गोरखपुर में 72 घंटे का ट्रायल छुड़ा रहा पसीना, चारकोल प्लांट नहीं पकड़ रहा रफ्तार
गोरखपुर शहर में 500 टन कचरे का निस्तारण मुश्किल हो रहा है। बायो सीएनजी प्लांट बंद होने के बाद एनटीपीसी के सहयोग से कचरे से चारकोल बनाने का प्लांट भी ट्रायल में अटका है। तकनीकी खराबी के कारण 72 घंटे की टेस्टिंग पूरी नहीं हो पा रही है। कचरे को अलग-अलग करके चारकोल बनाने की प्रक्रिया बाधित है जिससे कचरा प्रबंधन प्रभावित हो रहा है।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। शहर से निकलने वाले करीब 500 टन कूड़े का बेहतर तरीके से निस्तारण नहीं हो पा रहा है। नगर निगम प्रशासन के द्वारा इसके निस्तारण के लिए किया जा रहा कोई भी प्रयास अब तक परवान नहीं चढ़ सका है। बायो सीएनजी प्लांट के निर्माण से कंपनी ने हाथ खींच लिए तो दूसरी कंपनी के साथ समझौता करने की कोशिश की जा रही है।
वहीं, एनटीपीसी के सहयोग से बन रहा कूड़े से चारकोल बनाने का प्लांट भी पिछले करीब तीन महीने से ट्रायल पीरियड में ही है। 72 घंटे तक लगातार चलाकर टेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है और कूड़े से चारकोल बनाने का काम पूरी तरह से शुरू नहीं हो पा रहा है।
सुथनी में एनटीपीसी के सहयोग से कूड़े से चारकोल बनाने का काम चल रहा है। इस प्लांट की सबसे खड़ी खासियत यह है कि इसमें मिक्स कूड़े का इस्तेमाल होना है। निगम की ओर से कूड़ा ढोने के लिए बनाए गए विशेष तरह के कैप्सूल से शहर से निकला कुछ कूड़ा कभी-कभार यहां भेजा जा रहा है। लेकिन, जब भी मशीन चल रही है तो कुछ ही देर बाद काम करना बंद कर दे रही है। ऐसे में कूड़े से चारकोल प्लांट बनाने का प्लांट रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा है।
दरअसल इस प्लांट के पूरी तरह से काम शुरू करने के लिए 72 घंटे की टेस्टिंग जरूरी है। लेकिन, पिछले करीब तीन महीने से 72 घंटे तक लगातार चलाकर टेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है। पिछले सप्ताह जब इसकी टेस्टिंग शुरू हुई तो इसका चेंबर ब्लाक कर गया। इसके पहले ज्यादा टेंपरेचर के कारण मशीन में कुछ खराबी आ गई।
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दिल्ली में एनटीपीसी के अधिकारियों की बैठक में इस समस्या को दूर करने का इंतजाम किया जा सका। पिछले दिनों फिर से इसमें खराबी आ गई है। एनटीपीसी के विशेषज्ञ फिर से इसकी कमियों को दूर करने के लिए बैठक करने वाले हैं।
प्लांट के पूरी तरह से संचालन के लिए 72 घंटे का सफल ट्रायल जरूरी है। लेकिन, अब तक 72 घंटे का ट्रायल सफल नहीं हो सका है। फिर से कुछ खराबी आ गई है। बैठक कर इस समस्या का समाधान ढूंढा जाएगा।
-आशीष रंजन, प्रोजेक्ट मैनेजर, एनटीपीसी
255 करोड़ की लागत से 15 एकड़ में हो रहा है प्लांट का निर्माण
सुथनी में 15 एकड़ में 255 करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना में सालिड वेस्ट मैनेजमेंट (एमडब्ल्यूएम) पिट बनाया गया है। यहां 07 दिन कचरा स्टोर कर लिचेड अलग कर लीचेड को पंप किया जाता है। शेष बचे कचरे को श्रेडर मशीन में डाल कर छोटे-छोटे टुकड़े में बांटा जाता है।
उसके बाद उन्हें 100 एमएम ट्रामल मशीन से गुजार कर आगे की प्रक्रिया की जाती है। यह मशीन विभिन्न कचरा सामग्री को आकार के मुताबिक अलग-अलग कर देती है। यह बायोडिग्रेडेबल और नान-बायोडिग्रेडेबल कचरे को अलग करने के साथ ओवरसाइज और अंडरसाइज स्टोन, अयस्क, रेत, गिट्टी को भी अलग कर देती है। इसके अलावा प्लास्टिक और बड़े टुकड़े अलग कर देती है। इनके बाद कूड़े से चारकोल बनाने की प्रक्रिया होती है।
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