हापुड़ में गंगा रेड अलर्ट के पार, 36 घंटे में जलस्तर में 25 सेंटीमीटर बढ़ा; गांवों में बाढ़ का खतरा
पहाड़ों में बारिश से गंगा का जलस्तर बढ़ा जिससे किनारे के गांवों में दहशत है। 12 साल बाद गंगा का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है। जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है और बिजनौर से और पानी छोड़े जाने से स्थिति गंभीर है। बाढ़ से फसलें नष्ट हो गई हैं और लोगों को राहत सामग्री दी जा रही है। प्रशासन स्थिति पर नजर रख रहा है।

संवाद सहयोगी, ब्रजघाट। पहाड़ी और मैदानी इलाकों में हो रही वर्षा के कारण करीब 12 वर्षों बाद गंगा के रौद्र रूप के देख तलहटी में बसे गांवों के लोगों में दहशत बरकरार है। एक माह के अंदर गंगा का जलस्तर मात्र दो बार में तीन दिन के लिए रेड अलर्ट से नीचे गया है।
ऐसे में गंगा के किनारे रहने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं। इसी के साथ बिजनौर से बुधवार को एक लाख 93 हजार क्यूसेक पानी और छोड़ दिया गया है, जिसके बाद गंगा का जलस्तर एक बार फिर बढ़ने की पूर्ण संभावना है।
गढ़मुक्तेश्वर गंगा खादर क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक गांव में करीब 40 हजार लोग रहते हैं। इस वर्ष गंगा ने पिछले 12 वर्षो का रिेकार्ड तोड़ दिया है। गंगा का जलस्तर खतरा बिंदू 199.33 को पार करके 199.57 सेंटीमीटर तक पहुंच गया था।
इसके बाद मात्र दो बार में तीन दिनों के लिए गंगा का जलस्तर रेड अलर्ट बिंदू 199.00 सेंटीमीटर से नीचे गया था। इस बीच पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में हो रही वर्षा के कारण गंगा के जलस्तर में वृद्धि होनी शुरू हो गई है।
बुधवार को गंगा का जलस्तर रेड अलर्ट बिंदू पर पहुंच गया। इससे गंगा की तलहटी में बसे एक दर्जन से अधिक गांवों में रहने वाले लोगों के चेहरे पर तनाव साफ दिखाई दे रहा है। इस वर्ष बाढ़ कारण करीब दो हजार बीघा फसल गंगा की चपेट में आकर नष्ट हो गई है।
इसके कारण यहां रहने वाले पशु पालकों के सामने चारे का संकट खड़ा हो गया है तो वहीं जिन घरों में जलभराव होने से खाद सामग्री नष्ट हो गई है।
उनके सामने अपने परिवारों का भरण पोषण करने का संकट खड़ा हो गया है। परेशान लोग दूरदराज से चारे आदि की व्यवस्था कर किसी तरह पशुओं का पेट भर रहे हैं।
राहत सामग्री का किया वितरण
इस बीच पुन: बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन की टीम ने गांवों में जाकर राहत सामग्री का वितरण किया तथा जलभराव की मुसीबत का दंश झेल रहे लोगों की हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। लोगों का कहना है कि हमने अपने जीवन में पहली बार इतने दिनों तक गंगा का रौद्र रूप देखा है।
पहले तो मात्र दो से तीन दिनों में बाढ़ का पानी कम हो जाता था, लेकिन अब एक माह से अधिक का समय हो गया है, लेकिन गंगा का जलस्तर रेड अलर्ट से नीचे नहीं जा रहा है।
इसके कारण यहां रहने वाले लोगों की करीब दो हजार बीघा फसल नष्ट हो गई है तो वहीं पूरे वर्ष अपने स्वजन का पेट पालने का संकट खड़ा हो गया है।
गांवों में तेजी से हो रहा जमीन का कटाव
गंगानगर में चारों तरफ करीब एक माह से जलभराव है। यहां के रहने वाले लोगों का तीर्थ नगरी में आवागमन करने के लिए नाव ही एक मात्र सहारा है।
इस बीच चकलठीरा, गड़ावली, कुदैनी की मंढैया आदि गांवों के पास भी गंगा का पानी तेजी से बढ़ रहा है। इससे इन गांवों की जमीन पर तेजी से कटान हो रहा है। जलभराव के कारण इन गांवों में बीमारी का भी सर्वाधिक खतरा बन रहा है।
गंगा के जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। दो दिन जलस्तर कम रहने के बाद पुन: वृद्धि हुई है। इस बीच ग्रामीणों को राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है।
- श्रीराम यादव, एसडीएम
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