व्यवस्था बदहाल, जनता बेहाल! प्रसव पीड़ा से कराहती रही महिला, 3 किमी बैलगाड़ी से एंबुलेंस तक पहुंचे स्वजन
यूपी में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का एक और मामला सामने आया। हमीरपुर में प्रसव पीड़ा से जूझ रही एक महिला के लिए एंबुलेंस घर तक नहीं पहुंची। कीचड़ और गड्ढों भरे रास्ते से बैलगाड़ी से ले जाकर एंबुलेंस तक पहुंचाया गया।

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। कहने को तो पूरे प्रदेश की सड़कों में गड्ढे तक नहीं हैं, लेकिन हकीकत देखकर मन बैठ जाता है। ऐसा ही कुछ फिर एक बार मौदहा विकासखंड के छानी गऊघाट गांव के परसदवा का डेरा में मंजर देखने को मिला। जहां आजादी के बाद से आज तक पक्की सड़क नहीं बनी। जिससे ग्रामीण बीमारी या महिलाओं के प्रसव पीड़ा होने पर बैलगाड़ी को ही अपना सहारा बनाते हैं।
रविवार को गांव की एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। सड़क में कीचड़ होने के कारण एंबुलेंस घर तक भी जा सकी। जिस पर स्वजन उसे बैलगाड़ी से लेकर तीन किमी दूर खड़ी एंबुलेंस के पास पहुंचे तथा फिर वहां से उसे अस्पताल ले जाया गया। दो माह पूर्व ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट में आकर प्रदर्शन कर सड़क बनवाने की मांग भी की थी। लेकिन जिला प्रशासन आश्वासन के बाद मौन बना हुआ है।
वर्ष 1947 में देश आजाद तो हो गया था, लेकिन आज भी कुछ ऐसे दृश्य आंखों के सामने आ जाते हैं कि दिल को झकझोर देते हैं। यही हाल है हमीरपुर जिले के मौदहा तहसील के परसदवा का डेरा का। जहां आजादी के बाद से आज तक पक्की सड़क नहीं बन सकी है। गांव की तीन किमी सड़क कीचड़ से भरी हुई है। जिससे ग्रामीणों को परेशानियों का दंश झेलना पड़ रहा है। रविवार की सुबह कुछ ऐसा ही दृष्य देखने को मिला जहां पर एक प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को गांव तक एंबुलेंस न आने के चलते उसके वृद्ध ससुर कृष्ण कुमार बहू रेशमा को बैलगाड़ी में लादकर ले जाते दिखा।
परसदवा का डेरा निवासी राजेंद्र कुमार ने बताया कि उनके गांव की तीन किलोमीटर सड़क बिल्कुल दलदल से भरी रहती है। जिससे गांव में कोई भी साधन नहीं आ पाते हैं और न ही एंबुलेंस आती है। बताया कि रविवार की सुबह उनके छोटे भाई हरिपाल की 23 वर्षीय पत्नी रेशमा को प्रसव पीड़ा होने लगी तो उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया। लेकिन एंबुलेंस खराब रास्ता के कारण नहीं आ सकी। जिस पर दर्द से कराहती महिला को बैलगाड़ी में लेकर करीब तीन किमी भटुरी गांव तक पहुंचे। जहां से एंबुलेंस मिल सकी तब जाकर उसे अस्पताल पहुंचाया। खराब रास्ता होने के कारण समय से उपचार न मिल पाने से कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ चुके हैं। फिर भी प्रशासन मौन साधे हुए है तथा और जान जाने की राह ताक रहे हैं।

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