हापुड़ में डायरिया और संक्रमण के मामलों में तेजी, बच्चों के लिए इन चीजों का जरूर करें उपाय
हापुड़ में बारिश के बाद डायरिया और संक्रमण के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है जिससे बच्चे ज़्यादा प्रभावित हैं। सरकारी अस्पतालों में रोजाना 40-50 मरीज आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार नमी और गर्मी के कारण संक्रमण फैल रहा है। डायरिया होने पर ओआरएस लेने और साफ-सफाई रखने की सलाह दी गई है। बच्चों की सेहत का खास ध्यान रखने की ज़रूरत है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़ में वर्षा के बाद डायरिया और इंफेक्शन के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इससे सबसे अधिक बीमार बच्चे पड़ रहे हैं। सरकारी अस्पातलों में इन बीमारियों से ग्रस्त 40 से 50 मरीज पहुंच रहे हैं।
चिकित्सकों के अनुसार, मौसम में नमी और गर्मी के कारण संक्रमण तेजी से फैल रहा है। वायरल, डिहाइड्रेशन और उल्टी-दस्त जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात फिजीशियन डा. अशरफ अली ने बताया कि इस मौसम में संक्रमण का खतरा अधिक होता है। खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों को सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि शरीर में पानी और नमक की मात्रा बनी रहनी जरूरी है। जिससे डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।
उन्होंने बताया कि डायरिया की स्थिति में तत्काल ओआरएस, इलेक्ट्राल या घर में बना नमक, चीनी व नींबू का घोल लेना चाहिए। डायरिया और उल्टी-दस्त के कारण शरीर में इलेक्ट्रोलाइट की भारी कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में गंभीर मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रतिदिन अस्पताल में तीन से पांच मरीजों को भर्ती करने की आवश्यकता पड़ रही है। उन्होंने बताया कि दिन में उमस और रात में मौसम थोड़ा सही हो रहा है। जिसके कारण बच्चों रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो रही है। जिससे वह जल्दी बीमार हो रहे हैं। चिकित्सक बच्चों के अभिभावकों को बता रहे हैं कि इस मौसम में छोटे बच्चों की सेहत का बहुत ध्यान रखना जरूरी है।
नवजात बच्चे भी हो रहे बीमार
इस समय नवजात बच्चों में दस्त और खांसी की शिकायतें बढ़ गई हैं। उन्होंने अभिभावकों से आग्रह किया कि सफाई पर विशेष ध्यान दें। यदि बच्चे को बोतल से दूध पिलाया जा रहा है तो हर बार बोतल को गर्म पानी में उबालकर ही इस्तेमाल करें। छह माह से ऊपर के बच्चों को सिर्फ दूध पर निर्भर न रखें, उन्हें संतुलित आहार भी दें, ताकि रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो सके।
सावधानी के उपाय
- हल्का और कम वसा वाला भोजन करें
- अधिक पानी और तरल पदार्थ लें
- कटे फलों, खुले भोजन और गंदे पानी से परहेज करें
- बीमार होने पर चिकित्सक से तत्काल संपर्क करें
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