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    भारी बारिश से किसानों का हाल-बेहाल, देर से शुरू होगी गन्ना कटाई; टेंशन में गुड़ कारोबार से जुड़े लोग

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 03:43 PM (IST)

    इस वर्ष अत्यधिक वर्षा के कारण गन्ने में पानी की मात्रा बढ़ गई है जिससे कोल्हू संचालन में देरी हो रही है। इसका असर दलहन सरसों और गेहूं की बोआई पर भी पड़ सकता है। खादर क्षेत्र में बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कोल्हू संचालकों का कहना है कि गन्ने में पानी ज्यादा होने से गुड़ बनाने में अधिक गन्ना लगेगा।

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    कोल्हुओं पर तैयार गुड़। फोटो सौजन्य- जागरण आर्काइव

    ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर। इस साल बारिश ने किसानों का हाल बेहाल कर दिया है। औसत से अधिक हुई वर्षा के कारण इस बार गन्ने में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण इसका असर अब कोल्हू संचालन से लेकर समय से बोआई की जाने वाली दलहन, सरसों, आलू, गेहूं आदि की फसलों पर पड़ने की संभावना है तो वहीं गुड़ के कारोबार से जुड़े लोगों को भी रोजगार देरी से मिलने की संभावना हैं।

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    इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा होने से किसानों को धान की फसल को छोड़ अन्य सभी फसलों में नुकसान होने की संभावना दिखाई दे रही हैं। इसका असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसानों पर आने वाले समय में दिखाई देगा।

    खादर क्षेत्र में बाढ़ के कारण करीब दो हजार बीघा से अधिक जमीन पर खड़ी गन्ना, धान, सब्जी, चारा आदि की फसल गंगा में समाहित हो चुकी हैं। इससे किसानों को कई करोड़ रुपये का नुकसान हो गया है।

    इस बीच अन्य स्थानों पर भी सामान्य से अधिक वर्षा होने के कारण सब्जी की फसल पर गहरा प्रभाव पड़ा है। इसमें जमीन में अधिक नमी रहने के कारण फंगस ने उनको अपनी चपेट में लेकर नष्ट कर दिया है। इन सभी नुकसान को झेलने के बाद अगला असर अब किसानों पर गन्ने सहित अन्य फसलों पर पड़ने जा रहा है।

    पानी की मात्रा अधिक

    सामान्य से अधिक वर्षा होने एवं अधिकांश समय पूरबाई (पूर्व दिशा से चलने वाली हवा) चलने के कारण इस वर्ष गन्ने में पानी की मात्रा अधिक है। अगर अन्य वर्षो का आकंडा देखा तो पितृ पक्ष से पूर्व अथवा मध्य में कोल्हुओं का संचालन शुरू हो जाता था।

    कुछ लोग धार्मिक विचार को देखते हुए पहले नवरात्र से कोल्हुओं का संचालन कर देते थे। लेकिन इस वर्ष गन्ने में पानी की मात्रा को अधिक देखते हुए अभी तक 90 प्रतिशत स्थानों पर कोल्हुओं का संचालन तो दूर वहां तैयारी तक नहीं की जा रही हैं।

    कोल्हू संचालक दिनेश यादव, महबूब खां आदि ने बताया कि इस समय 40 किलो गुड़ तैयार करने के लिए चार क्विंटल गन्ना लगेगा, जबकि सामान्य दिनों में यह तीन से सवा तीन क्विंटल तक लगता हैं। ऐसे में यदि अगले दो सप्ताह में भी कोल्हू का संचालन शुरू किया तो रिकवरी नहीं होने के कारण नुकसान होना तय हैं।

    अगली फसल पर होगा प्रभाव

    जिले की दोनों चीनी मिल नवंबर के प्रथम सप्ताह अथवा मध्य तक शुरू होती हैं। ऐसे में यदि समय रहते कोल्हुओं का संचालन नहीं हुआ तो किसानों का गन्ना अन्य फसलों की बोआई के समय खेत में खड़ा रह जाएगा।इससे सितंबर के अंत तक होने वाली दलहन, अक्टूबर में बोआई होने वाले आलू, सरसों एवं अक्टूबर से नवंबर माह में होने वाली गेहूं की बोआई पर सीधा असर पड़ेगा।

    क्या बोले वैज्ञानिक?

    इस वर्ष वर्षा सामान्य से अधिक होने के कारण गन्ने में पानी की मात्रा अधिक है। ऐसे में शुरूआती दौर में रिकवरी कम आने की संभावना है। - डॉक्टर अरविंद कुमार, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र