Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गोरखपुर कैंट की राह में रोड़ा बनी 'राह', रेलवे क्रासिंग पार कर स्टेशन पहुंचते हैं यात्री; छूट जाती है ट्रेनें

    देश भर में रेलवे स्टेशनों को विकसित करने के लिए अमृत योजना चलाया जा रहा है। स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का रेल प्रशासन दावा कर रहा है। इधर कैंट स्टेशन के विकास के नाम पर 20 करोड़ खर्च करने के बाद भी रेलवे यात्रियों के लिए अभी तक सुलभ रास्ता नहीं खोज पाया है। जिससे यात्री रेलवे क्रासिंग पार कर स्टेशन पहुंच रहे हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 10 Aug 2023 05:18 PM (IST)
    Hero Image
    रेलवे क्रासिंग पार कर कैंट स्टेशन पहुंचते हैं यात्री। -जागरण

    गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सितंबर में गोरखपुर कैंट सैटेलाइट स्टेशन के रूप में विकसित हो जाएगा। उच्चस्तरीय सुविधाएं मिलनी शुरू हो जाएंगी। कैंट से जल्द ही नरकटियागंज, छपरा और वाराणसी रूट की लोकल ट्रेनों का संचालन भी शुरू हो जाएगा। करीब 20 करोड़ रुपये खर्च कर स्टेशन का विकास तो लगभग हो गया है, लेकिन सवाल यह है कि रेलवे किनके लिए यह सब कर रहा है। रेलवे प्रशासन आज तक यात्रियों के लिए सुगम रास्ता नहीं खोज पाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यात्री रेलवे क्रासिंग पार कर स्टेशन पर आवागमन करने को मजबूर हैं। अक्सर, लोगों की ट्रेन छूट जाती है। अब तो लोग कैंट से आवागमन करने से भी कतराने लगे हैं। यह तब है जब रेल मंत्रालय और प्रशासन स्टेशनों को सिटी सेंटर के रूप में विकसित करने का दावा कर रहा है। स्टेशनों को सीधे शहर से जोड़ने की कवायद चल रही है। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) के महामंत्री केएल गुप्ता स्टेशन के नवनिर्माण के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हैं। वह कहते हैं, रेलवे को जो कार्य पहले करना चाहिए, वह अभी तक नहीं कर पाया है।

    स्टेशन का गेट उत्तर की तरफ है, ऐसे में स्टेशन पर आवाजाही के लिए क्रासिंग पार करनी पड़ती है। इस क्रासिंग से होकर प्रतिदिन लगभग 150 ट्रेनें गुजरती हैं। ऐसे में ढाला अक्सर बंद ही रहता है। स्टेशन पर आवागमन के लिए कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है। स्टेशन का कायाकल्प करके ही क्या करेंगे, जब यात्री ही नहीं मिलेंगे। यूनियन इस प्रकरण को आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआइआरएफ) के माध्यम से बोर्ड और मंत्रालय तक उठाएगी।

    स्टेशन के दक्षिण की तरफ नहीं मिल पाई जमीन

    कैंट स्टेशन के दक्षिण की तरफ सेना (जीआरडी) की जमीन है। रेलवे प्रशासन ने रेल मंत्रालय के माध्यम से सेना से दक्षिण की तरफ 20 मीटर चौड़ी और 50 मीटर लंबी कुल आठ हजार वर्गमीटर भूमि मांगी है। बदले में जमीन देने को भी तैयार हैं, लेकिन आज तक बात नहीं बनी। भूमि मिल जाने से स्टेशन के दक्षिण से लोग सीधे एम्स के गेट तक पहुंच जाएंगे। घंटों का सफर मिनटों में पूरा होगा।

    रामगढ़ताल के किनारे भी खाेजी जा रही संभावनाएं

    रेलवे प्रशासन कैंट स्टेशन के पश्चिम की तरफ रामगढ़ताल के किनारे से भी रास्ता के लिए संभावनाएं तलाश रहा है। स्टेशन से पश्चिम की तरफ भी सेना की कुछ भूमि है जो रामगढ़ताल के किनारे होते हुए सीधे गोरखपुर-देवरिया मुख्यमार्ग पर पुलिया के पास मिल जाएगा। यह भूमि भी मिल जाती है तो लोगों की राह आसान हो जाएगी।

    क्रासिंग पर पुल के लिए भी करना पड़ रहा इंतजार

    रेलवे प्रशासन ने स्टेशन के पूर्वी छोर पर स्थित रेलवे क्रासिंग पर पुल निर्माण (ओवरब्रिज) के लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया है। पुल क्रासिंग के ऊपर से स्टेशन की तरफ खुलेगा। यात्री ही नहीं क्रासिंग से होकर आनेजाने वाले हजारों लोगों की राह भी आसान हो जाएगी। जानकारों के अनुसार ओवरब्रिज निर्माण के लिए अभी तक एयरफोर्स की तरफ से नो आब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) ही नहीं मिला है।

    क्या कहते हैं अधिकारी

    पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा कि गोरखपुर छावनी रेलवे स्टेशन को सैटेलाइट टर्मिनल के रूप में विकसित करने का कार्य अंतिम चरण में है। स्टेशन के दक्षिण दिशा में सेकेड एंट्री बनाए जाने के लिए जीआरडी से कुछ भूमि मांगी गई है, जिसके बदले रेलवे द्वारा भूमि दूसरे स्थान पर दी जाएगी। इसके लिए सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है। यह भूमि मिल जाने पर शहरवासियों और बेहतर सुविधा मिल सकेगी।