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    UP के इस जिले में सर्किल रेट से 10 गुना बढ़ गए जमीन के दाम, 29 गांवों से होकर गुजर रहा गंगा एक्सप्रेसवे

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 12:54 PM (IST)

    हापुड़ में गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण और ब्रजघाट के विकास के प्रयासों से जमीनों के दाम बढ़ गए हैं। सर्किल रेट से 10 गुना अधिक दाम होने के कारण किसान जमीन देने को तैयार नहीं हैं जिससे कई योजनाएं अधर में हैं। गंगा एक्सप्रेसवे के आसपास जमीनों के दाम कई गुना बढ़ गए हैं। औद्योगिक गलियारे और पर्यटन स्थलों जैसी योजनाओं के लिए जमीन की कमी हो रही है।

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    सर्किल रेट से दस गुना अधिक दाम, जमीन खरीद में हो रहा व्यवधान। जागरण

    ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)। हापुड़ में तहसील क्षेत्र में गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण होने और तीर्थ नगरी ब्रजघाट को मिनी हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने के प्रयास के कारण जमीनों के दामों में भारी उछाल आ गया है।

    सर्किल रेट से दस गुना अधिक दाम आसपास होने के कारण किसान अपनी जमीन देने से इनकार कर रहे हैं। इसके कारण औद्योगिक गलियारे से लेकर कई अन्य योजनाएं अधर में लटकी पड़ी हैं।

    गढ़ तहसील क्षेत्र के 29 गांवों से होकर गंगा एक्सप्रेसवे गुजर रहा है। इस गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण शुरू होने के बाद से ही क्षेत्र में जमीनों के दामों में भारी उछाल आया है। गंगा एक्सप्रेसवे के आसपास की जमीनों के दाम तो सात से आठ गुना तक बढ़ गए है तो वहीं तीर्थ नगरी एवं उसके आसपास के गांवों में जमीन बीघा के बजाए प्रति वर्ग मीटर में मिल रही है।

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    वहीं, तीर्थ नगरी का अनेक योजनाओं से चौतरफा विकास होने, गढ़ में हेलीपैड़ (छोटी हवाई पट्टी), तीर्थ नगरी में पर्यटन भवन, गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे भैना, सदरपुर, चुचावली, जखैड़ा रहमतपुर रहमतपुर में (110, 135 हेक्टेयर) करीब 245 हेक्टेयर में दो औद्योगिक गलियारा, शंकराटीला के पास 12 हेक्टेयर में प्लाजा हाऊस आदि प्रस्तावित होने के कारण यहां जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं।

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    इसके कारण कई योजनाओं के लिए जमीन चयन करने में प्रशासन को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। औद्योगिक गलियारे के लिए अभी मात्र 35 हेक्टेयर जमीन की खरीद ही हो पाई है। यहां जमीनों के दाम सर्किल रेट से दस गुना अधिक तक है, जबकि सरकार सर्किल रेट से अधिकतम चार गुना तक दाम देती है। ऐसे में किसान अपनी जमीन देने के लिए तैयार नहीं है। इसके कारण सरकार की कई योजनाएं अधर में लटक गई हैं।

    इन योजनाओं को नहीं मिल रही जमीन

    • सदरपुर, जखैड़ा के पास 245 हेक्टेयर में औद्योगिक गलियारा
    • तीर्थ नगरी में पांच से दस एकड़ जमीन में पर्यटन स्थल
    • तीर्थ नगरी के समीप हेलीपैड़ (छोटी हवाई पट्टी)के लिए पांच हेक्टेयर जमीन
    • शंकराटीला के पास यात्री प्लाजा के लिए 12 एकड जमीन

    रोजगार पर असर

    जिले से हजारों युवा प्रतिदिन एनसीआर क्षेत्र में रोजगार के लिए जाते हैं। यदि समय रहते योजनाअों को अमल में लाया गया तो यहां के युवाओं के लिए रोजगार के नए विकल्प खुल जाएंगे।ऐसे में यहां के युवाओं की नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली अथवा गुरुग्राम तक नौकरी करने वाले युवाओं को काफी राहत मिल जाएगी।

    कुछ योजनाओं के लिए जमीन की खरीद प्रक्रिया जारी है।लेकिन जमीन के बढ़े दामों के कारण कुछ योजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध कराने में परेशानी आ रही है। बावजूद इसके योजनाओं के लिए जमीनों का चयन करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। - राहुल कुमार, तहसीलदार