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    हापुड़ में बेशकीमती जमीन को लेकर बड़ा खेल, सामने आया अफसरों और माफिया का ये सच

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 04:38 PM (IST)

    हापुड़ में सरकारी भूमि हस्तांतरण में नियमों के अभाव के चलते बंदरबांट की आशंका जताई जा रही है। अधिकारियों पर माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए सस्ते दामों पर जमीन देने की साजिश का आरोप है। पहले भी पालिका की जमीनों पर अवैध कब्जे हुए हैं जिनमें उचित पैरवी नहीं की गई। वर्तमान में एक जमीन के हस्तांतरण की फाइल तहसील में लगाई गई है जिससे मिलीभगत की चर्चा है।

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    पालिका क्षेत्रों में जमीन हस्तांतरण एक्ट स्पष्ट नहीं होने का लाभ उठा रहे माफिया-अधिकारी।

    जागरण संवाददाता, हापुड़। उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में पालिका क्षेत्र में सरकारी जमीन के हस्तांतरण के लिए एक्ट में स्पष्ट गाइडलाइन नहीं है। ऐसे में पालिका की सरकारी जमीन को बंदरबांट करके रुपये कमाने की ताक में अधिकारी और कर्मचारी रहते हैं।

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    यही कारण है कि करोड़ों रुपये मूल्य की बेशकीमती जमीन को माफिया को देकर उसके बदले में दूसरे स्थान पर सस्ती जमीन लेने की साजिश की जा रही है। इसका कारण जमीन का श्रेणी का मिनजुमला होना माना जा रहा है।

    यही कारण है कि तहसील में फाइल लगाकर सड़क किनारे की जमीन काे प्रॉपर्टी डीलर को देने की तैयारी है। जिससे उनकी प्लॉटिंग के क्षेत्र को चौड़ा रास्ता मिल जाए। इसे उनके प्लॉटों की कीमत बढ़ने के साथ ही मांग भी बढ़ जाएगी।

    जमीनाें के हस्तांतरण के लिए राजस्व विभाग की गाइडलाइन होती है। उसके अनुसार ही जमीनों का ट्रांसफर किया जाता है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में भूमि की गाइडलाइन के लिए अलग से एक्ट बना हुआ है। एक्ट में शहरी क्षेत्रों के मिनजुमला (जमीन का ऐसा खाता नंबर जिसमें कई हिस्सेदार हों और उनकी भूमि का क्षेत्र चिन्हित नहीं हो) पर स्प्ष्ट गाइडलाइन नहीं है।

    स्पष्ट नियम नहीं होने से अधिकारी और कर्मचारी शहरों में जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया को स्वविवेक के अनुसार निर्णित करते हैं। ऐसे में वह अपने चहेतों को मनमाना लाभ दे पाने में कामयाब हो जाते हैं। शहर में पहले कई स्थानों पर पालिका की कीमती जमीनों पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। ऐसे ज्यादातर मामलों में पालिका की ओर से प्रभावी पैरवी नहीं हो पाती है या नहीं की जाती है। जिससे माफिया अपने मिशन में कामयाब हो जाते हैं।

    ऐसा ही पिछले दिनों चितौली रोड की पालिका की जमीन के मामले में हुआ था। तब डीएम के आदेश पर पालिका की सरकारी जमीन पर कब्जा लेकर बेरीकेडिंग करा दी गई थी। उसके एक सप्ताह बाद आरोपित माफिया ने बेरीकेडिंग को उखाड़कर गायब कर दिया और जमीन को अपनी में मिला लिया। तब पालिका के जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे रहे।

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    इस मामले को दैनिक जागरण ने प्रमुखता से उठाया था। उस समय पालिका के कर्मचारियों परआरोप लगा था कि 20 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है। समाचार प्रकाशित होने के बाद पालिका की ओर से आरोपित माफिया पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

    अब उक्त जमीन को माफिया को देने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इसकी शिकायत अधिकारियों को भी मिल रही हैं। शिकायत के अनुसार पालिका के कुछ कर्मचारियों और एक जनप्रतिनिधि ने माफिया को उक्त जमीन देने का भरोसा दिलाया है। उसके चलते जमीन की हस्तांतरण की फाइल को तहसील में लगाया गया है। इसके साथ चर्चा माफिया से मिलीभगत की चर्चा जोर पकड़ रही है।

    माफिया पर पालिका की जमीन की बेरीकेडिंग तोड़कर कब्जा करने के मामले की रिपोर्ट दर्ज है। उसी खसरा नंबर की फाइल अब मिनजुमला के तहत मेरे सामने आई थी। मैंने फाइल काे जांच के लिए तहसील में भेज दिया है। - संदीप कुमार, एडीएम