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    'सैलून' से चलेंगी बौद्ध परिपथ स्पेशल गाड़ियां

    By Amal ChowdhuryEdited By:
    Updated: Sun, 08 Oct 2017 02:34 PM (IST)

    रेलवे बोर्ड के नए फरमान के बाद जोनल रेलवे में आवश्यकतानुसार सिर्फ दो से चार सैलून ही रखे जाएंगे। ...और पढ़ें

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    'सैलून' से चलेंगी बौद्ध परिपथ स्पेशल गाड़ियां

    गोरखपुर (प्रेम नारायण द्विवेदी)। रेलवे बोर्ड 'बौद्ध परिपथ स्पेशल गाड़ियां' चलाने की योजना बना रहा है। इन स्पेशल गाड़ियों में जोनल रेलवे से खाली हो रहे 'सैलून' (विशेष निरीक्षण यान) का उपयोग किया जाएगा, ताकि पर्यटकों को यात्र के दौरान आरामदायक और बेहतर सुविधा मिल सके। यह स्पेशल गाड़ियां पर्यटकों को बौद्ध परिपथ (कुशीनगर, लंबिनी, कपिलवस्तु, सारनाथ व गया) के अलावा देश के अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराएंगी।

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    पूर्वोत्तर रेलवे में एक दर्जन सहित देशभर के जोनल रेलवे में कुल 270 सैलून हैं। रेलवे बोर्ड के नए फरमान के बाद जोनल रेलवे में आवश्यकतानुसार सिर्फ दो से चार सैलून ही रखे जाएंगे। पूर्वोत्तर रेलवे में ही महाप्रबंधक और मंडल रेल प्रबंधकों के लिए सिर्फ तीन सैलून ही बच जाएंगे। शेष रेलवे बोर्ड के नियंत्रण में चले जाएंगे। जोनल रेलवे से सैलून मिल जाने के बाद बोर्ड को स्पेशल ट्रेन के लिए नई बोगी तैयार नहीं करनी पड़ेगी।

    सैलून वैसे भी अति आधुनिक होते हैं, जिसमें सभी आवश्यक सुविधाएं मौजूद रहती है। ऐसे में सैलून से स्पेशल गाड़ियों को चलाने में रेलवे को कोई अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा। पर्यटन के नाम पर आय का एक साधन भी उपलब्ध हो जाएगा। जोनल रेलवे में चल रही सैलून परंपरा भी समाप्त हो जाएगी।

    दरअसल, लगातार बढ़ती रेल दुर्घटनाओं ने रेलवे बोर्ड को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष स्वयं संरक्षा की समीक्षा कर रहे हैं। इसके तहत रेल अधिकारियों की सुविधाओं में कटौती और रेल लाइनों की निगरानी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

    30 अगस्त 2017 को बोर्ड के निर्देश पर पूवरेत्तर रेलवे प्रशासन ने अधिकारियों के बंगले और कार्यालयों पर तैनात ट्रैकमैनों को लाइन पर भेजने का निर्देश जारी किया था। बोर्ड का कहना है कि रेल अधिकारी रेल लाइनों का निरीक्षण सैलून में नहीं, बल्कि सामान्य बोगियों में आम जनता के साथ बैठकर करें।

    कार्यालय की अपेक्षा रेल लाइनों पर अधिक समय बिताएं। हालांकि, रेलवे बोर्ड के निर्देश के बाद अधिकारी कुछ बोल तो नहीं रहे, लेकिन इसको लेकर उनके अंदर असंतोष है।

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    निरीक्षण के लिए होती है सैलून: सैलून महाप्रबंधक और मंडल रेल प्रबंधक के अलावा प्रमुख विभागाध्यक्षों के लिए होते हैं। इससे वे रेल लाइनों का निरीक्षण करने के अलावा विशेष परिस्थितियों में यात्रा करते हैं। सूत्रों का कहना है कि इधर, सैलूनों का दुरुपयोग बढ़ गया था। रेल लाइनों का निरीक्षण कार्य भी प्रभावित हो रहा था। अधिकारी सैलूनों का उपयोग निजी कार्य के लिए करने लगे थे।

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