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    Gorakhpur News: आशा को मिली निराशा, मौत के बाद सगी बहन के बेटों ने शव को देखने और लेने से किया इनकार

    By Jagran NewsEdited By: Pragati Chand
    Updated: Sun, 10 Sep 2023 05:34 PM (IST)

    गोरखपुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसको जानकर हर कोई हैरान है। वृद्धाश्रम में रह रहीं आशा की पिछले दिनों मौत हो गई थी। वृद्धाश्रम के कर्मचारी आशा की बहन के बेटों से पहले मोबाइल नंबर के जरिये संपर्क करने का प्रयास किया फिर घर पर पहुंचे तो उन्होंने शव देखने और लेने से इनकार कर दिया।

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    वृद्धाश्रम में रह रहीं आशा की पिछले दिनों हो गई थी मृत्यु। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    गोरखपुर, सुनील सिंह। मौसी का मतलब मां-सी। अर्थात जो मां के समान प्यार करे, वह मौसी होती है। मौसी के रहते किसी भी मां को अपने बच्चे की फिक्र नहीं रहती। यदि मौसी की कोई संतान न हो तो बहन के बेटे-बेटियों की जिम्मेदारी भी उतनी ही बड़ी हो जाती है। ऐसे रिश्ते में बेकद्री का एक मामला सामने आया है। बहन के बेटों ने वृद्ध मौसी के शव को देखने और लेने से इनकार कर दिया। अंतिम समय में उन्हें अपनों का कंधा भी नहीं मिल सका।

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    पति की मौत के बाद बहन के घर रहने लगी थीं आशा

    सरकारी मुलाजिम पति और आशा देवी की कोई संतान नहीं थी। पति की मृत्यु के बाद पेंशन पाने वाली आशा देवी अपनी बहन के घर छोटे काजीपुर में रहने लगीं। उनके आधार कार्ड पर यहीं का पता दर्ज है। सबकुछ ठीक रहने पर बहन के बेटे उनकी देखभाल करते रहे। बदले में आशा देवी पेंशन के रुपये से उनकी हर जरूरतें पूरी करती थीं। वर्ष 2021 में 71 वर्ष की आयु में उनकी तबीयत खराब रहने लगी तो बहन के बेटों ने गोकुलधाम वृद्धाश्रम, झरवा बड़गो में रखवा दिया। एक साल तक वे उनसे मिलने जाते और पेंशन के रुपये निकलवा लेते। इधर, एक साल से वृद्धाश्रम जाना छोड़ दिए थे। आशा को सांस फूलने की बीमारी थी।

    तबीयत खराब होने पर अस्पताल में कराया गया था भर्ती

    जनवरी में तबीयत खराब होने पर वृद्धाश्रम के अधीक्षक रामसिंह ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। उनको ठीक होने में एक महीने का समय लगा था। 19 अगस्त को उनकी तबीयत फिर बिगड़ी तो भर्ती कराया गया। उपचार के दौरान चार सितंबर को जिला अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। वृद्धाश्रम के कर्मचारियों ने उनके पते व नंबर से स्वजन की तलाश की। मोबाइल फोन से बात करने पर बहन के बेटे ने बताया कि वह बाहर हैं। जब कर्मचारी घर गए तो उन्होंने कहा कि आप को जो करना है, स्वयं करें। सभी ने शव लेने और देखने से इनकार कर दिया। इसके बाद वृद्धाश्रम अधीक्षक रामसिंह ने कर्मचारियों के सहयोग से शव का पोस्टमार्टम कराकर पांच सितंबर को राजघाट पर अंतिम संस्कार करा दिया।

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    क्या कहते हैं अधिकारी

    जिला समाज कल्याण अधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह ने बताया वृद्धा की मृत्यु के बाद पते व नंबर के आधार पर स्वजन से बात की गई। स्वजन ने शव देखने और लेने से भी इन्कार कर दिया तो वृद्धाश्रम के कर्मियों ने अंतिम संस्कार करा दिया।

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