हापुड़ में तहसील की दलाली ने छीन ली किसान की सांसें, रिश्वतखोरी से परेशान किसान की हार्ट अटैक से मौत
हापुड़ में तहसील के भ्रष्टाचार से परेशान एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। रिश्वतखोरी से तंग आकर किसान ने दम तोड़ दिया। इस घटना से ग्रामीणों में आक्रोश है, जिन्होंने तहसील प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। ग्रामीणों ने रिश्वतखोरी में शामिल अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
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जागरण संवाददाता, हापुड़ (धौलाना)। जिले के धौलाना तहसील में शनिवार सुबह हुई दर्दनाक घटना ने एक ओर जहां पूरे इलाके को झकझोर दिया, वहीं जिम्मेदार अधिकारियों की मनमानी व आमजन की परेशानी का स्याह चेहरा उजाकर कर दिया। दस्तावेजों में मां का नाम चढ़वाने को ढाई साल से भटक रहे पांच बीघा पट्टाधारक किसान का भू-लेख दस्तावेजों में चढ़ाने के नाम पर जिम्मेदारों ने 1.90 लाख रुपये की रिश्वत ले ली, उसके बावजूद ढ़ाई साल तक भटकाते रहे।
शुक्रवार को काम करने का आश्वासन देकर किसान को तहसील पर बुलाया गया था। दिनभर वहां रहने के बाद काम नही होने से परेशान किसान ने अधिकारी से शिकायत की तो उसने भी डांट दिया। इससे तनाव में आए किसान को घबराहट होने और जी मिचलाने की परेशानी होने लगी। घर आकर रात में उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
शनिवार सुबह करीब 11 बजे स्वजन किसान का शव लेकर धौलाना तहसील स्थित एसडीएम कार्यालय के बाहर पहुंचे और करीब दो घंटे तक हंगामा किया। इसी बीच जिम्मेदारों ने ढाई साल से अटके काम को चंद मिनट में पूरा कर भू-लेख दस्तावेजों में किसान की मां नाम दर्ज कर दिया गया। उधर, एसडीएम के समझाने और जिम्मेदारों पर कार्रवाई के आश्वासन पर स्वजन शांत हुए और शव ले जाकर अंतिम संस्कार कर दिया। इस घटना से एक ओर जहां आमजन आहत है, वहीं जिम्मेदारों को सोचने पर विवश कर दिया है।
बझेड़ा खुद गांव के किसान भगवत सिंह के भाई सुभाष सिंह ने बताया कि मां भीमो देवी के नाम पर वर्ष 1990 में पांच बीघा जमीन का पट्टा आवंटित हुआ था। इसके बाद पट्टा किसी कारणवश निरस्त कर दिया गया। मामले में पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने करीब ढाई साल पहले पट्टा की जमीन में मां भीमों देवी का नाम दर्ज किए जाने के आदेश जारी किए। इसके बाद से पीड़ित सुभाष व उनके भाई भगवत मां का नाम दर्ज कराने के लिए तहसील प्रशासन के अधिकारियों के चक्कर काटते रहे। मगर, भ्रष्टाचार के चलते प्रक्रिया बार-बार अटकती रही।
उक्त भूमि के रिलायंस पावर प्रोजेक्ट के दायरे में आने का बहाना बनाकर अधिकारियों ने काम रोक दिया। अस्थाई कर्मचारी पवन और कानूनगो रामकिशोर के माध्यम से ढाई साल में भगवत से करीब 1.90 लाख रुपये रिश्वत ले ली गई। दो दिन पहले ही रामकिशोर को 15 हजार रुपये रिश्वत के और दिए गए। उसने शुक्रवार को नाम चढ़ाने का भरोसा दिलाया था। शुक्रवार को भाई पूरे दिन तहसील में इंतजार करते रहा, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
शाम को उन्होंने अधिकारी से शिकायत की तो उसने भी डांट दिए। इससे उनको बेचैनी होने के साथ ही जी मिचलाने लगा। निराश व परेशान घर लौटे भाई को रात में हृदयाघात हुआ। उन्हें तुरंत पिलखुवा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शनिवार सुबह उनकी मौत हो गई। स्वजन का आरोप है कि भ्रष्टाचार और उत्पीड़न ने ही भगवत की जान ली। अगर, समय पर काम होता, तो आज वह हमारे बीच होते।
शव रखकर दिया धरना तो बढ़ी जिम्मेदारों की धड़कन
शनिवार सुबह स्वजन किसान का शव लेकर धौलाना तहसील परिसर पहुंचे और एसडीएम कार्यालय के सामने धरना शुरू कर दिया। न्याय दो, वरना शव नहीं ले जाएंगे के नारों से तहसील गूंज उठी। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीण भी वहां जमा हो गए। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। हंगामे के दौरान स्वजन ने तहसील कर्मियों पर रिश्वतखोरी के ठोस सबूतों का दावा किया, लेकिन अधिकारियों ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसी बीच एसडीएम मनोज कुमार ने मौके पर पहुंचकर स्वजन से बात की। उन्होंने तत्काल जमीन संबंधी खतौनी में किसान की मां का नाम दर्ज करा दिया।
कानूनगो बोले, झूठे हैं आरोप
घटना के बाद कानूनगो रामकिशोर ने कहा कि किसान के स्वजन ने पहले मेरे आवास पर पहुंचकर शव रखकर हंगामा किया। मेरे साथ धक्का-मुक्की व हाथापाई की। इसकी तहरीर पुलिस को दे दी गई है। मुझ पर लगाए गए रिश्वत लेने के आरोप निराधार हैं। भूमि बंजर श्रेणी में थी, इसलिए नए खाते का सृजन जरूरी था। मई में ही नाम दर्ज करने के आदेश जारी हो चुके थे, लेकिन खसरा-खतौनी का निर्धारण रुका होने से प्रक्रिया लंबित थी। कोई रिश्वत नहीं ली गई।

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