गंगा एक्सप्रेसवे औद्योगिक गलियारे पर लगा 'ब्रेक', सर्किल रेट से कई गुना महंगी जमीन बना संकट
उत्तर प्रदेश में गंगा एक्सप्रेसवे औद्योगिक गलियारे के निर्माण में बाधा आ रही है। हापुड़ में सर्किल रेट से कई गुना महंगी जमीन होने के कारण भूमि अधिग्रह ...और पढ़ें

गंगा एक्सप्रेसवे। जागरण
ध्रुव शर्मा, गढ़मुक्तेश्वर। गंगा एक्सप्रेसवे पर आवागमन जल्द शुरू होने वाला है। साथ ही, आस-पास के क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां बढ़ जाएंगी। शासन ने गंगा एक्सप्रेसवे के दोनों किनारों पर स्थान की उपलब्धता और उपयोगिता के आधार पर औद्योगिक गलियारा बनाने की तैयारी की थी। इसमें हापुड़ में दो औद्योगिक गलियारे बनाए जाने हैं। इनके लिए 240 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। स्थिति यह है कि जिले में सर्किल रेट बहुत कम है। गंगा एक्सप्रेसवे के आस-पास की जमीनों की कीमत सर्किल रेट से चार से पांच गुना कीमत हो गई है। इससे उद्योगपतियों को जमीन नहीं मिल पा रही है। जमीन के अधिग्रहण का कार्य अटक गया है। इसके लिए अभी तक करीब 38 हेक्टेयर जमीन के बैनामे प्रशासन ने करा लिए हैं, लेकिन जमीनों के दामों में आए भारी उछाल के बाद अब इस गलियारे पर बादल के संकट छा रहे हैं।
मुख्य बिंदुओं पर एक नजर
- स्थान : हापुड़ जिले में, गंगा एक्सप्रेसवे के दोनों ओर, विशेष रूप से मेरठ-हापुड़ रोड के पास।
- गांव : बहादुरगढ़, भैना, सदरपुर, चुचावली, जखैड़ा (गढ़मुक्तेश्वर तहसील) आदि गांवों में जमीन चिह्नित की गई है।
- परियोजना का प्रकार : इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग एंड लाजिस्टिक्स क्लस्टर, फार्मा पार्क, टेक्सटाइल पार्क।
- विकास एजेंसी : उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा)।
- उद्देश्य : नए उद्योग स्थापित करना, रोजगार पैदा करना, लाजिस्टिक्स हब बनाना और आर्थिक विकास को गति देना।
- वर्तमान स्थिति : पहले चरण में कुछ भूमि का अधिग्रहण हो चुका है, दूसरे चरण की तैयारी चल रही है, लेकिन किसानों से जमीन की खरीद और बढ़ी हुई जमीन की दरों के कारण प्रक्रिया धीमी है।
निवेश और लाभ
- अमेरिका, जापान जैसी विदेशी कंपनियों ने भी जमीन मांगी है।
- यह गलियारा हापुड़ को एक महत्वपूर्ण औद्योगिक और लाजिस्टिक्स हब बनाएगा, जिससे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
गढ़मुक्तेश्वर तहसील क्षेत्र के करीब 22 गांवों से गंगा एक्सप्रेसवे गुजर रहा है। यह एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो चुका है। इसके ट्रायल की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। गंगा एक्सप्रेसवे के निकट सदरपुर, चुचावली, ठेरा, भैना आदि के पास करीब दो साल पहले 130 हेक्टेयर में औद्योगिक गलियारा बनाने का प्रस्ताव पास हुआ था। गंगा एक्सप्रेसवे बनने के बाद यहां की जमीनों के दाम में अचानक तेजी से उछाल आने शुरू हो गए। देखते ही देखते जमीन के दामों में सर्किल रेट से दस गुना अधिक की वृद्धि हो गई। प्रशासन ने किसी तरह किसानों को समझा बुझाकर करीब 30 हेक्टेयर जमीन के बैनामे करा लिए। करीब एक वर्ष बाद पुन: इसका विस्तार करते हुए जखैड़ा, सलोनी गांव के पास तक 110 हेक्टेयर में दूसरा औद्योगिक गलियारा बनाए जाने का प्रस्ताव पास कर दिया।
चार जिले के युवाओं को मिलेगा रोजगार
औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन का चयन गढ़मुक्तेश्वर से स्याना मार्ग भैना गांव के पास किया गया है। यहां से वर्तमान में हाईवे से बुलंदशहर की सीमा मात्र चार किलोमीटर, अमरोहा की सीमा 14 किलोमीटर तो मेरठ की सीमा 24 किलोमीटर की दूरी रह जाती है। जबकि गंगा एक्सप्रेसवे से यह दूरी घटकर चंद किलोमीटर की रह जाती है। ऐसे में यहां औद्योगिक गलियारा बनने पर चार जिले के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलना तय है।
"जमीन के बैनामे कराने के लिए समय-समय पर किसानों से वार्ता की जाती है। इसमें किसी हद तक हम सफल भी हुए हैं। इस प्रयास को और अधिक गति दी जाएगी तथा किसानों से वार्ता कर समस्या को हल करने का पूर्ण प्रयास किया जाएगा। रेट में अंतर ज्यादा होने से अधिग्रहण में परेशानी आ रही है।"
-श्रीराम यादव, एसडीएम
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