हापुड़ में वन विभाग और विकास प्राधिकरण आमने-सामने, भूमि को लेकर क्यों छिड़ा विवाद?
हापुड़ में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर वन विभाग और विकास प्राधिकरण आमने-सामने हैं। वन विभाग ने प्राधिकरण पर बिना अनुमति संरक्षित भूमि का उपयोग करने का आरोप लगाया है। यह विवाद आनंद विहार योजना को लेकर है जिसमें वन विभाग का कहना है कि उनकी जमीन का इस्तेमाल किया गया है। प्राधिकरण का कहना है कि उनके पास आवश्यक अनुमति है। इस विवाद से कई कारोबारी चिंतित हैं।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में ग्रीन बेल्ट की जमीन पर वन विभाग और प्राधिकरण आमने-सामने आ गए हैं। वन विभाग ने प्राधिकरण पर संरक्षित भूमि को बिना स्वीकृति के प्रयोग में लाने का आरोप लगाया है। इसके लिए प्राधिकरण के सचिव को विधिक कार्रवाई की चेतावनी के साथ नोटिस जारी किया गया है।
वन विभाग का आरोप है कि प्राधिकरण की आनंद विहार योजना में ग्रीन बेल्ट की संरक्षित भूमि का प्रयोग कर लिया गया। उसके लिए विभाग ने स्वीकृति तक नहीं ली गई। प्राधिकरण आनंद विहार योजना को 20 साल पहले लेकर आया था। अब इस मामले में नोटिस जारी किया गया है। उस समय हापुड़ गाजियाबाद का हिस्सा होता था।
गाजियाबाद के डीएफओ ने भी स्पष्ट कर दिया है कि उनके कार्यालय से आनंद विहार योजना के लिए कोई स्वीकृति नहीं ली गई थी। यह विवाद कई महीने से चल रहा है। दोनों विभागों के अधिकारी साथ बैठकर समाधान निकालने को तैयार नहीं हैं। उसके चलते अब विधिक कार्रवाई का नोटिस जारी किया गया है। इसके चलते दर्जनों कारोबारियों की सांस अटकी हुई हैं।
हापुड़-पिलखुवा विकास प्राधिकरण ने पुराने दिल्ली हाईवे के किनारे 30 साल पहले आनंद विहार योजना तैयार की थी। इस योजना में हाईवे के किनारे पर प्लाटिंग की गई थी। इसमें सड़क किनारे के प्लाट को व्यवसायिक के रूप में आवंटित किया गया था।
वहीं, पीछे के प्लाट पर आवासीय योजना विकसित की गई थी। आवासीय योजना में निर्माण कार्य पहले से ही चल रहा है, जबकि हाईवे किनारे के कामर्शियल प्लाट्स पर निर्माण कार्य अब आरंभ किया जा रहा है। हापुड़ के चेयरपर्सन के पति श्रीपाल सिंह, बरेली के सोबती बिल्डर्स सहित दर्जनों कारोबारियों ने निर्माण कार्य आरंभ कर दिया है। इन्होंने निर्माण के लिए नक्शा बनवाने को आवेदन किया तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई।
वन विभाग ने नक्शा पर आपत्ति लगाते हुए स्पष्ट किया है कि सड़क और प्लाटिंग के बीच में वन विभाग की ग्रीन बेल्ट की जमीन है। उस पर खड़े हुए पेड़ और भूमि दोनों संरक्षित हैं। यहां से होकर किसी आवंटी को रास्ता नहीं दिया जाएगा।
उपभोक्ताओं द्वारा डाली गई आरटीआइ में भी वन विभाग ने भूमि को अपनी बताते हुए स्पष्ट किया है कि इसभूमि पर किसी अन्य का आधिपत्य नहीं है। इसके समर्थन में वन विभाग ने अपनी जमीन का नक्शा-सिजरा भी लगाया है।
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वहीं, एचपीडीए ने सड़क किनारे वन विभाग की भूमि मानने से इंकार कर दिया है।आरटीआइ के उत्तर में एचपीडीए ने स्पष्ट किया है कि सड़क और किनारे की एचपीडीए की जमीन के मध्य में किसी अन्य की कोई भूमि नहीं है।
वन विभाग को मोहित कुमार द्वारा एक पत्र प्राप्त हुआ। इसमें सामने आया कि विभाग की भूमि का अवैध रूप से प्रयोग आनंद विहार योजना में किया जा रहा है। लगातार पत्राचार के बावजूद प्राधिकरण उत्तर नहीं दे रहा है। यह गंभीर मामला है। - अर्शी मलिक-डीएफओ
वन विभाग को 20 साल बाद अपनी जमीन की याद आ रही है। इतनी बड़ी योजना बिना एनओसी नहीं लाई गई होगी। हम इसकी पत्रावली तलाश करा रहे हैं। पत्रावली के आधार पर वन विभाग को उत्तर दिया जाएगा। - अमित कादियान, सचिव, एचपीडीए
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