'योग भूमि' के निर्माण का रास्ता साफ, परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पर बनेगा भव्य स्मृति भवन; शासन से मिली स्वीकृति
योग भूमि परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पर बनने वाला एक स्मृति भवन है। इस चार मंजिला भवन में योगानंद की यादों को संजोया जाएगा। भूमि तल पर एक लॉन और योगानंद की प्रतिमा होगी। पहले तल पर एक संग्रहालय और पुस्तकालय होगा। दूसरे तल पर एक मंदिर होगा जहां योगानंद का जन्म हुआ था। तीसरे तल पर दो हॉल होंगे जहां योगाभ्यास और ध्यान किया जा सकेगा।
डॉ. राकेश राय, गोरखपुर। दुनिया भर मेंं योग को प्रसारित करने और इसे लेकर लंबी शिष्य व भक्त परंपरा विकसित करने वाले परमहंस योगानंद की जन्मस्थली पर 'योग भूमि' के नाम से स्मृति भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया। निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू करने के लिए शासन की प्रशासकीय व वित्तीय स्वीकृति पर्यटन विभाग और कार्यदायी संस्था सीएंडडीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज) को प्राप्त हो गई है।
इससे उत्साहित पर्यटन विभाग ने अगले महीने के दूसरे पखवारे से निर्माण कार्य शुरू कराने की योजना बना ली है। कोतवाली से सटे मुफ्तीपुर की संकरी गली स्थित जन्मस्थल पर 'योग भूमि' के निर्माण के लिए विभाग ने 19 करोड़ रुपये से जमीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली गई है।
भूमि तल सहित चार तल के भवन के निर्माण के लिए करीब 28 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति शासन ने एक दिन पूर्व प्रदान की है। पहली किस्त के रूप में पांच करोड़ रुपये जारी भी कर दिए हैं। भवन निर्माण की कार्ययोजना के मुताबिक जन्मस्थली पर बनाए जाने वाले भवन की हर मंजिल पर अलग-अलग तरीके से योगानंद की यादें संजोयी जाएंगी।
परमहंस योगानंद
भूमि तल के बाहर हिस्से एक लान विकसित किया जाएगा, जिसमें योगानंद की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। पहले तल पर एक संग्रहालय और पुस्तकालय बनाया जाएगा, जिसमें योगानंद के अलग-अलग मुद्रा में चित्रों को अवलोकनार्थ सजाया जाएगा। उनसे जुड़े बहुमूल्य सामानों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
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दूसरा तल पर उस स्थान को मंदिर का स्वरूप दिया जाएगा, जहां आज से 131 वर्ष पहले पांच जनवरी को क्रिया योग के प्रणेता योगानंद का जन्म हुआ था। मंदिर के सामने केंद्र का दूसरा योग सेंटर बनाया जाएगा, जिसमें बैठकर योगानंद की शिष्य परंपरा के लोग योग व ध्यान कर सकेंगे।
तीसरे और अंतिम तल पर दो हाल बनाए जाएंगे, जिसमें योगाभ्यास करने का इंतजाम रहेगा। ध्यान के लिए अगल से स्थान निर्धारित रहेगा। योग भूमि का निर्माण 1360 वर्गमीटर में कराया जाना है।
रवींद्र कुमार मिश्र। जागरण
योगानंद की जन्मस्थली को योग भवन व स्मृति स्थल के रूप में विकसित करने के लिए शासन से प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्राप्त कर ली गई है। पांच करोड़ रुपये पहली किस्त के रूप में जारी भी हो गए हैं। अगले माह तक टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद तत्काल निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा। पूरी कोशिश है योगानंद की अगली जन्मतिथि 'योग भूमि' में धूमधाम से मनाई जाए। -रवींद्र कुमार मिश्र, उप निदेशक, क्षेत्रीय पर्यटन विभाग, गोरखपुर
बढ़ेगी विदेशी पर्यटकों की संख्या
विदेश में परमहंस याेगानंद के शिष्य व भक्त बड़ी संख्या में हैं। जन्मस्थली होने की वजह से समय-समय पर उनका गोरखपुर आना होता है। बावजूद इसके बहुत से भक्त व शिष्य इसलिए नहीं आते हैं क्योंकि जन्मस्थल पर योगानंद की स्मृति के लिए कुछ भी नहीं है। बहुत से भक्त स्मृति भवन की मांग भी करते रहे हैं।
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उनकी मांग का संज्ञान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया, जिसके परिणाम स्वरूप जन्मस्थल पर 'योग भूमि' के निर्माण की भूमिका तैयार हो चुकी है। पर्यटन विभाग को उम्मीद है कि स्मृति भवन बन जाने के बाद दुनिया भर से योगानंद के भक्त व शिष्य गोरखपुर आएंगे क्योंकि उन्हें अपने गुरु की जन्मभूमि के रूप में एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल मिल जाएगा।
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