50 हजार की रिश्वत मामले में जेई को सस्पेंड करने की मांग, लखनऊ भेजी फाइल; विभाग में मची अफरातफरी
हापुड़ में पीडब्लूडी के अवर अभियंता अशोक कुमार को रिश्वत लेते एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार किया। ठेकेदार संदीप कुमार ने सड़क निर्माण के टेंडर के लिए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। गिरफ्तारी के बाद विभाग में हड़कंप है और आरोपी के निलंबन की सिफारिश की गई है। यह घटना सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को दर्शाती है जहां ऑनलाइन सिस्टम भी रिश्वतखोरी को रोकने में विफल हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) में तैनात अवर अभियंता अशोक कुमार को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते एंटी करप्शन की टीम द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद अन्य कर्मचारी व अधिकारियों में अफरातफरी मची हुई है।
वहीं, आरोपी के निलंबन की सिफारिश कर फाइल लखनऊ मुख्यालय भेज दी गई है। मुख्यालय से जल्द ही निलंबन का आदेश जारी हो सकता है।
मंगलवार को हुई कार्रवाई में पीड़ित ठेकेदार संदीप कुमार उर्फ संजू राणा जो गांव शिवाया के निवासी हैं, उसने बताया था कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में उन्हें पीडब्लूडी के तहत सड़क निर्माण का टेंडर मिला था। पिलखुवा के डूहरी बिजली घर से गांव डहूरी तक सड़क मरम्मत के लिए 4.68 लाख रुपये की लागत निर्धारित थी।
इस काम के लिए उनसे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी गई, जो परियोजना लागत का लगभग 25 प्रतिशत है। यह खुलासा विभाग में चल रहे कमीशनखोरी के गहरे सिस्टम को उजागर करता है।
विभाग में गर्म चर्चाएं
अशोक कुमार की गिरफ्तारी के बाद से पीडब्लूडी कार्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म है। कई अधिकारी इस घटना से सकते में हैं, और कुछ के खिलाफ भी जांच की आशंका जताई जा रही है। मौके से फरार हुए अन्य आरोपी अधिकारियों में भी बेचैनी देखी गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं लगातार सामने आने के बावजूद भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
एंटी करप्शन और विजिलेंस की सख्ती
पिछले कुछ वर्षों में में एंटी करप्शन और विजिलेंस ने रिश्वतखोरी के कई मामलों में सख्त कार्रवाई की है। करीब दस ऐसे प्रकरण सामने आए हैं, जिनमें अभियंताओं से लेकर लेखपाल तक को रंगे हाथों पकड़ा गया। एक अन्य मामले में तो एक अभियंता ढाई लाख रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा गया था।
इन कार्रवाई के बावजूद सरकारी विभागों में कमीशनखोरी का सिस्टम थमने का नाम नहीं ले रहा। फाइलें एक टेबल से दूसरी टेबल तक बिना रिश्वत के आगे नहीं बढ़ रही हैं, जिससे ऑनलाइन सिस्टम भी फेल साबित हो रहे हैं।
गुणवत्ता पर सवाल
ठेकेदारों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर कमीशन की मांग के कारण निर्माण कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। संदीप कुमार ने बताया कि अगर ठेकेदारों को इतनी बड़ी राशि रिश्वत में देनी पड़े, तो वह सड़कों और अन्य परियोजनाओं में गुणवत्तापूर्ण सामग्री का उपयोग नहीं कर पाते। इससे जनता को मिलने वाली सुविधाओं पर भी असर पड़ रहा है।
शासन की सख्ती, फिर भी नहीं सुधर रहे अधिकारी
एंटी करप्शन और विजिलेंस की कार्रवाई में कई अधिकारियों को महीनों तक जेल में रहना पड़ा है। इसके अलावा विभागीय जांच और शासन स्तर पर कोर्ट में मजबूत पैरवी भी की जा रही है। बावजूद इसके, कुछ अधिकारी और कर्मचारी सुधरने को तैयार नहीं हैं। इस मामले ने एक बार फिर पीडब्लूडी में सुधार की जरूरत को उजागर किया है।
भविष्य की राह
यह घटना न केवल पीडब्लूडी बल्कि अन्य सरकारी विभागों में भी भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि आनलाइन सिस्टम को और पारदर्शी बनाने के साथ-साथ सख्त सजा और नियमित निगरानी ही इस समस्या का समाधान कर सकती है। फिलहाल, इस मामले में अशोक कुमार के निलंबन का इंतजार है, और विभाग में सुधार की उम्मीद जगी है।
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अवर अभियंता के निलंबन के लिए फाइल लखनऊ भेज दी गई है। उच्चाधिकारियों द्वारा कार्रवाई की जाएगी। - शैलेंद्र सिंह, अधिशासी अभियंता, पीडब्लूडी

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