प्रदेश भाजपा में गोरखपुर क्षेत्र के अध्यक्षों की समृद्ध होती विरासत, इन दिग्गजों के नाम पर लग चुकी है मुहर
गोरखपुर क्षेत्र का भाजपा की संगठनात्मक राजनीति में गहरा प्रभाव रहा है। इस क्षेत्र ने समय-समय पर पार्टी को वैचारिक रूप से मजबूत अध्यक्ष दिए हैं। माधव प ...और पढ़ें

महादेव बाबू, सूर्य प्रताप शाही, रमापति राम के बाद अब पंकज चौधरी का नाम। जागरण
डाॅ. राकेश राय, गोरखपुर। प्रदेश भाजपा की संगठनात्मक राजनीति में गोरखपुर क्षेत्र की भूमिका केवल प्रभावशाली ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक भी रही है। यह वही क्षेत्र है, जिसने समय-समय पर प्रदेश भाजपा को ऐसे अध्यक्ष दिए, जिन्होंने पार्टी को वैचारिक दृढ़ता, सांगठनिक विस्तार और जनाधार प्रदान किया। भाजपा के गठन के बाद से लेकर अब तक गोरखपुर क्षेत्र का नाम प्रदेश नेतृत्व की परंपरा से निरंतर जुड़ा रहा है।
माधव प्रसाद त्रिपाठी के रूप से प्रदेश भाजपा को पहला अध्यक्ष ही गोरखपुर क्षेत्र से मिला। ऐसे में यह कहा जाए जाए कि प्रदेश मेंं भाजपा की नींव ही गोरखपुर क्षेत्र के हाथों रखी गई तो गलत नहीं होगा। रमापति राम त्रिपाठी और सूर्य प्रताप शाही ने उनकी इस परंपरा को अगल-अलग समय में आगे बढ़ाया। पंकज चौधरी क्षेत्र के चौथे ऐसे कार्यकर्ता होंगे, जिन्हें प्रदेश में संगठन के नेतृत्व का अवसर मिलेगा।
यदि गोरखपुर क्षेत्र से मिले प्रदेश अध्यक्षों की क्रमवार चर्चा करें तो सबसे पहला नाम माधव प्रसाद त्रिपाठी का आता है। जनसंघ की स्थापना के बाद उन्हें उसका पहला प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। जब भाजपा का गठन हुआ तो वह इसके भी पहले प्रदेश अध्यक्ष बन गए। वर्ष 1980 से 1984 तक इस पद पर बने रहे।
यह वह दौर था जब भाजपा अपने आरंभिक संघर्ष काल में थी। सीमित संसाधनों, कमजोर राजनीतिक आधार और कांग्रेस के प्रभुत्व के बीच माधव बाबू ने विचारधारा आधारित दिशा देकर संगठन को मजबूत किया। उन्हें आज भी प्रदेश में भाजपा की मजबूत आधारशिला रखने वाले नेताओं में अगली पंक्ति का माना जाता है।
प्रदेश भाजपा को क्षेत्र से दूसरा अध्यक्ष देवरिया के रमापति राम त्रिपाठी के रूप में मिला। 2007 से 2010 अध्यक्ष रहे रामपति जी का कार्यकाल संगठनात्मक अनुशासन, कार्यकर्ता प्रशिक्षण और सांगठनिक विस्तार के लिए जाना जाता है। उन्होंने पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने का कार्य किया और कठिन राजनीतिक परिस्थितियों में संगठन को एकजुट रखा।
रमापति राम की विरासत देवरिया के ही एक अन्य दिग्गज नेता सूर्य प्रताप शाही ने संभाली। वह दो वर्ष यानी 2010 से 2012 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे। वह संगठन और सरकार दोनों स्तरों पर प्रभावशाली भूमिका निभाने वाले नेताओं में शामिल हैं। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत करने, सामाजिक संतुलन साधने और कार्यकर्ताओं के साथ संवाद बढ़ाने पर विशेष जोर दिया।
उनकी कार्यशैली में अनुभव, समन्वय और संतुलन साफ झलकता रहा। आज भी वह भाजपा के प्रमुख रणनीतिक और वैचारिक चेहरों में गिने जाते हैं। वर्तमान में भी वह प्रदेश सरकार में कृषि मंत्री का दायित्व निभा रहे हैं। पंकज चौधरी का नाम भी इसी कड़ी में सामने आ रहा है। केंद्रीय मंत्री पंकज संगठन और प्रशासन दोनों का लंबा अनुभव रखते हैं।
वह जमीनी राजनीति से निकले नेता माने जाते हैं। कार्यकर्ताओं के साथ सीधा संवाद, संगठनात्मक समझ और क्षेत्रीय संतुलन उनकी प्रमुख ताकत मानी जाती है। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने से गोरखपुर क्षेत्र की राजनीतिक विश्वसनीयता और सांगठनिक क्षमता पर भाजपा नेतृत्व के भरोसे को और मजबूत करेगी।
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राजनाथ सिंह व कलराज मिश्र का भी गोरखपुर क्षेत्र से रिश्ता
प्रदेश भाजपा अध्यक्षों की सूची में शामिल राजनाथ सिंह और कलराज मिश्र भले ही गोरखपुर क्षेत्र के कार्यकर्ताओं में नहीं गिने जाते लेकिन यहां के कार्यकर्ता उन्हें अपना ही मानते हैं। इसलिए कि राजनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान यहां के कार्यकर्ताओं के बीच अपनी पहचान बनाई थी। उनकी यह पहचान क्षेत्र मेंं आज भी कायम है।
कलराज मिश्र ने देवरिया से भाजपा सांसद बनकर गोरखपुर क्षेत्र को अपनाया था। यहां के कार्यकर्ताओंं को अपना बनाया था। कलराज मिश्र ने दो बार में आठ वर्ष प्रदेश भाजपा की कमान बतौर अध्यक्ष संभाली। राजनाथ सिंह दो 1997 से 2000 तक तीन वर्ष भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे।

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