Updated: Sat, 16 Nov 2024 07:35 PM (IST)
एसएनसीयू वार्ड के गेट पर ही बिजली का पूरा पावर हाउस बना दिया गया है। अगर कोई भी फाल्ट या शार्ट सर्किट होता है तो किसी भी बड़ी घटना के होने से इंकार नही किया जा सकता है। यहां पर अधिकतर समय महिलाएं ही रहती हैं ऐसी घटनाओं में काबू पाने के लिए यहां पर खास इंतजाम की जरूरत है।
जागरण संवाददाता, हमीरपुर। झांसी मेडिकल कालेज में आग से 10 नवजात शिशुओं की मौत की घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। विभागीय लापरवाही के चलते हुई इस घटना ने सारे इंतजामों की पोल खोलकर रख दी है। कुछ यही हाल हमीरपुर के जिला अस्पताल में स्थित एसएनसीयू वार्ड का भी है।
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12 बेड वाले इस वार्ड में सिर्फ एक अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है। इसके साथ ही यहां पर न तो फायर अलार्म हैं और न ही कोई और सुरक्षा के कोई खास इंतजाम हैं। जिसके कारण यहां भर्ती होने वाले बच्चों को भी खतरा बना रहता है।
11 बच्चे थे अस्पताल में भर्ती
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दैनिक जागरण की टीम ने शनिवार को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड की पड़ताल की। 12 बेड वाले इस वार्ड में मौजूदा समय में कुल 11 बच्चे भर्ती पाए गए। वार्ड के अंदर जाने पर पता चला कि यहां पर सिर्फ एक ही अग्निशमन यंत्र लगा हुआ है। जबकि इसकी संख्या अधिक होने चाहिए।
वहीं वार्ड के बाहर गैलरी व अन्य स्थानों में कुल सात अग्निशमन यंत्र लगे मिले। स्तनपान कक्ष में भी एक भी अग्निशमन लगा नहीं मिला। अगर यहां पर कोई आग की घटना होती है तो उस पर काबू पाने के कोई ठोस इंतजाम अस्पताल प्रबंधन के द्वारा अभी तक नहीं किए गए हैं।
आपातकालीन द्वार तो खुलता, चैनल में रहता है ताला
एसएनसीयू वार्ड में सिर्फ एक ही आपातकालीन द्वार है। यह द्वार तो खुलता है, लेकिन इसके आगे जाने वाले रास्ते में तालाबंदी है। अगर अचानक कोई घटना होती है तो न तो बच्चे सुरक्षित निकल सकते हैं और न ही स्टाफ के लोग और तीमारदार। मुख्य द्वार पर लगे चैनल में जड़ा ताला आपातकालीन द्वार का अवरोध बना हुआ है।
24 घंटे रहती हैं डाक्टर व स्टाफ नर्स की ड्यूटी
एसएनसीयू वार्ड में 24 घंटे एक डाक्टर, दो स्टाफ नर्स व एक वार्ड ब्वाय की ड्यूटी रहती है। इसके साथ ही गेट पर दो चौकीदार भी रहते हैं, लेकिन आगजनी से निपटने के लिए कोई खास इंतजाम अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं किए गए हैं। जिसके कारण खतरा अधिक है।
गेट पर ही बना दिया गया है बिजली का पावर हाउस
एसएनसीयू वार्ड के गेट पर ही बिजली का पूरा पावर हाउस बना दिया गया है। अगर कोई भी फाल्ट या शार्ट सर्किट होता है तो किसी भी बड़ी घटना के होने से इंकार नही किया जा सकता है। यहां पर अधिकतर समय महिलाएं ही रहती हैं ऐसी घटनाओं में काबू पाने के लिए यहां पर खास इंतजाम की जरूरत है।
वहीं जिला अस्पताल में बीते कई माह से फायर फाइटिंग का काम चल रहा है, लेकिन अभी तक यह पूरा नहीं हो सका है। जल्द ही इसके पूरा होने की संभावना जताई जा रही है। इस काम के बीच अगर कोई घटना होती है तो अस्पताल को बड़ा नुकसान हो सकता है।
एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किए गए बच्चों की पूरी देखरेख की जाती है। इमरजेंसी द्वार भी खुला रहता है। इसके अलावा आग बुझाने के लिए पर्याप्त अग्निशमन यंत्र भी लगे हुए हैं। फायर फाइटिंग का भी काम चल रहा है। जिससे आगे चलकर सहूलियत मिलेगी।
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