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    करोड़ों की आस्था, फिर भी प्रदूषण का दंश झेल रही गंगा; अधिकारियों और सत्ताधारियों की अनदेखी जारी

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 03:42 PM (IST)

    हापुड़ के गढ़मुक्तेश्वर में मां गंगा अपनी पहचान और करोड़ों की आस्था के बावजूद दुर्दशा का सामना कर रही हैं। सीवर लाइन और एसटीपी के फेल होने के बाद भी क ...और पढ़ें

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    गंगा।

    संवाद सहयोगी, गढ़मुक्तेश्वर (हापुड़)। नगर की पहचान मां गंगा करोड़ों की आस्था साक्षात देवी अपने जिम्मेदारों का दंश झेल रही है। सीवर लाइन और एसटीपी के फेल होने पर दोषी नहीं मिल पाए। अधिकारी हो सत्ता से जुड़े जिम्मेदार अनदेखी कर रहे हैं, जिससे मां गंगा की गोद में फसल बोआई कर रसायनिक खाद डाल कर दूषित किया जा रहा है।

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    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले बनारस के घाट पर मां गंगा को स्वच्छ बनाए जाने के लिए अभियान शुरू करते हुए कहा मुझे मां गंगा ने बुलाया है। इसके बाद जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। जिम्मेदारों की अनदेखी के चलते गंगा लगातार दूषित हो रही है। उस समय और ज्यादा दूषित हुई जब सीवर लाइन का गंदा मैला नालों के द्वारा गंगा में पहुंचा दिया। सवाल उठाए जाते हैं, अनसुना कर दिया जाता है।

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    हद उस समय हो रही है, जब गंगा की गोद में फसल बोते हैं। फसल में रासायनिक खाद डालकर दूषित किया जाता है। सत्ता से जुड़े जिम्मेदार भी अपनी आंख मूंद कर बैठे है। मां गंगा में आस्था दिखाकर पूजा अर्चना तो करते है। प्रधानमंत्री के महत्वपूर्ण स्वच्छ गंगा निर्मल गंगा मिशन से कोई सरोकार नहीं है।

    गंगा में जा रहा मैला

    गढ़ ब्रजघाट के अलावा क्षेत्र के गांव नयागांव इनायतपुर,अब्दुल्लापुर,रामपुर न्यामतपुर, शाकरपुर,बलवापुर, लठीरा, नयाबास, गड़ावली, कृष्णा वाली, कुदैनी वाली, काकाठेर, नवादा, पूठ, शंकरा टीला, चितौड़ा सहित गांवों की आबादी का गंदा पानी सीधे गंगा में जाता है।