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    मेदांता से खत्म हुआ रेलवे का अनुबंध, उपचार पर संकट

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 09:35 AM (IST)

    गोरखपुर में रेलवे अस्पताल और मेदांता अस्पताल के बीच अनुबंध समाप्त होने से रेल कर्मचारियों के इलाज में बाधा आ रही है। एक रेलकर्मी शत्रुघ्न पांडेय अपने बच्चे का इलाज कराने में असमर्थ हैं क्योंकि अनुबंध खत्म हो गया है और निजी अस्पताल महंगे हैं। कर्मचारी संगठन अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता से नाराज हैं और जल्द समाधान की मांग कर रहे हैं।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। स्टोर डिपो गोरखपुर में तैनात रेलकर्मी शत्रुघ्न पांडेय के डेढ़ वर्षीय पुत्र का इलाज मेदांता अस्पताल गुड़गांव में चल रहा था। उसकी किडनी छोटी-बड़ी है। उपचार के क्रम में शत्रुघ्न अक्टूबर के पहले सप्ताह में जब मेदांता पहुंचे तो अस्पताल प्रबंध ने उन्हें वापस कर दिया।

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    अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल गोरखपुर से अनुबंध समाप्त हो गया है। शत्रुघ्न जब गोरखपुर पहुंचे तो रेलवे अस्पताल प्रबंधन ने भी हाथ खड़े कर लिए। रेफर होने के बाद भी शत्रुघ्न अपने पुत्र का समुचित इलाज नहीं करा पा रहे।

    उनका कहना है कि, अन्य प्राइवेट अस्पताल वाले तुरंत ढाई लाख रुपये मांग रहे हैं। रेलवे अस्पताल से मेदांता अस्पताल का अनुबंध समाप्त होने के बाद

    गंभीर बीमारियों से जूझ रहे रेलकर्मी और उनके स्वजन की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सर्वाधिक परेशानी उन रोगियों को हो रही है जो पहले से इलाज करा रहे हैं, बीच में अनुबंध समाप्त होने से उनके उपचार पर संकट गहरा गया है।

    अस्पताल प्रबंधन है कि उदासीन बना हुआ है। अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता को लेकर कर्मचारी संगठनों में रोष है। संगठन सवाल भी खड़े कर रहे हैं। एनई रेलवे मजदूर यूनियन (नरमू) ने अनुबंध के अवधि विस्तार के लिए पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य चिकित्सा निदेशक को पत्र भी सौंपा है।

    यूनियन के महामंत्री केएल गुप्ता कहते हैं कि 30 सितंबर 2025 को ही रेलवे अस्पताल से मेदांता अस्पताल का कैशलेस इलाज का अनुबंध समाप्त हो गया है। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक का कहना है कि अनुबंध की प्रक्रिया चल रही है।

    अनुबंध समाप्त होने से पहले यह प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं कर ली गई है। जिन रेलकर्मियों व उनके स्वजन का मेदांता में इलाज चल रहा है, बीच में अब कहां इलाज के लिए जाएंगे। अस्पताल प्रबंधन ने यथाशीघ्र अनुबंध की प्रक्रिया पूरी नहीं की तो यूनियन महाप्रबंधक से लगायत रेलवे बोर्ड और मंत्रालय तक मुद्दा बनाने को बाध्य होगी।

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    रेलवे अस्पताल के पैनल में शामिल निजी अस्पताल

    • न्यू प्रकाश क्लीनिक, निकट कौवाबाग पुलिस चौकी, गोरखपुर
    • श्रीराम जानकी नेत्रालय एडी चौक जुबिली रोड, गोरखपुर
    • श्री साईं नेत्रालय दस नंबर बोरिंग सोनौली रोड, गोरखपुर
    • फातिमा हास्पिटल, पादरी बाजार- गोरखपुर
    • न्यू उदय हास्पिटल, गोलघर- गोरखपुर
    • यशोदा हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, गाजियाबाद
    • सर्वोदय हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, फरीदाबाद- हरियाणा
    • फोर्टिस एस्कोर्ट हर्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर- नई दिल्ली
    • नियो हास्पिटल- सेक्टर- 50 नई दिल्ली
    • विजिटेक आई सेंटर- नई दिल्ली
    • सावित्री हास्पिटल, दिलेजाकपुर- गोरखपुर
    • बत्रा हास्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नई दिल्ली

    मेदांता द मेडिसिटी गुड़गांव से अनुबंध की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। अप्रूवल के लिए भेजा गया है। एक सप्ताह के अंदर प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। रेलकर्मियों व उनके स्वजन को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

    - डा. मो. एए खान, चिकित्सा निदेशक, ललित नारायण मिश्र केंद्रीय रेलवे अस्पताल