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Hapur: नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में धांधली मामले में चुनाव याचिका निरस्त, प्रफुल्ल सारस्वत जीते केस

Hapur Municipality Chairman Election वर्ष 2017 में नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था। चुनाव की मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए निर्दलीय प्रत्याशी रहे मनीष सिंह मोनू ने न्यायालय में चुनाव याचिका दायर की थी।

By Shubham GoelEdited By: GeetarjunPublished: Sat, 01 Oct 2022 05:12 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 05:12 PM (IST)
Hapur: नगर पालिका अध्यक्ष पद के चुनाव में धांधली मामले में चुनाव याचिका निरस्त, प्रफुल्ल सारस्वत जीते केस
नगर पालिका अध्यक्ष प्रफुल्ल सारस्वत और मनीष सिंह मोनू।

हापुड़, जागरण संवाददाता। वर्ष 2017 में नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ था। चुनाव की मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए निर्दलीय प्रत्याशी रहे मनीष सिंह मोनू ने न्यायालय में चुनाव याचिका दायर की थी। लगभग चाढ़े चार साल बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मृदुब दुबे ने मोनू की याचिका को निरस्त कर दिया है। जिसके बाद वर्तमान नगर पालिकाध्यक्ष प्रफुल्ल सारस्वत केस (वाद) जीत गए हैं। इस निर्णय के बाद आने वाले नगर निकाय चुनाव की स्थितियों में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं।

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उक्त चुनाव में भाजपा ने प्रफुल्ल सारस्वत को प्रत्याशी बनाया था। जबकि, मनीष सिंह मोनू निर्दलीय चुनाव लड़े थे। चुनाव के दौरान दोनों के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। मतगणना के बाद प्रफुल्ल सारस्वत को 29740 और मोनू को 29050 मत मिले थे। कांटे की टक्कर के बाद मोनू ने मतगणना में धांधली का आरोप लगाते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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फिर से मतगणना की मांग की

प्रफुल्ल सारस्वत के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश चंद वशिष्ठ, उर्वशी सिंह और आबिद नबी ने बताया कि दिसंबर 2017 में मनीष के वरिष्ठ अधिवक्ता पेशनवाज साहब द्वारा प्रफुल्ल सारस्वत के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। जिसमें फिर से मतगणना की मांग शामिल थी।

इस तरह की जा सकती है दोबारा मतगणना

अधिवक्ता आबिद नबी ने बताया कि चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार किसी उम्मीदवार या उसके निर्वाचन अभिकर्ता, गणना अभिकर्ता के लिखित प्रार्थना-पत्र पर रिटर्निंग अधिकारी द्वारा निर्वाचन परिणाम घोषित किए जाने से पूर्व मतों की फिर से संपूर्ण या आंशिक गणना की जा सकती है। लेकिन रिटर्निंग अधिकारी किसी ऐसे प्रार्थना पत्र को जो उसे गलत तथ्यों पर आधारित या व्यर्थ पड़े अस्वीकृत करने के साथ ही उसी समय अस्वीकार कर सकता है।

इसी आधार पर मोनू का प्रार्थना-पत्र रिटर्निंग अधिकारी द्वारा निरस्त कर दिया गया। जिससे क्षुब्ध होकर मनीष द्वारा एक चुनाव याचिका चुनाव प्राधिकरण/जिला जज के यहां प्रस्तुत की गई थी।

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न्यायालय ने यह निर्णय सुनाया

अधिवक्ता आबिद नबी ने बताया कि वादी के अधिवक्ता द्वारा एक प्रार्थना पत्र दिया गया। जिसमें याची ने अपनी उक्त चुनाव याचिका पर बल नहीं देना चाहता बताया। अत: बल ना देने पर उपरोक्त याचिका को निरस्त करने की प्रार्थना की थी। इसके बाद उपरोक्त चुनाव याचिका निरस्त कर दी गई।

यह कहते हैं दोनों पक्ष

सत्य की विजय हुई है। देर से ही सही, लेकिन सत्य हमेशा जीतता है। - प्रफुल्ल सारस्वत, अध्यक्ष, नगर पालिका परिषद

मैंने पूरी लड़ाई लड़ी है। अब निकाय चुनाव में मात्र कुछ दिनों का ही समय रह गया है। ऐसे में याचिका को निरस्त करने के लिए आवेदन किया था। - मनीष सिंह मोनू

जिले में रहा था चर्चा का विषय

नगर पालिका चुनाव के परिणाम के बाद उस समय यह मामला चर्चा का विषय बना था। लोगों में तमाम प्रकार की चर्चाएं थीं। राजनीतिक दलों ने एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए थे। उधर, पिलखुवा नगर पालिका के अध्यक्ष पद की पुन: मतगणना को लेकर आज भी न्यायालय में मामला विचाराधीन है।

विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर रहे मोनू

इसी वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मनीष सिंह मोनू बसपा से चुनाव लड़े थे। लगभग 50 हजार मत उन्हें मिले थे। भाजपा के वर्तमान विधायक विजयपाल आढ़ती ने लगभग 47 हजार मत से मोनू को हराया था।


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