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    Good News: यूरिक एसिड, अकड़न में भी रामबाण है 'श्री अन्न', डॉक्टर दे रहे मोटे अनाज के सेवन की सलाह

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Thu, 09 Feb 2023 02:37 PM (IST)

    यूरिक एसिड व शरीर के अकड़न जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए दवा के साथ जौ बाजारा मक्का रागी का सेवन लाभकारी सिद्ध हो रहा है। ऐसे में एलोपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सक श्री अन्न के सेवन की सलाह दे रहे हैं।

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    एलोपैथिक व आयुर्वेदिक चिकित्सक दे रहे श्री अन्न के सेवन की सलाह। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। आमतौर पर पित्त व कब्ज में उपयोगी माना जाने वाला श्री अन्न (मोटा अनाज) यूरिक एसिड व शरीर के अकड़न में भी रामबाण साबित हो रहा है। आयुर्वेद ही नहीं, एलोपैथ के चिकित्सक भी इसकी महत्ता को अपने पर्चे में स्थान देने लगे हैं। एम्स ने श्री अन्न को भर्ती रोगियों के डाइट प्लान में शामिल कर दिया है तो सरकारी व निजी चिकित्सक भी ओपीडी में आए रोगियों को भी दवा के साथ भोजन में श्री अन्न को शामिल करने की सलाह दे रहे हैं। रोगियों पर इसके सकारात्मक परिणाम भी नजर आने लगे हैं।

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    इनको मिला मोटे दाने के सेवन का लाभ

    कृष्णा नगर के एसपी मिश्रा को ढाई माह से कब्ज की समस्या थी। उनका यूरिक एसिड 8.6 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (एमजी/डीएल) हो गया था। वजन 85 किलो था। ढाई माह दवा के साथ श्री अन्न का सेवन करने से कब्जियत खत्म हो गई है। यूरिक एसिड घटकर 5.7 एमजी/डीएल पर आ गया है। डॉक्टर ने उन्हें नाश्ते व भोजन में जौ का आटा, बाजरा, सांवा व मक्के का सेवन करने की सलाह दी थी। असुरन के श्रीप्रकाश को कब्ज, सिर दर्द तो था ही, जब सुबह सोकर उठते थे तो पैरों में अकड़न रहती थी। दिन भर सुस्ती रहती थी। एक माह से दवा के साथ वह श्री अन्न का सेवन कर रहे हैं। कब्जियत काफी हद तक ठीक हो गई है। सिर दर्द व अकड़न चली गई है।

    जौ, बाजारा, मक्का, रागी का करें सेवन

    गैस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट व आयुर्वेदिक चिकित्सक रोगियों को जौ, ज्वार, बाजारा, मक्का, मड़ुवा, सांवा, कोदो, टागुन आदि खाने की सलाह दे रहे हैं। इससे रोगियों को तेजी से लाभ हो रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि मोटे अनाज में कैलोरी कम और ऊर्जा ज्यादा होती है। इसके साथ ही पर्याप्त मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज को खत्म करने में मदद करता है। ज्यादातर बीमारियों की जड़ पेट की गड़बड़ी ही है।

    पेट से होती है इस बीमारी की शुरुआत

    आयुर्वेदिक चिकित्सकों का कहना है कि गठिया की शुरुआत भी पेट से ही होती है। क्योंकि आहार-विहार दूषित होने से भोजन ठीक से पचता नहीं है। इसकी वजह से आमरस (आंव) की उत्पत्ति होती है। जब आमरस ज्यादा एकत्रित हो जाता है तो गठिया, बुखार, बवासीर आदि रोग उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा गैस, कब्ज, खट्टी डकार आदि का कारण पेट की गड़बड़ी ही है। इन बीमारियों में दवा के साथ श्री अन्न का सेवन लाभकारी सिद्ध हो रहा है। इसके सेवन से न तो वजन बढ़ता है और न ही चिकनाई और कोलेस्ट्राल और शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।

    श्री अन्न में यह मिलता है

    • एक किलो अन्न कैलोरी कैल्शियम लौह तत्व
    • बाजरा 361 ग्राम 42 ग्राम 8 ग्राम
    • ज्वार 349 ग्राम 25 ग्राम 4.1 ग्राम
    • मक्का 342 ग्राम 10 ग्राम 2.3 ग्राम
    • रागी 328 ग्राम 344 ग्राम 3.9 ग्राम

    क्या कहते हैं विशेषज्ञ

    • गैस्ट्रोएंट्रोलाजिस्ट डॉ. एलबी गुप्ता ने बताया पहले लोग जौ, मक्का, सांवा, कोदो, टागुन, मड़ुवा, ज्वार, बाजारा आदि का उपयोग करते थे और स्वस्थ रहते थे। इनसे वजन नहीं बढ़ता है। कोलेस्ट्राल नहीं बढ़ता है। पेट व आंतों में यह झाड़ू का काम करता है। इसलिए कब्ज नहीं होता। रोगियों को दवा के साथ श्री अन्न के सेवन की भी सलाह दी जा रही है।
    • आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. रामेश्वर प्रसाद दूबे श्री अन्न में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ई व बी, मैग्नीशियम व जिंक आदि सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं। जो शरीर को पर्याप्त ऊर्जा देते हैं। वजन नियंत्रित करते हैं और कोलेस्ट्राल से बचाते हैं। क्योंकि ये सभी अन्न शुष्क होते हैं। दवा के साथ इनके सेवन से रोगी जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं।