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    हापुड़ से सामने आई चौंकाने वाली रिपोर्ट, लोगों को डरा रहा अस्थमा के मरीजों का ये आंकड़ा

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 10:10 AM (IST)

    हापुड़ जिले में पिछले पांच सालों में अस्थमा के मरीजों की संख्या में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण प्रदूषण और कोरोना के कारण फेफड़ों में कमजोरी है। सरकारी अस्पतालों में इन्हेलर बांटे गए हैं, लेकिन छाती रोग विशेषज्ञ की कमी है। चिकित्सकों के अनुसार, प्रदूषण और धूल के कण सांस की नलिकाओं में संक्रमण फैलाते हैं, जिससे मरीजों को खांसी और छाती में जकड़न जैसी समस्याएं होती हैं। कोरोना ने भी फेफड़ों को कमजोर किया है।  

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    मुकुल मिश्रा, हापुड़। हापुड़ जिले में पिछले पांच वर्षों में अस्थमा के मरीजों की संख्या में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो इसका मुख्य कारण पिछले वर्षों में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण का स्तर है, साथ ही कोरोना वायरस के दौरान फेफड़ों में आई कमजोरी है। जिसके कारण ही लगातार अस्थमा के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

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    सरकारी अस्पतालों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पिछले पांच वर्षों में करीब 2.11 लाख इन्हेलर बांटे जा चुके हैं। इस वर्ष 7579 नए मरीज चिह्नित हुए हैं। वहीं, दूसरी ओर जिले के सरकारी अस्पतालों में आज तक एक भी छाती रोग विशेषज्ञ की तैनाती नहीं हो सकी है। ऐसे में मरीजों का उपचार फिजीशियन द्वारा ही किया जाता है।

    सीएचसी में तैनात फिजीशियन डॉ. अशरफ अली ने बताया कि प्रदूषण में उड़ने वाले धूल के कण सांस नलिकाओं में जाने से संक्रमण फैलता है। इस हालत में मरीज को पीला बलगम, खांसी, छाती में जकड़न, छाती में हल्के दर्द की शिकायत रहती है। सांस रोगियों में सीने में दर्द, सांस लेने में परेशानी, कुछ दूरी तय करने पर सांस फूलने जैसी समस्याएं होती हैं।

    मौसम में सर्दी बढ़ने से पुराना मर्ज भी उखड़ जाता है। जिसके कारण मरीजों की समस्या बढ़ रही है। जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, वैसे-वैसे की सांस के मरीजों की समस्या भी बढ़ जाएगी।

    उन्होंने बताया कि सर्दियां शुरू होते ही प्रदूषण का स्तर भी बढ़ना शुरू हो गया है। वातावरण में धूल और धुआं उड़ रहा है, जिससे सबसे अधिक समस्या बढ़ती है। ऐसे में अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है, सांस के मरीजों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। घर से बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग अवश्य करें। चिकित्सक की सलाह लेकर अस्थमा के मरीज इन्हेलर की डोज के बढ़ा दें। यदि किसी मरीज ने दवाई लेना बंद कर दिया है तो तत्काल पहले चिकित्सक से परामर्श लें और अपनी दवाइयों को शुरू कर लें।

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    कोरोना ने फेफड़े किए कमजोर

    डॉ. अशरफ अली ने बताया कि पिछले वर्षों में फैले कोरोना संक्रमण ने व्यक्ति के फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे व्यक्ति के फेफड़े काफी कमजोर हुए हैं। काफी मरीजों के फेफड़ों में बब्लस (छोटे गुब्बारे) तक बन गए हैं, कई ऐसे मरीजों का आपरेशन तक हो चुका है। फेफड़ों में हुए बब्लास का आपरेशन होना बेहद जरूरी है। इसके अलावा फेफड़ों की सूक्ष्म नलिकाएं बंद होने की समस्या भी कोरोना संक्रमण के बाद आई है।

    पिछले वर्षों में सरकारी अस्पतालों में पहुंचे सांस के मरीज

    वर्ष मरीजों की संख्या
    2021 22411
    2022 32333
    2023 43422
    2024 55148
    2025 (अब तक) 62727

    पिछले वर्षों में सांस के चिह्नित किए गए रोगी व वितरित किए गए इन्हेलर

    वर्ष सांस के मरीज वितरित किए इन्हेलर

    2021 4255 18657
    2022 4832 32451
    2023 5152 43121
    2024 6538 59867
    2025 7943 57246

    अस्थमा के मरीजों को जिले के सरकारी अस्पतालों में बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। अस्थमा के मरीजों के लिए पर्याप्त मात्रा में इन्हेलर समेत बीमारी से संबंधित दवाइयां उपलब्ध हैं। - डा. सुनील कुमार त्यागी, सीएमओ