धीरखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में आग का तांडव : पैकिंग फैक्ट्री में भीषण आग, लाखों का नुकसान, टीन शेड तब पिघला
हापुड़ के धीरखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में एक पैकिंग मैटेरियल फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग लगने से लाखों का नुकसान हुआ है और आसपास के इलाके में दहशत फैल गई। दमकल की गाड़ियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फैक्ट्री पिछले तीन दिनों से बंद थी जिससे बड़ा हादसा टल गया। प्रारंभिक तौर पर आग का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है।

जागरण संवाददाता, हापुड़। हापुड़-मेरठ जिले की सीमा से सटे धीरखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में पैकिंग मैटेरियल बनाने वाली एक फैक्ट्री में रविवार देर रात करीब दस बजे संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई। देखते ही देखते लपटों ने पूरी फैक्ट्री को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे आसपास के इलाके में अफरा-तफरी मच गई। आग इतनी भयावह थी कि मजबूत टीन शेड पिघलकर झुक गया और दीवारों को तोड़ने के लिए बुलडोजर का सहारा लेना पड़ा। सूचना पर हापुड़ और मेरठ जिले की दमकल की पांच गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। दमकलकर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद सोमवार तड़के करीब ढाई बजे आग पर काबू पाया। प्रारंभिक तौर पर आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है।
फैक्ट्री में आग की शुरुआत और भयावहता
थाना व कस्बा पिलखुवा के अंकित तायल की धीरखेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में पैकिंग मैटेरियल बनाने की फैक्ट्री है। रविवार रात करीब दस बजे संदिग्ध परिस्थितियों में आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आग इतनी तेजी से फैली कि कुछ ही मिनटों में पूरी फैक्ट्री लपटों में घिर गई। फैक्ट्री में मौजूद प्लास्टिक सामग्री ने आग को और भड़काने का काम किया। आसपास की फैक्ट्रियों में काम कर रहे मजदूर और मालिक मौके पर पहुंचे, लेकिन आग की तीव्रता देखकर सभी दहशत में आ गए।
दमकल विभाग का कठिन प्रयास
सूचना मिलते ही हापुड़ और मेरठ दमकल विभाग की पांच गाड़ियां तुरंत मौके पर पहुंचीं। लेकिन आग की लपटें इतनी तेज थीं कि उन्हें काबू करना लगभग असंभव हो गया। आग की तीव्रता को देखते हुए अतिरिक्त दमकलकर्मियों को बुलाया गया। दमकलकर्मियों ने घंटों तक आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन टीन शेड और दीवारें आग के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बन रही थीं।
बुलडोजर से तोड़ीं दीवारें
आग की तीव्रता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि फैक्ट्री की मजबूत दीवारें और टीन शेड गर्मी से पिघलकर झुक गए। टीन शेड के नीचे सुलग रही आग तक पानी पहुंचाना मुश्किल हो रहा था। आखिरकार, दमकल विभाग ने बुलडोजर की मदद से फैक्ट्री की ऊंची दीवारें और टीन शेड तोड़े। इसके बाद दमकलकर्मियों ने सीधे लपटों पर पानी डाला, जिससे कई घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद सोमवार तड़के करीब ढाई बजे आग पर काबू पाया जा सका।
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गनीमत रही कि बंद थी फैक्ट्री
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, फैक्ट्री पिछले तीन दिनों से बंद थी। यह एक बड़ी राहत की बात रही, वरना हादसा और भी भयावह हो सकता था। फैक्ट्री परिसर में देखरेख के लिए मौजूद पांच लोग उस समय वहां थे। उन्होंने शुरुआती तौर पर आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन प्लास्टिक सामग्री के कारण आग तेजी से अनियंत्रित हो गई। मजबूरन सभी को अपनी जान बचाकर बाहर भागना पड़ा।
नुकसान का अनुमान व आग का कारण
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, इस हादसे में लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। फैक्ट्री में रखा कच्चा माल, तैयार माल, और मशीनरी सब कुछ जलकर राख हो गया। हालांकि, आग लगने का सटीक कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी अजय शर्मा ने बताया कि हापुड़ और मेरठ के दमकल विभाग की टीमें जांच में जुटी हैं। प्रारंभिक तौर पर शॉर्ट सर्किट या किसी रासायनिक प्रतिक्रिया को आग का कारण माना जा रहा है, लेकिन अंतिम निष्कर्ष जांच के बाद ही सामने आएगा।
भविष्य के लिए सबक
यह हादसा औद्योगिक क्षेत्रों में अग्नि सुरक्षा के महत्व को फिर से रेखांकित करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक जैसी ज्वलनशील सामग्री से निपटने वाली फैक्ट्रियों में आधुनिक अग्निशमन उपकरणों और नियमित सुरक्षा ऑडिट की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन ने भी इस घटना के बाद औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों की जांच तेज करने का आश्वासन दिया है।
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