गोरखपुर तिहरा हत्याकांड: जिसे पुलिस से छुड़ाया था, उसी ने छीन ली जिंदगी; एक झटके में उजड़ गया परिवार
गोरखपुर में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया है। रामदयाल मौर्य नाम के एक व्यक्ति ने अपने ही दादा-दादी की हत्या कर दी। पुलिस ने उसे पकड़ लिया था लेकिन बुजुर्गों ने उसे छोड़ने की गुहार लगाई। कुछ ही घंटों बाद रामदयाल ने फिर से हमला किया और बुजुर्गों की मौत हो गई। गांव में खुशियों का माहौल मातम में बदल गया।

जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गांव में खुशियों की हल्की-हल्की गूंज थी। कोईरान टोला में किसी के घर तिलक था, कहीं हल्दी का गीत गाया जा रहा था। दरवाजे पर रिश्तेदार आ-जा रहे थे। लेकिन, किसी को क्या पता था कि इसी टोले में कुछ ही घंटों बाद मातम छा जाएगा, चीखों की आवाजें गूंजेंगी और एक परिवार हमेशा के लिए उजड़ जाएगा।
शुक्रवार की सुबह जब लोग शादी की तैयारी में जुटे थे, तभी गांव के ही रामदयाल मौर्य ने उस ममता और भरोसे का अंत कर दिया जिसने उसे बचपन से सीने से लगाकर पाला था। गांव के लोगों का कहना है कि गुरुवार को ही रामदयाल का अजीब व्यवहार दिखने लगा था। वह हाथ में हसिया लेकर घूम रहा था, लोगों को रोककर अजीब बातें कर रहा था।
रास्ते में लौट रहे राजेंद्र मौर्य को उसने रोककर उन पर हमला भी कर दिया। गांववालों को उसकी हालत देखकर डर लगने लगा था। रात में किसी ने डायल 112 पर सूचना भी दी, पुलिस आई और उसे पकड़कर ले जाने लगी। लेकिन, बुजुर्गों को लगा कि यह पुलिस का मामला नहीं है, रामदयाल की दिमागी हालत ठीक नहीं है।
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पुलिस की गिरफ्तार में हत्यारोपित रामदयाल मौर्य - जागरण
दादा-दादी ने पुलिस से हाथ जोड़कर कहा- इसे छोड़ दीजिए, इस पर प्रेत का साया है। हम इसे तंत्र-मंत्र से ठीक करा लेंगे। पुलिस लौट गई, रामदयाल छूट गया और कुछ ही घंटों बाद उन्हीं बुजुर्गों का शव गांव की कच्ची सड़क पर पड़ा था।
खुशियों के गीतों के बीच मातम की चीखें
कोईरान टोला की गलियां शुक्रवार को दो हिस्सों में बंट गईं। एक ओर तिलक और हल्दी के गीत गाए जा रहे थे, दूसरी ओर मातम पसरा था। कुछ ही देर पहले जहां औरतें हंसी-ठिठोली कर रही थीं, वहीं अब वे सिर पीट-पीटकर रो रही थीं। शादी वाले घरों में भी सन्नाटा पसर गया, ढोल-नगाड़े रुक गए। गांव की बुजुर्ग महिलाओं ने सिर पर हाथ रखकर कहा हमने अपनी जिंदगी में ऐसा नरसंहार नहीं देखा।
हत्यारोपित के चाचा का भी गांव में था खौफ:
गांववालों के अनुसार, रामदयाल के चाचा मेवालाल मौर्य की हरकतें भी किसी सिरफिरे से कम नहीं थीं। वह राह चलती महिलाओं पर अश्लील फब्तियां कसता, कई बार तो छेड़खानी करने से भी पीछे नहीं हटता। उसकी बदमाशी इतनी बढ़ गई थी कि गांव की महिलाएं शाम ढलने से पहले ही अपने घरों में दुबक जाती थीं।
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गांव के लोगों ने घटनास्थल का निरीक्षण करने पहुंचे एसपी उत्तरी को उसकी कहानी सुनाई। बताया कि मेवालाल की करतूतों से तंग आकर गांव के लोगों ने उसे पुलिस के हवाले करवाया। उस पर छेड़खानी और अभद्रता के गंभीर आरोप लगे और आखिरकार उसे जेल भेज दिया गया। सजा काटकर वह कुछ महीने पहले वापस आया। अब मजदूरी कर जीविका चलाता है।
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