Hapur News: हड्डी के रोगी जिले में है लाचार, जिम्मेदार एक साल से चिकित्सक पाने को कर रहे पत्राचार
हापुड़ जिले के सरकारी अस्पतालों में हड्डी रोग विशेषज्ञों की भारी कमी है जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। सीएचसी में पिछले पांच वर्षों से हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं हैं और जिला अस्पताल में भी पद खाली है। गंभीर मरीजों को मेरठ रेफर किया जाता है जिससे वे प्राइवेट अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं। अधिकारियों का कहना है कि तैनाती के लिए पत्राचार किया जा रहा है।

मुकुल मिश्रा, हापुड़। जिले के सरकारी अस्पतालों में एक हड्डी रोग विशेषज्ञ तक की तैनाती नहीं है। अधिकांश सीएचसी में पिछले करीब पांच वर्षों से हड्डी रोग विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती ही नहीं हो सकी है। जबकि जिला अस्पताल में पूर्व में तैनात हड्डी रोग विशेषज्ञ ने स्वयं ही नौकरी छोड़ दी थी।
उसके बाद से यहां भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी है। ऐसे में हड्डी की गंभीर बीमारी का यदि कोई मरीज आता है, तो उसे मेरठ मेडिकल के अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। मरीजों को मेरठ चक्कर न काटने पड़ें, इसके लिए वह मजबूरी में प्राइवेट अस्पताल में जाना पड़ रहा है।
जिले में कुल नौ सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) और एक जिला अस्पताल है। जबकि आबादी करीब 14 लाख की है। आबादी के अनुसार जिले में पहले ही अस्पतालों की कमी है। दूसरी ओर इन सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों का टोटा है। सबसे बड़ी परेशानी हड्डी रोग विशेषज्ञ के न होने से मरीजों को झेलनी पड़ रही है। इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
हालत यह है कि यदि हड्डी की कोई छोटी बीमारी का मरीज सीएचसी में पहुंचता है तो उसका एमबीबीएस चिकित्सकों द्वारा ही उपचार करा दिया जाता है। वहीं यदि कोई गंभीर बीमारी का मरीज आता है तो उसे जिला अस्पताल के स्थान पर मेरठ मेडिकल अस्पताल के लिए रेफर कर दिया जाता है। ऐसे मरीज मजबूरन निजी अस्पताल की ओर रुख कर लेते हैं। ऐसे में गरीब मरीजों के जेब पर प्रभाव पड़ रहा है।
वहीं जिला अस्पताल में करीब एक वर्ष पहले डा. अनिरुद्ध यादव की तैनाती हुई थी। जिसके बाद कुछ राहत की सांस मिली थी। लेकिन उन्हें जिला अस्पताल रास नहीं आया और उन्होंने अपना स्वयं ही स्थानांतरण करा लिया। उसके बाद से अब तक जिला अस्पताल में भी हड्डी रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी है। जबकि अधिकारी एक वर्ष में छह से अधिक बार पत्राचार कर चुके हैं।
प्रतिदिन सौ तक पहुंचती है मरीजों की संख्या
जिले की सीएचसी व जिला अस्पताल में कुल मिलाकर हड्डी से संबंधित मरीजों की संख्या करीब 250 तक पहुंच जाती है। इनमें मेडिकल कराने आने वाले मरीज और एक्सीडेंट के मरीज अलग होते हैं। इन मरीजों का एक्स-रे की सुविधा तो मिल रही है। लेकिन एक्स-रे कराने के बाद ये मरीज विशेषज्ञ चिकित्सक की तलाश में भटकते रहते हैं। इधर-उधर भटकने के बाद यदि वह चिकित्सक के बारे में जाकर पूछते हैं तो उन्हें अस्पताल से टरका दिया जाता है। कुछ मरीजों का एक्स-रे एमबीबीएस चिकित्सकों को ही दिखवा दिया जाता है।
जिले में अस्पतालों की स्थिति
| अस्पताल का प्रकार | संख्या |
|---|---|
| जिला अस्पताल | 01 |
| सीएचसी (सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र) | 09 |
| पीपीसी | 02 |
| महिला अस्पताल | 02 |
| पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) | 24 |
| अर्बन पीएचसी | 03 |
यह है विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्थिति
| विशेषज्ञता | स्वीकृत पद | कार्यरत | रिक्त |
|---|---|---|---|
| जनरल फिजीशियन | 06 | 01 | 05 |
| जनरल सर्जन | 06 | 01 | 05 |
| स्त्री रोग विशेषज्ञ | 08 | 01 | 07 |
| निश्चेतक | 06 | 03 | 03 |
| बाल रोग विशेषज्ञ | 04 | 03 | 01 |
| रेडियोलाजिस्ट | 06 | 02 | 04 |
| अस्थि रोग विशेषज्ञ | 02 | 01 | 01 |
| फारेंसिक विशेषज्ञ | 02 | 00 | 02 |
| पैथोलाजिस्ट | 02 | 01 | 01 |
| पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञ | 01 | 01 | 00 |
| ईएनटी सर्जन | 02 | 01 | 01 |
| नेत्र सर्जन | 02 | 01 | 01 |
बिना सुविधा के ट्रामा सेंटर में तैनात हैं चिकित्सक
एक वर्ष पहले ही सिखैड़ा गांव में ट्रामा सेंटर को चालू कराया गया था। ट्रामा सेंटर केवल स्वास्थ्य विभाग के दस्तावेजों में ही चालू है। यदि जमीनी हकीकत देखी जाए तो इसमें अभी तक कोई सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। बिना एक्स-रे समेत अन्य सुविधा उपलब्ध होने के बाद भी शासन द्वारा ट्रामा सेंटर में हड्डी रोग विशेषज्ञ को तैनात किया हुआ है। उसमें भी चिकित्सक कम ही उपलब्ध मिलते हैं। वर्तमान में ट्रामा सेंटर में फर्नीचर का कार्य कराया जा रहा है।
चिकित्सकों की तैनाती के लिए किया गया है पत्राचार
चिकित्सकों की तैनाती के लिए शासन से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। अब तक छह से अधिक बार शासन से पत्राचार किया गया है। कोशिश की जा रही है कि जल्द से जल्द विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती करा दी जाए। मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए प्रयास किया जा रहा है। - डॉ. सुनील कुमार त्यागी, सीएमओ
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