर पर नहीं होगी। मोनाड से हर साल करीब पांच सौ छात्र पीएचडी करते हैं। इस साल भी पीएचडी में प्रवेश की तैयारी चल रही थीं। अब उनको किसी दूसरी यूनीवर्सिटी से पीएचडी करनी होगी।

    यह भी पढ़ें- 50 हजार की रिश्वत मामले में जेई को सस्पेंड करने की मांग, लखनऊ भेजी फाइल; विभाग में मची अफरातफरी

    यूनिवर्सिटी प्रबंधन का दावा है कि जो छात्र इस समय पीएचडी कर रहे हैं, उनको कोई परेशानी नहीं है। उनकी शिक्षा पर कोई प्रतिबंध नहीं है। उनकी डिग्री पूरी तरह से मान्य होंगी।

    वहीं छात्रों और उनके अभिभावकों की धड़कन बढ़ रही हैं। लोगों में चर्चा है कि मोनाड द्वारा यूजीसी के मानकों का पालन किसी भी शिक्षिक विषय के लिए नहीं किया गया। ऐसे में केवल पीएचडी पर ही प्रतिबंध क्यों लगाया गया है?

    सूत्रों की मानें तो यूजीसी से एक छात्र ने पीएचडी को लेकर ही शिकायत की थी। जिसके चलते अपना आदेश इसी क्रम में दिया है। यूजीसी का कोई अधिकारी तत्काल आन रिकार्ड बयान देने को तैयार नहीं है।