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    गोरखपुर में विकास की नई पहल: राप्ती रिवर फ्रंट का होगा चैनलाइजेशन, बनेगा रबर डैम

    Updated: Tue, 13 May 2025 02:34 PM (IST)

    उत्तर प्रदेश के गोरखपुर (Gorakhpur News) में राजघाट से डोमिनगढ़ तक राप्ती रिवर फ्रंट विकसित करने की तैयारी तेज हो गई है। सिंचाई विभाग ने जीडीए को डीपीआर के लिए तकनीकी सुझाव दिए हैं जिसमें नदी की ड्रेजिंग और जल उपलब्धता के लिए डैम बनाने की बात कही गई है। परियोजना पर पहले 1100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था।

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    राप्ती नदी के तट राजघाट पर निर्माणाधीन पुल। जागरण

    अरुण चन्द, जागरण गोरखपुर। लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट की तरह राजघाट से डोमिनगढ़ तक करीब ढाई किमी लंबे राप्ती रिवर फ्रंट विकसित करने को लेकर तैयारी तेज हो गई है। सिंचाई विभाग ने गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की ओर से डीपीआर तैयार करने के लिए टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर मांगे गए सुझाव को सौंप दिया है।

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    प्राधिकरण ने इसे डीपीआर के लिए चयनित कंसल्टेंट फर्म मेसर्स प्लानर इंडिया लिमिटेड को उपलब्ध भी करा दिया है। पूर्व में इस परियोजना पर करीब 1100 करोड़ रुपये खर्च का आंकलन किया गया था, लेकिन अब सिंचाई विभाग के सुझाव के बाद इस आंकड़े में बदलाव आने की उम्मीद है। फिलहाल, परियोजना की वास्तविक लागत कितनी आएगी, इसका सटीक आंकलन डीपीआर तैयार होने के बाद ही हो सकेगा।

    टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट के अध्यन के बाद सिंचाई विभाग ने जो छह प्रमुख सुझाव प्राधिकरण को दिए हैं, उसके मुताबिक विभाग ने नदी का व्यवहार सामान्य रखने के लिए उसकी ड्रेजिंग और चैनलाइजेशन का प्रविधान करने को कहा है। साथ ही वर्ष भर जल की उपलब्धता के लिए डैम बनाने का सुझाव दिया है।

    राप्ती नदी के तट राजघाट पर निर्माणाधीन पुल। जागरण


    विभाग ने परियोजना को लेकर पर्यावरण प्रभाव आकलन के सभी कारकों का भी अध्ययन करने की सिफारिश की है और आकृति विज्ञान के अध्ययन में गणितीय आंकड़ों को समाहित करने को कहा है। इसी तरह सिंचाई विभाग ने बाढ़ आवृत्ति विश्लेषण में डिस्चार्ज की गणना में वर्ष 2024 तक के डेटा को समाहित करने और डीपीआर को एनएमसीजी (जल शक्ति मंत्रालय उप्र) और एनजीटी के दिशा निर्देश के अनुसार तैयार करने का सुझाव दिया है।

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    महायोजना की पेंच भी जल्द सुलझने के आसार

    प्राधिकरण की ओर से महायोजना 2031 के प्रारूप में प्रस्तावित राप्ती रिवर फ्रंट वाले क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र की जगह रिक्रिएशनल ग्रीन एरिया (मनोरंजक हरित क्षेत्र) करने का प्रस्ताव किया गया है। लेकिन, शासकीय समिति ने महायोजना को अनुमोदित करने का जो पत्र भेजा था, उसके साथ लगाई गई तीन शर्तों में से एक शर्त इस क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित रखने की भी थी।

    इसे भी रिवर फ्रंट की योजना में एक पेंच माना जा रहा था। हालांकि प्राधिकरण की ओर से इन शर्तों को हटाने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। उम्मीद है कि प्राधिकरण के पत्र पर जल्द ही सकारात्मक निर्णय आ सकता है।

    राप्ती नदी के तट राजघाट पर निर्माणाधीन पुल। जागरण


    मुख्यमंत्री की पहल पर विकसित की जा रही परियोजना

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर राप्ती नदी के किनारे राप्ती रिवर फ्रंट परियोजना विकसित करने की तैयारी चल रही है। जीडीए को डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने के साथ ही सिंचाई विभाग को इसमें सहयोग करने का निर्देश है।

    इसी क्रम में डीपीआर तैयार करने के लिए प्राधिकरण ने पिछले साल कंसल्टेंट फर्म के तौर पर मेसर्स प्लानर इंडिया लिमिटेड का चयन किया था। फर्म ने डीपीआर के लिए तकनीकी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर सिंचाई विभाग से सुझाव मांगा था। सात मई 2025 को सिंचाई विभाग के ड्रेनेज खंड के अधिशासी अभियंता की अेार से सुझाव के बिंदु उपलब्ध करा दिए गए।

    सख्ती होते ही मिला सुझाव

    पांच मई को जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन की अध्यक्षता में प्राधिकरण के अभियंत्रण विभाग की समीक्षा बैठक हुई थी। उपाध्यक्ष ने रिवरफ्रंट विकसित करने की परियोजना की धीमी गति पर नाराजगी जताई थी।

    राजघाट पर राप्ती नदी का तट। जागरण


    प्राधिकरण के प्रभारी मुख्य अभियंता ने बताया था कि मार्च 2025 में ही कंसलटेंट द्वारा डीपीआर से पूर्व फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर सिंचाई विभाग से अभिमत प्राप्त करने लिए पत्र भेजा था, लेकिन जवाब नहीं मिला। इसपर जीडीए उपाध्यक्ष ने रिमाइंडर भेजने का निर्देश दिया था। इस निर्णय के दो दिन बाद ही सिंचाई विभाग से सुझाव मिल गए।

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    बोले जिम्मेदार- जल्द तैयार होगा डीपीआर

    सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता आनंद गौतम ने बताया कि जीडीए की ओर से चयनित कंसलटेंट फर्म के अनुरोध पर विभाग ने टेक्निकल फिजिबिलिटी रिपोर्ट का अध्ययन कर सुझाव उपलब्ध करा दिए हैं। इसमें नदी का व्यवहार सामान्य रखने समेत पर्यावरण संरक्षण आदि बिंदुओं को लेकर सुझाव दिए गए हैं। उधर, जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह का कहना है कि सिंचाई विभाग की ओर से रिपोर्ट मिल गई है। कंसल्टेंट फर्म को इसे उपलब्ध भी करा दिया गया है और निर्देश दिए गए हैं कि डीपीआर जल्द तैयार की जाए ताकि आगे की कार्रवाई शुरू की जा सके।