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    यूपी के इस ताल को जुहू चौपाटी की तरह करना था विकसित, गंदगी के ढेर का बना अड्डा

    Updated: Sun, 09 Feb 2025 04:08 PM (IST)

    Taal sumer sagar ताल सुमेर सागर की 18 एकड़ से अधिक कीमती भूमि को कब्जे से मुक्त कराने के बाद भी उसका सुंदरीकरण नहीं हो सका। बाड़बंदी के अभाव में फिर से अतिक्रमण होने लगा है। गंदगी का अंबार और बड़े-बड़े गड्ढे दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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    ताल सुमेर सागर के सौंदर्यीकरण के बाद इस तरह विकसित करने की थी जीडीए की योजना

    अरुण चन्द, जागरण, गोरखपुर। लंबी कार्रवाई के बाद कब्जे से आजाद कराई गई ताल सुमेर सागर की 18 एकड़ से अधिक की बेशकीमती भूमि को पांच साल बाद भी अभी तक न तो पूरी तरह सुरक्षित किया जा सका और न ही वहां की सूरत ही बदली जा सकी। मौके पर बाड़बंदी तक नहीं कराई जा सकी, जिसकी वजह से फिर से ताल की भूमि पर फिर से अतिक्रमण होने लगा है।

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    गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने इस पूरे क्षेत्र को जुहू चौपाटी की तरह विकसित करने की योजना बनाई थी। मौके पर कुछ काम भी शुरू हो गया लेकिन, शासन से योजना को मंजूरी ही नहीं मिली। प्रस्ताव निरस्त हो गया। खूबसूरती कौन कहे अब वहां चारों तरफ गंदगी का अंबार है और बड़े-बड़े गड्ढे कभी भी बड़ी दुर्घटना की वजह बन सकते हैं। गंदगी को लेकर कई बार स्थानीय लोग शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

    प्राधिकरण का कहना है कि अदालत में लंबित मामले, कुछ हिस्से पर स्थनगन आदेश और शासन स्तर पर परियोजना के लिए धन स्वीकृत नही किए जाने की वजह से ताल के सुंदरीकरण की परियोजना को निरस्त करना पड़ा।

    ठप पड़ा सुमेर सागर में निर्माण कार्य। जागरण


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    27.74 करोड़ में बनी थी सुंदरीकरण की परियोजना

    शहर में पर्यटन का एक और केंद्र विकसित करने के मकसद से प्राधिकरण ने मुंबई के जुहू चौपाटी और रामगढ़ताल की तर्ज पर 18.50 एकड़ में विजय चौराहा से धर्मशाला बाजार के बीच फैले सुमेर सागर ताल के सौंदर्यीकरण की परियोजना बनाई थी। 27.74 करोड़ रुपये की इस परियोजना को जीडीए बोर्ड बैठक में स्वीकृति भी मिल गई थी।

    इसके बाद एजेंसी मेसर्स प्रभा कांस्ट्रक्शन का चयन करते हुए उसे वर्क आर्डर भी जारी कर दिया गया था। एजेंसी को दो सितंबर 2023 से लेकर एक जून 2024 तक सौंदर्यीकरण का काम पूरा करना था। परियोजना त्वरित आर्थिक विकास मद से बनाई गई थी, लेकिन कई बार के अनुरोध के बाद भी शासन ने इस मद से ताल के सौदर्यीकरण का काम कराने की अनुमति ही नहीं दी।

    मंथन के बाद पयर्टन विभाग को भी परियोजना स्वीकृति के लिए भेजी गई, लेकिन वहां से भी ना हो गई। धनाभाव में वर्क आर्डर पाने वाली कंपनी ने कुछ दिन काम करने के बाद काम भी रोक दिया।

    ठप पड़ा सुमेर सागर में निर्माण कार्य। जागरण


    भूमि पर अब भी कई अतिक्रमण, न्यायालय में चल रहे केस

    सुमेर सागर ताल की बेशकीमती भूमि पर वर्ष 2020 में तत्कालीन ज्वाइंट मजिस्ट्रेट व उपजिलाधिकारी सदर(वर्तमान में नगर आयुक्त ) गौरव सिंह सोगरवाल के नेतृत्व में सदर तहसील प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ताल की 10 एकड़ से अधिक जमीन अतिक्रमण मुक्त कराई थी। इस दौरान दो दर्जन से अधिक स्थायी-अस्थायी निर्माण तोड़े गए थे।

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    ठप पड़ा सुमेर सागर में निर्माण कार्य। जागरण


    खूब हंगामा हुआ लेकिन कार्रवाई नहीं रोकी गई। यद्यपि, मौके पर अभी भी कुछ लोगों काबिज हैं तो कुछ के मामले न्यायालय में चल रहे हैं। उधर, ताल की भूमि को सुरक्षित नहीं किए जाने की वजह से धर्मशाला और सुमेर सागर की ओर से धीरे-धीरे फिर से नया अतिक्रमण होने लगा है। कुछ लोगों ने मौके पर गिट्टी और ईंट भी गिरा रखा है।

    कार्रवाई के दौरान ही प्रशासन ने सात एकड़ में ताल को पुराना स्वरूप देने के लिए गड्ढा खोदवा दिया था, जिसमें पांच साल से बारिश का पानी जमा है और जलकुंभी पनप आई है। ताल की भूमि के कई हिस्सों में कूड़ा गिराया जा रहा है तो आस-पास के क्षेत्रों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग वहां शौच के लिए जाते हैं।