जलाभिषेक का विशेष महत्व
जागरण संवाददाता, हापुड़ भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जल पवित्रता का
जागरण संवाददाता, हापुड़
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक का विशेष महत्व है। जल पवित्रता का सूचक है। इसीको भगवान को अर्पित करके श्रद्धालु भगवान से अपने मन की पवित्रता, स्वच्छता व हृदय में सद्भावना की कामना करते हैं। शिव संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ कल्याण है। भगवान शिव की आराधना अनादि काल से चली आ रही है। हर मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए शिव की आराधना की जाती है।
उन्होंने बताया कि अनेक वस्तुओं से भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। जैसे की दुग्धाभिषेक पुत्र प्राप्ति के लिए, दही का अभिषेक स्नेह के लिए, घी का अभिषेक, प्रेम वृद्धि के लिए, शहद का अभिषेक धन के लिए, गन्ने के रस का अभिषेक व्यापार वृद्धि के लिए, गिलोय रस रोग नाश के लिए, बेल का रस सम्मान प्राप्ति के लिए किया जाता है।
बरती जाने वाली सावधानियां
* पंचामृत चढ़ाने के पश्चात जल अवश्य चढ़ाएं
* शिव¨लग पर रोली न चढ़ाकर चंदन चढ़ाएं
* खंडित बेलपत्र न चढ़ाएं
*जलाभिषेक के समय सबसे प्रथम गणेश जी, नंदी जी, कार्तिकेय, गौरीजी उसके पश्चात शिव¨लग की क्रमपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
* शिवजी के जलअहरी का जल न लांघना चाहिए और न पीना चाहिए।
* प्रत्येक वैष्णव को नारायण भक्ति के लिए शिव की आराधना करनी चाहिए।
कैसे करें भगवान शिव की पूजा
पंडित संतोष तिवारी ने बताया कि भगवान शिव की शास्त्रीय पूजा विधि में सबसे प्रथम जल के द्वारा भगवान शिव परिवार आदि का जलाभिषेक करें। उसके बाद पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, बूरा को क्रम पूर्वक चढाएं। पुन:शुद्ध जल से स्नान कराकर वस्त्र आदि अर्पण करें। चंदन, अक्षत, पुष्पमाला, बेलपत्र, धूप दीप, प्रसाद सामग्री, फल, पान आदि सर्मिपत करें। क्षमा याचना करते हुए पुष्पांजलि भगवान को समर्पित करनी चाहिए।
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