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    गोरखपुर में जलभराव से मिलेगा छुटकारा, 750 करोड़ से अपग्रेड होगा यूएफएमसी

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 03:09 PM (IST)

    नगर निगम के यूएफएमसी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने यूएफएमसी के अपग्रेडेशन के लिए 222 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने पर सैद्धांतिक सहमति दी है। अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करके एनडीएमए को भेजी जाएगी, जिससे जलभराव की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।

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    राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने प्रारंभिक चरण के लिए 220 करोड़ की दी सैद्धांतिक सहमति

    राजीव रंजन, जागरण, गोरखपुर। शहर में होने वाले जलभराव की समस्या के निजात के लिए स्थापित नगर निगम के अर्बन फ्लड मैनेजमेंट सेल (यूएफएमसी) को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया। इसी का परिणाम है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इस प्रणाली को बेहतर मानते हुए इसके अपग्रेडेशन के लिए 750 करोड़ की वित्तीय सहायता देने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

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    प्रथम चरण में 220 करोड़ की वित्तीय सहायता मिलेगी। इसकी सफलता के आधार पर बाकी धनराशि मिलेगी। इस राशि का इस्तेमाल ब्लू ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रणाली को अपनाते हुए शहरी बाढ़ प्रबंधन का विकास किया जाएगा। सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद नगर निगम के द्वारा इसके संबंध में डीपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इसमें यूएफएमसी का अपग्रेडेशन, हरित एवं नीले विकास को केंद्र में रखते हुए नगर निगम के द्वारा योजना तैयार की जाएगी।

    आपदा प्रबंधन के तहत केंद्र और राज्य का सहयोग
    राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ब्लू ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रणाली के तहत कुल 222 करोड़ रुपए की धनराशि उपलब्ध कराने नगर निगम को सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इसमें 90 प्रतिशत राशि भारत सरकार और 10 प्रतिशत की राशि राज्य सरकार की तरफ से दी जाएगी।

    कुल 222 करोड़ रुपये के बजट में से 200 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा वहन किए जाएंगे, जबकि शेष 22 करोड़ रुपये राज्य सरकार की ओर से दिए जाएंगे। यह संयुक्त वित्त पोषण दर्शाता है कि शहर की इस समस्या को हल करने में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की प्राथमिकता है।

    यूएफएमसी को किया जाएगा अपग्रेड
    ब्लू ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रणाली के तहत अर्बन फ्लड मैनेजमेंट सेल को अपग्रेड किया जाएगा। इसके तहत शहर के विभिन्न इलाकों में वर्षा जल का सही-सही आकलन के लिए आटोमेटिक रेन गेज (एआरजी) की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी। कभी केवल दो स्थान चरगावां और डीएम कार्यालय परिसर में एआरजी लगे हुए हैं। ब्लू ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रणाली के तहत आटोमेटिक रेन गेज (स्वचालित वर्षा मापक) की संख्या 15 से बढ़ाकर 20 की जाएगी। मझोले और बड़े नालों पर एआरजी लगाए जाएंगे।

    यह भी पढ़ें- Gorakhpur News: दिसंबर में फ्लैटेड फैक्ट्री का आवंटन, इसके बाद होगा उद्घाटन

    सभी मझोले और बड़े नालों पर लगेंगे एडब्ल्यूएलआर
    प्रबंधन को अधिक वैज्ञानिक और सटीक बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जाएगा। वर्षा के दिनों में काफी ज्यादा वर्षा होने पर नाले-नालियों का जलस्तर काफी बढ़ जाता है। इससे इन इलाकों में जल भराव की समस्या हो जाती है। शहर में लगातार विभिन्न इलाकों में बड़े और मझोले आकार के नाले बनाए गए हैं और कई निर्माणाधीन हैं। इन नालों पर आटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर (एडब्ल्यूएलआर) नहीं लगे होने के कारण क्षेत्र विशेष में जलभराव का सही आकलन नहीं हो पाता है। इन सभी पर वाटर लेवल रिकॉर्डर लगाए जाएंगे।

    ग्रीन बेस डेवलपमेंट में जलाशयों का होगा विकास
    योजना के 'ग्रीन डेवलपमेंट' घटक के तहत, शहर से निकलने वाले पानी के शोधन की अभिनव विधि अपनाई जाएगी। प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन को ध्यान में रखते हुए शहर के विभिन्न इलाकों के नालों के पानी को तकिया घाट की तरह प्राकृतिक तरीके से शोधन विधि को अपनाया जाएगा। इसके अलावा महेसरा, चिलुवा ताल, रामगढ़ ताल, सुमेर सागर जैसे वेटलैंड का संरक्षण एवं सुंदरीकरण होगा। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण में कंक्रीट के बजाए प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल होगा।

    नगर निगम के यूएफएमसी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसके अपग्रेडेशन के लिए 222 करोड़ रुपये सहायता राशि देने पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है। जल्द ही इसका डीपीआर तैयार कर एनडीएमए को भेज दिया जाएगा।

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    -गौरव सिंह सोगरवाल, नगर आयुक्त