हापुड़ में साइबर ठगी का नया तरीका, व्हाट्सएप्प पर फर्जी चालान लिंक भेजकर खाते से उड़ाए 1.21 लाख
हापुड़ में साइबर ठगों ने चालान के नाम पर एक व्यक्ति के खाते से 1.21 लाख रुपये उड़ा दिए। व्हाट्सएप पर आए फर्जी चालान लिंक को खोलने पर यह ठगी हुई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है और लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। अज्ञात लिंक पर क्लिक न करने और चालान की आधिकारिक वेबसाइट पर जांच करने की सलाह दी गई है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। साइबर ठगों ने अब ठगी का नया तरीका निकाला है। व्हाट्सएप्प पर वाहन चालान का फर्जी लिंक भेजकर लोगों के बैंक खातों से पैसे उड़ा रहे हैं। ऐसी ही एक घटना हापुड़ के चंडी मंदिर रोड निवासी आशीष गर्ग के साथ हुई है, जिनके खाते से साइबर ठगों ने 1.21 लाख रुपये साफ कर दिए। मामले में पुलिस ने अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस आरोपितों की जानकारी जुटाने में लगी है।
महज दस मिनट में रुपया साफ
पुलिस में दर्ज रिपोर्ट में आशीष गर्ग ने बताया कि 16 सितंबर 2025 की रात करीब साढ़े 11 बजे उसके वाट्सएप नंबर पर एक अज्ञात नंबर से आरटीओ चालान का पीडीएफ लिंक आया। जैसे ही पीड़ित ने लिंक खोला उसके महज दस मिनट में उनके बैंक खाते दो बार में 1.21 लाख रुपये निकाल लिए गए।
बैंक खाता सीज कराया
इसके बाद पीड़ित को ठगी का पता चला। उसने बैंक अधिकारियों को सूचना देकर बैंक खाता सीज कराए। बाद में थाना साइबर क्राइम में तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की। एसपी ज्ञानंजय सिंह ने बताया कि मामले में अज्ञात साइबर अपराधियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस अब आरोपितों की तलाश में जुट गई है।
साइबर ठगों का नया हथकंडा
साइबर ठग अब फर्जी चालान लिंक के जरिए लोगों को निशाना बना रहे हैं। ये लिंक खोलते ही आपके फोन में मैलवेयर या फिशिंग साफ्टवेयर इंस्टाल हो सकता है, जो बैंक खाते की जानकारी चुरा लेता है। ऐसा मामला सामने आने पर अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है।
बचाव के लिए सावधानियां
- अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें : वाट्एसएप, मैसेज या ई-मेल से आए किसी भी संदिग्ध लिंक को न खोलें।
- चालान की पुष्टि करें : वाहन चालान की जांच केवल आरटीओ की आधिकारिक वेबसाइट या परिवहन विभाग के पोर्टल पर करें।
- सुरक्षित एप्प का इस्तेमाल करें : फोन में एंटीवायरस और एंटी-मैलवेयर साफ्टवेयर रखें।
- तुरंत शिकायत करें : ठगी होने पर तुरंत पुलिस या साइबर सेल में शिकायत दर्ज करें।
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