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    Hapur Air Pollution: हवा चलने से हापुड़ की आबोहवा में सुधार, लेकिन इलाका अभी रेड जोन में; कैसे होगा सुधार?

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 06:04 PM (IST)

    हवा चलने से हापुड़ में वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी आई है, लेकिन हवा अभी भी रेड जोन में है। लोगों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं और मास्क लगाने ...और पढ़ें

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    हवा चलने से हापुड़ में वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी आई है, लेकिन हवा अभी भी रेड जोन में है। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, हापुड़। हवा चलने से शुक्रवार को वायु प्रदूषण में थोड़ी कमी आई। प्रदूषण की सघन परत थोड़ी हल्की पड़ी और प्रदूषण का ग्राफ शाम तक कम होता गया। हालांकि जिले की हवा अभी भी रेड जोन में है और खुले में सांस लेने लायक नहीं है। ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं घरों से बाहर निकलते समय मास्क लगाने पर जोर दिया जा रहा है।

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    इस सप्ताह प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा रहा। पांच नवंबर को प्रदूषण का स्तर साढ़े चार सौ से ज्यादा रहा। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की साइड पर रात में तीन बजे जिले का एक्यूआइ 463 तक पहुंच गया था। चार दिन से हवा का प्रवाह बढ़ता रहा है। उससे एक्यूआइ में कमी आनी शुरू हो गई। यह सुबह नौ बजे 244 पर आ गया।

    इसके हवा के साथ ही प्रदूषण में कमी होती रही। शाम को चार बजे यह 219 और सात बजे 216 पर आ गया। यानि हवा की स्थिति में सुधार होने का क्रम जारी है। इसके बावजूद वायु प्रदूषण की यह स्थिति रेड जोन में है। यह सेहत के लिए बेहद घातक है। ऐसे में खुली हवा में सांस लेना घातक हो सकता है।

    एक्यूआइ के साथ ही पीएम पर भी ध्यान दें

    जिले की हवा की गुणवत्ता में सुधार होता हुआ जरूर दिख रहा है, लेकिन वास्तव में हवा जहरीली बनी हुई है। प्रदूषण का सबसे घातक घटक पीएम- पार्टीकुलेंट मैटर होता है। यह चार श्रेणियों में होता है, लेकिन सामान्यतया दो श्रेणियों की ही निगरानी की जाती है। इनमें पीएम-10 के कण मोटे होते हैं। वह नांक के बाल, मास्क व फेफड़ों में रुक जाते हैं। ऐसे में सावधानी बरतने पर इनसे बचाव संभव है। जिले में वह 50 एसपीएम के सापेक्ष 415 हैं, जोकिन बहुत ज्यादा है।

    इनसे भी ज्यादा घातक होते हैं पीएम-2.5 कण। यह महीने होने के चलते नांक के बाल और मास्क से नहीं रुक पाते हैं। ऐसे में इनके फेफड़ों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाने की आशंका ज्यादा रहती है। हवा में इनका स्तर 300 से ज्यादा है। जोकि छह गुना से भी अधिक है।

    एक्यूआइ में भले ही कमी होती दिख रही हो, लेकिन यह सामान्य से करीब चार गुना है। ऐसी हवा में सांस लेने से कई प्रकार के घातक कण शरीर में पहुंचने की आशंका रहती है। मास्क लगाकर रहें और पानी का ज्यादा सेवन करें। लापरवाही सेहत पर भारी पड़ सकती है।
    - विपुल कुमार, एसडीओ- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड।