Move to Jagran APP

बसपा ने हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट से घोषित किया प्रत्याशी, मायावती ने ब्राह्मण नेता पर लगाया दांव

हमीरपुर-महोबा तिंदवारी संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा ने नामांकन के ठीक एक दिन पहले अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थामने वाले निर्दोष कुमार दीक्षित को मौका दिया है। वहीं जातीय समीकरणों के उलटफेर से चुनावी महासमर में बसपा रसातल पर पहुंच चुकी है। अब यह पार्टी चुनावों में वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Published: Thu, 25 Apr 2024 08:25 AM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2024 08:25 AM (IST)
बसपा ने हमीरपुर-महोबा लोकसभा सीट से घोषित किया प्रत्याशी, मायावती ने इस नेता पर जताया भरोस

जागरण संवाददाता, हमीरपुर। (Lok Sabha Election 2024) हमीरपुर-महोबा तिंदवारी संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव को लेकर बसपा ने नामांकन के ठीक एक दिन पहले अपना प्रत्याशी मैदान में उतारा है। पार्टी ने कांग्रेस छोड़कर बहुजन समाज पार्टी का दामन थामने वाले निर्दोष कुमार दीक्षित को मौका दिया है।

loksabha election banner

वहीं जातीय समीकरणों के उलटफेर से चुनावी महासमर में बसपा रसातल पर पहुंच चुकी है। अब यह पार्टी चुनावों में वजूद बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। वहीं ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने के पीछे पार्टी का मकसद वोट बैंक बढ़ाना है।

बुधवार की रात नौ बजे बसपा के प्रत्याशी की घोषणा के बाद सभी पार्टियों में हलचल है। क्योंकि बहुत समय बाद किसी पार्टी ने ब्राह्मण प्रत्याशी को मौका दिया है। वहीं राजनीति के जानकार एडवोकेट विजय द्विवेदी के मुताबिक बसपा से ब्राह्मण को टिकट दिए जाने से सीधे नुकसान सपा-कांग्रेस के गठबंधन को हो सकता है।

इसका कारण है कि महोबा व हमीरपुर का नाराज ब्राह्मण मतदाता यदि भाजपा से नाराज होकर गठबंधन में जाता तो इसका सीधा फायदा सपा को मिलता। लेकिन अब बसपा ने प्रमुख दलों का समीकरण बिगाड़ दिया है। इस संसदीय सीट पर सबसे लंबे समय तक कांग्रेस का राज रहा। निर्दोष कुमार एक किसान हैं। वह तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। इनके एक बेटा निर्णय और एक बेटी अंशिका है। पिता प्राइवेट चिकित्सक के रूप में स्वयं का नर्सिंगहोम संचालित करते हैं।

पहली बार बसपा ने साइकिल को हराया

13वें लोकसभा के चुनाव में मायावती ने सपा-भाजपा के जातीय समीकरण फेल कर दिए थे। पहली बार मायावती ने यहां की सीट पर क्षत्रिय नए चेहरे पर दांव लगाया था। 1999 में नीला परचम फहरा। पार्टी को 34.5 प्रतिशत वोट मिले थे।

बहन मायावती ने सोच-समझकर ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वहीं किसी भी बड़े दल ने अभी तक इस जाति के उम्मीदवार को मौका नहीं दिया। इसका सीधा फायदा पार्टी को मिलेगा। हमारी बूथ स्तर पर तैयारी चल रही है। वहीं शुक्रवार से नामांकन भी होना है। हमारी पार्टी जल्दबाजी में फैसला नहीं करती है। - रामकरन अहिरवार, जिलाध्यक्ष बसपा।

इसे भी पढ़ें: कन्नौज में दिलचस्प हुआ मुकाबला, सांसद सुब्रत पाठक की पत्नी ने निर्दलीय किया नामांकन; आज अखिलेश भी भरेंगे पर्चा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.