हापुड़ के कोचिंग सेंटर में जातिगत भेदभाव का आरोप, छात्रों ने जमकर किया हंगामा; न्याय की मांग
हापुड़ के समाज कल्याण मंत्रालय के आवासीय कोचिंग सेंटर में अनुसूचित जाति के छात्रों ने जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है। छात्रों का कहना है कि नए निदेशक ने उन्हें रातोंरात हॉस्टल से निकाल दिया जबकि ओबीसी और सामान्य वर्ग के छात्रों को नहीं हटाया गया। पीसीएस परीक्षा 2025 से पहले छात्रों में तनाव है और उन्होंने न्याय की मांग की है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। कोतवाली के निजामपुर स्थित समाज कल्याण मंत्रालय के आवासीय कोचिंग सेंटर में अनुसूचित जाति के के छात्र-छात्राओं पर जातिगत भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना का गंभीर आरोप लगाया है।
नवनियुक्त ज्वाइंट डायरेक्टर पर पूर्व छात्रों को रातोंरात बाहर निकालने और परीक्षा से ठीक पहले उन्हें असुरक्षित हालातों में धकेल देने का आरोप है। मामले में छात्रों ने शिकायत कर न्याय मांगा है।
शिकायतकर्ता विशाल कुमार ने शिकायत ने बताया कि पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर ने अनुसूचित छात्रों को डे स्कालर के रूप में पढ़ाई जारी रखने की अनुमति दी थी। लेकिन नवनियुक्त ज्वाइंट डायरेक्टर के आने के बाद यह सुविधा अचानक रद्द कर दी गई।
आरओ-एआरओ परीक्षा से महज दस दिन पहले छात्रों को हास्टल खाली करने का फरमान सुनाया गया। ज्यादातर छात्र दूर-दराज के इलाकों से थे, जिन्हें मजबूरी में सामान इधर-उधर बिखेरकर असुरक्षित जगहों पर शरण लेनी पड़ी।
परीक्षा होने तक थोड़ा समय छात्रों को नहीं दिया गया। वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) व सामान्य वर्ग के अवैध छात्रों को नहीं हटाया गया। छात्रों का दावा है कि यह छात्र बिना किसी औपचारिकता के रह रहे थे, लेकिन उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह सब जातीय दुर्भावना से प्रेरित है।
लेटरल एंट्री से प्रवेश पा चुकी एससी छात्राओं को फिर से बाहर निकालने की धमकियां दी जा रही हैं। केंद्र प्रभारी ने इन्हें आधिकारिक रूप से प्रवेश दिया था, लेकिन नवनियुक्त ज्वाइंट डायरेक्टर ने इन आवेदनों को रद्द करने की कोशिश की। पीसीएस परीक्षा 2025 नजदीक आते ही छात्राओं में अवसाद और तनाव की लहर दौड़ गई है।
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