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    Hapur Crime: धौलाना तहसील में भ्रष्टाचार का खुलासा, एसडीएम...तहसीलदार और राजस्व कर्मी दोषी

    Updated: Sat, 11 Jan 2025 01:39 PM (IST)

    Hapur News हापुर की धौलाना तहसील में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। एसआईटी जांच में तत्कालीन एसडीएम तहसीलदार और राजस्व कर्मियों को दोषी पाया गया है। इन पर मनमाने तरीके से सरकारी जमीन बेचने धारा-80 का दुरुपयोग करने और मानकों को दरकिनार कर फैसले लेने के आरोप हैं। शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की तैयारी है।

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    हापुड़ में अब खुलेंगी भ्रष्टाचार की परत: तहसील प्रशासन के करप्शन की भेंट चढ़े सैकड़ों निर्दोष। प्रतीकात्मक फोटो

    जागरण संवाददाता, हापुड़। UP News: धौलाना तहसील के अधिकारियों ने मनमाने तरीके से प्रॉपर्टी डीलर की तरह व्यवहार किया। एक ओर जहां चहेतों को सरकारी जमीन बेच डाली, वहीं मनमाने तरीके से धारा-80 की कार्रवाई की गई। अधिकारियों ने 38(2) की कार्रवाई में मानकों को दरकिनार कर दिया।

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    सड़कों के किनारों की कीमती जमीन को मोटी धनराशि लेकर भू-माफियाओं को बेच दिया। उसके बावजूद तहसील प्रशासन को जिले के जिम्मेदार अधिकारियों का संरक्षण मिलता रहा। जिससे परेशान लोगों कह कहीं पर सुनवाई नहीं हुई।

    यहां तक की पहले दो बार हुई एसआईटी की जांच को भी बाहर नहीं आने दिया गया। अब तीसरी बार गठित एसआइटी और राजस्व विभाग के विशेष सचिव की जांच में तहसील प्रशासन दोषी पाया गया है। ऐसे में तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार व अन्य राजस्व कर्मियों पर कार्रवाई की गाज गिरना तय माना जा रहा है।

    शुरुआत में एसडीएम और तहसीलदार ही बनाए गए थे आरोपी

    धौलाना के तत्कालीन एसडीएम और उनके सहकर्मियों द्वारा जिस प्रकार भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया। अब उसकी परत खुलने का समय अब आ गया है। SIT के साथ ही शासन के राजस्व विभाग ने भी इस मामले की समानांतर जांच की थी।

    इस मामले में राजस्व विभाग के विशेष सचिव ने आरोपित एसडीएम और उनके स्टाफ को लखनऊ तलब भी किया था। इनको अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका दिया गया था। प्रारंभिक शिकायत में एसडीएम और तहसीलदार ही आरोपित बनाए गए थे।

    उसके बाद एसआईटी ने इनके बयान दर्ज किए। दोनों अधिकारियों के बयानों के आधार पर तहसील में कार्यरत अन्य राजस्व कर्मियों को भी आरोपित बनाया गया। अब सभी को दोषी करार दे दिया गया है।

    यह है मामला

    धौलाना तहसील में दो साल से भ्रष्टाचार का खुला खेल चल रहा था। इसका आरोप तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और अन्य राजस्व कर्मियों पर था। तहसील के अधिवक्ताओं और धौलाना विधायक का आरोप था कि जिला मुख्यालय के अधिकारियों व एसडीएम के संरक्षण में मनमानी की जा रही है।

    मानकों को ताक पर रखकर वसूली करके फैसले लिए जा रहे हैं। एसडीएम ऑफिस पूरी तरह से दलालों के कब्जे में है। वह उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद की धारा- 80 में खेल करके लोगों से मनमानी धनराशि वसूल रहे हैं।

    मानकों को ताक पर रखकर धारा-80 की करीब 800 फाइल कर दी गईं हैं। इनका रिकॉर्ड भी छिपा दिया गया है। इसकी शिकायत लगातार जिला प्रशासन से की गई, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। आरोप है कि जिले के अधिकारियों के संरक्षण में धड़ल्ले से भ्रष्टाचार होता रहा।

    शासन से की गई थी शिकायत

    भ्रष्टाचार का खुला खेल होने की शिकायत पर जब स्थानीय अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया तो लोगों ने शासन का रुख किया। अधिवक्ताओं और धौलाना विधायक धर्मेश तोमर ने इसकी शिकायत शासन से की। इसके बाद एसडीएम का तबादला गाजियाबाद सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर हो गया और तहसीलदार को पुरस्कृत कर धौलाना से हापुड़ तैनात कर दिया गया।

    इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने त्रिस्तरीय जांच आरंभ कराई। एक जांच जिला स्तरीय कमेटी को । वहीं दूसरी जांच एसआईटी ने मंडलायुक्त मेरठ के नेतृत्व में कारंभ की थी। मंडलायुक्त कार्यालय के अधिकारियों की टीम ने पांच घंटे तक तहसील का रिकार्ड खंगालकर घपलेबाजी की महत्वपूर्ण फाइल और दस्तावेज को तलाश किया था।

    शासन की हुई बड़ी किरकिरी

    धौलाना तहसील में भ्रष्टाचार का मामला बेहद गंभीर है। इससे शासन की छवि को बड़ा धक्का लगा है। अधिकारियों की मनमानी और भ्रष्टाचार के शिकार लोग कार्रवाई नहीं होने पर शासन की कड़ी निंदा कर रहे थे। इसके चलते शासन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया था। राजस्व विभाग के विशेष सचिव रामकेवल ने इसकी जांच की थी।

    एसआईटी के साथ ही शासन की जांच में धौलाना के तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार और राजस्व कर्मियों को दोषी करार दिया है। इससे लोगों में शासन का विश्वास जगा है। धारा-80 (कृषि भूमि को अकृषि घोषित करने ) से संबंधित रिकॉर्ड को भी लखनऊ मंगवा लिया गया है।

    तहसील सूत्रों का कहना है कि शिकायत में भ्रष्टाचार के नौ बिंदुओं में चर्चित मामलों को उठाया गया था। अब गहनता से जांच होने पर भ्रष्टाचार की परत खुल रही हैं। इसमें भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों के साथ ही उनको संरक्षण देने वाले भी बेनकाब हो सकेंगे।

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