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    गोरखपुर में दुर्घटनाग्रस्त स्कूल बस का फर्जीवाड़ा, 12 साल से चल रही थी नकली नंबर पर

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 10:06 AM (IST)

    गोरखपुर में आरएसपी स्कूल की दुर्घटनाग्रस्त बस 12 साल से फर्जी नंबर पर चल रही थी। यह बस पहले बादामी देवी के नाम पर पंजीकृत थी फिर अयोध्या के भदौरिया पब्लिक स्कूल के नाम पर दर्ज हुई। बस का चेसिस और इंजन नंबर भी फर्जी निकला। जांच में पता चला कि गोरखपुर में ऐसे फर्जी वाहनों का खेल लंबे समय से चल रहा है।

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    गोला थाना क्षेत्र के गोला उरुवा मार्ग पर चनौली के पास पलटी बस। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। गोला थाना अंतर्गत आरएसपी स्कूल की दुर्घटनाग्रस्त बस 12 वर्ष से टाटा मैजिक के फर्जी नंबर पर चल रही थी। टाटा मैजिक 28 फरवरी 2019 तक गोरखपुर की बादामी देवी के नाम पंजीकृत थी। वर्तमान में वह अयोध्या के भदौरिया पब्लिक स्कूल के नाम से पंजीकृत है।

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    दुर्घटनाग्रस्त वाहन संख्या UP53DT1161 अयोध्या के भदौरिया पब्लिक स्कूल के नाम पंजीकृत निकला जो कि किसी बस नहीं बल्कि मैजिक को आवंटित है। बस पर चेसिस नंबर MAT454063D7G21638 और इंजन नंबर GWY835497 लिखा है, लेकिन परिवहन विभाग के पोर्टल पर इस चेसिस व इंजन नंबर पर कोई वाहन पंजीकृत नहीं है। यानी, सबकुछ फर्जी। बस फर्जी, उसका चेसिस और इंजन नंबर फर्जी, बस पर लगा नंबर प्लेट फर्जी। वाहन का स्वामित्व भी फर्जी।

    जानकारों का कहना है कि गोरखपुर में वर्षों से फर्जी नंबर और वाहनों का खेल चल रहा है। आरएसपी स्कूल में चल रही बस भी वर्ष 2013 में तत्कालीन गोरखपुर जनरल मोटर्स से बुक गई थी, जो वर्ष 2025 से टाटा मैजिक का नंबर प्लेट लगाकर सड़कों पर फर्राटा भर रही थी।

    टाटा मैजिक का नंबर भी फर्जी रहा, जो एक मार्च 2019 को भदौरिया पब्लिक स्कूल, अयोध्या के नाम स्थानांतरित कर दिया गया। दरअसल, फर्जी वाहन और नंबर बनाने वाला रैकेट पुराने वाहनों का इंजन और चेसिस नंबर बदलकर नई पहचान दे देते हैं।

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    यही नहीं बिना किसी कंपनी के नाम बने नए चेसिस और इंजन पर फर्जी नंबर डाल फर्जी नंबर प्लेट लगाकर चल रहे हैं। कहीं कोई रोकने और टोकने वाला नहीं है। 15 सितंबर को आरएसपी स्कूल बस का फर्जीवाड़ा भी दुर्घटना के बाद प्रकाश में आया।

    जनपद में बड़ी संख्या में इस तरह के वाहन चल रहे हैं, जिनकी जांच-पड़ताल हो जाए तो शायद रैकेट का भी पर्दाफास हो जाए। फिलहाल, आरएसपी स्कूल बस मामले की जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर फर्जीवाड़ा कब से और कहां से आरंभ हुआ है। इसमें कौन लोग शामिल हैं, जो नौनिहाल की जान जोखिम में डालने के साथ सिस्टम को भी चुनौती दे रहे हैं।